पिछले दिनों ओडिशा के बालासोर में पारिवारिक कलह दूर करने लिए एक हिंदू परिवार झाड़-फूँक करने वाले एक शख्स के पास पहुँचा। उसने परिवार की बहू को अपने पास रखकर 79 दिनों तक रेप किया। महिला के साथ उसका 2.5 साल का बच्चा भी था। इस मामले में पुलिस ने आरोपित एसके शोरफ को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन, देश की मीडिया इस खबर में आरोपित को ‘तांत्रिक’ बताकर आरोपित की पहचान को छिपाने का प्रयास कर रही है।
मीडिया में शब्दों के खेल से नैरेटिव गढ़ने का काम होता है। किसी व्यक्ति के नाम से सरनेम हटाकर, नाम छुपाकर या गलत विशेषण जोड़कर आदि कई तरह से अक्सर लोगों को गुमराह किया जाता है। दरअसल, इस खबर में आरोपित एक मुस्लिम है, लेकिन उसके लिए ‘मौलवी या फकीर’ का इस्तेमाल ना करके ‘तांत्रिक’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है। एक पाठक इस खबर को आमतौर पर ‘तंत्र साधना’ करने वाले किसी किया गया कुकर्म समझेगा।
तांत्रिक से मतलब तंत्र विद्या अभ्यास करने से जुड़ा है। ये मुख्य रूप से हिन्दू धर्म से जुड़ा हुआ है। मीडिया द्वारा की गई रिपोर्ट से ये संदेश जा रहा है कि अपराध हिन्दू व्यक्ति द्वारा किया गया था। जबकि ये अपराध मुस्लिम आलिम द्वारा किया गया था।
ओडिशा के स्थानीय अखबार ने अपने प्रिंट और डिजिटल, दोनों माध्यमों में स्पष्ट लिखा है कि आरोपित मुस्लिम है और उसी ने परिवार को झाँसे में लेकर महिला को अपने साथ जबरन रखा और उसके बच्चे के सामने लगातार दुष्कर्म करता रहा।
ओडिशा पोस्ट ने अपने डिजिटल माध्यम में स्पष्ट रूप से आरोपित को मुस्लिम बताया है।
इस खबर को मीडिया संस्थानों ने ‘तांत्रिक’ लिखकर हिंदू स्पिन देने की कोशिश की है। NDTV, India TV, AAJTAK, ZEE NEWS आदि अधिकांश मीडिया संस्थानों ने आरोपित के लिए ‘तांत्रिक’ शब्द का इस्तेमाल किया है। एनडीटीवी ने अपनी खबर में उस फकीर का नाम ही गायब कर दिया है। इसके साथ ही उसने आरोपित के लिए तांत्रिक शब्द का इस्तेमाल किया है।
टाइम्स नाऊ हिंदी ने भी खबर का हेडलाइन दिया है, ‘Trantic Raped Woman: ओडिशा में तांत्रिक ने महिला से उसके बेटे के सामने 79 दिन तक किया रेप।’
इंडिया टीवी ने अपनी खबर में तांत्रिका शब्द का प्रयोग किया है।
हिंदी के अखबार अमर उजाला ने भी अपने डिजिटल अंक में तांत्रिक का इस्तेमाल किया है।
ये पहली बार नहीं है कि मीडिया संस्थानों ने इस तरह का काम किया हो। इस तरह की खबरों पर वे अक्सर इस तरह के कारनामे करते रहते हैं। साल 2019 में पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में मुस्लिम आलिम द्वारा काले जादू का उपयोग करके किए गए इलाज में 10 साल के बच्चे की मौत हो गई थी। मगर मीडिया गिरोह ने इस अपराध को हिन्दू द्वारा किए गए अपराध के रूप में फैलाया और तांत्रिक शब्द का इस्तेमाल किया था।
इससे पहले भी इस तरह के आलिमों को बचाने की काफी कोशिश की जा चुकी है। द हिन्दू की एक रिपोर्ट के अनुसार एक महिला ने अजमेर में एक “तांत्रिक” पर दरगाह में नमाज़ अदा करने के बहाने ले जाने के बाद उसके साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया था। उसी महीने, टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक लेख प्रकाशित किया था, जिसका शीर्षक था, “तांत्रिक को बलात्कार और जबरन वसूली के लिए 10 साल की जेल” इसमें आरोपित का नाम वारसी था।
दैनिक जागरण ने किसी कारण से एक उत्पीड़न मामले में आरोपित को हेडलाइन में “तांत्रिक सूफी बाबा” के रूप में प्रदर्शित किया। हालाँकि, उसके कंटेंट में आरोपित का नाम आफताब बताया गया था। इसी तरह Hindi News18 ने अपने लेख में लिखा, “भूत भगाने के बहाने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में तांत्रिक गिरफ्तार।” बाद में तांत्रिक की पहचान हाफिज साजिद के रूप में हुई थी।