आए दिन रोटियों पर थूकने का वीडियो वायरल हो रहा है। 16 नवंबर, 2021 को न्यूज 18 हिंदी ने भोजन पर थूकते हुए पकड़े जाने के मुद्दे पर “रिवाज़-ए-थूक, ये कैसी भूख” जैसे कैप्शन के साथ बहस की। चर्चा के दौरान जहाँ मौलाना अलीमुद्दीन असादी ने खाने पर थूकने की हरकतों का बचाव करने की कोशिश की, वहीं राजनीतिक विश्लेषक मसूद हाशमी ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी और सीएम योगी के शासन में ‘केवल मुसलमानों को पकड़ा और परेशान किया जा रहा है।’
बता दें कि पिछले कुछ महीनों में खाना बनाते समय थूकने के कई वीडियो वायरल होने के बाद कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है। संयोग से, गिरफ्तार किए गए सभी लोग मुस्लिम समुदाय के हैं, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या उनमें कोई ऐसी बात है जो उन्हें इस तरह के कृत्यों में शामिल होने के लिए प्रेरित कर रहा है। न्यूज-18 की इस बहस में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर संगीत रागी, मौलाना अलीमुद्दीन असादी, सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय, हम हिंदू के संस्थापक अजय गौतम और राजनीतिक विश्लेषक मसूद हाशमी पैनलिस्ट थे।
बहस के दौरान मौलाना अलीमुद्दीन असादी ने स्क्रीन पर दिखाए जा रहे एक खास वीडियो की तरफ इशारा किया जिसमें मुस्लिमों का एक समूह बचे हुए खाने के सामान को साफ करने के लिए प्लेट चाटता नजर आ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह आस्था के बारे में है और यह कोई अपराध नहीं है। इस तथ्य को नजरअंदाज करते हुए कि बहस के दौरान दिखाए गए अन्य वीडियो में स्पष्ट रूप से कई रसोइयों को खाना बनाते समय थूकते हुए दिखाया गया था या लोगों को फल, रोटी, घरों के बाहर आदि जगहों पर थूकते हुए दिखाया गया था। उल्टा असादी उन लोगों की प्रशंसा करते रहे जो बर्तन चाट रहे थे।
‘खाने में थूकना आस्था है’- मौलाना अलीमुद्दीन असादी #DeshNahinJhukneDenge #ThookJihad pic.twitter.com/Io6jgqr4L4
— Aman Chopra (@AmanChopra_) November 16, 2021
असादी ने कहा, “हम अपने बड़ों और मौलानाओं का सम्मान करते हैं और थाली से बचा हुआ खाना खुशी-खुशी खाते हैं। यह विश्वास के बारे में है, और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। ये लोग बोहरा समुदाय से हैं। हमारा मज़हब हमें खाना बर्बाद करना नहीं सिखाता है।”
जब एंकर अमन चोपड़ा ने उनसे शेष वीडियो के बारे में सवाल किया और बताया कि वह कैसे कह सकते हैं कि यह विश्वास के बारे में था, असादी ने आरोप लगाया कि चोपड़ा उनके बयान को मोड़ने की कोशिश कर रहे थे। बहस के दौरान एक बिंदु ऐसा भी आया जहाँ उन्होंने इनकार करने की कोशिश की कि फल विक्रेता उस फल पर थूक या उसे चाट रहा था जिसे वह बेचने वाला था। उन्होंने दावा किया, “वह फल को साफ कर रहा है, चाट नहीं रहा है।”
असादी ने सड़क किनारे के उन वेंडरों के बारे में बात की जो दही भल्ले में पेशाब करते हुए कैमरे में कैद हुए थे। उन्होंने सवाल किया कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई। असादी सड़क किनारे एक विक्रेता के वायरल वीडियो की ओर इशारा कर रहे थे, जिसका वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो गया था, जहाँ वह पानीपुरी के पानी में पेशाब डालते हुए नजर आ रहा था। हालाँकि, 60 वर्षीय अक्रुल साहिनी के रूप में पहचाने जाने वाले विक्रेता को भरलुमुख पुलिस ने इस अपराध के लिए गिरफ्तार किया था।
विशेष रूप से, इसी तरह की एक घटना 2017 में गुजरात में भी कैमरे में कैद हुई थी, जहाँ एक चेतन नानजी मारवाड़ी को पानीपुरी के पानी में मूत्र डालते हुए देखा गया था। जिसके लिए उन्हें छह महीने जेल की सजा सुनाई गई थी। इन घटनाओं से पता चलता है कि एक विशेष समुदाय को बदनाम करने के आरोप झूठे हैं और यह स्वच्छता और स्वास्थ्य के बारे में है, न कि सांप्रदायिक घृणा के बारे में।
वास्तव में, इसे तब सांप्रदायिक बनाया जा रहा है, जब कुछ लोग उन्हें आस्था से जुड़े कृत्यों का नाम देकर बचाव करने की कोशिश करते हैं। असादी ने आगे आरोप लगाया कि देश में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि यूपी चुनाव आ रहे हैं। जब चोपड़ा ने पूछा कि क्या लोगों को यूपी चुनाव के दौरान ‘सद्भाव’ बनाए रखने के लिए विक्रेताओं द्वारा थूका गया खाना खाना चाहिए, तो असादी ने स्वर बदले से नजर आए।
राजनीतिक विश्लेषक मसूद हाशमी का इस पर बिल्कुल अलग बचाव था कि केवल मुस्लिमों को भोजन पर थूकते हुए क्यों पकड़ा जा रहा है। चोपड़ा ने हाशमी से पूछा कि क्या कारण हो सकता है कि पिछले नौ महीनों में नौ लोगों को भोजन पर थूकने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, और वे सभी मुस्लिम थे। राजनीतिक विश्लेषक होने के नाते हाशमी ने इस मामले में राजनीति की और आरोप लगाया कि पीएम मोदी और सीएम योगी सरकारों के तहत केवल मुस्लिमों को गिरफ्तार किया जाता है और परेशान किया जाता है।
इन मामलों में जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनमें नौशाद, अनवर, खालिद, शाहरुख, इरशाद, चाँद मोहम्मद, मोहम्मद और अब्दुल सलाम हैं। हाशमी ने आगे दावा किया कि इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। चोपड़ा ने उनसे पूछा कि क्या नाम बताते समय कुछ कॉमन था, लेकिन हाशमी कहते रहे कि उन मामलों में कुछ भी कॉमन नहीं था।
अश्विनी उपाध्याय ने हाशमी से सवाल किया कि ईरान, सीरिया और अन्य जैसे देश क्यों जल रहे हैं? हाशमी ने मुस्लिम राष्ट्रों में अशांति के लिए इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद, अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और भारत के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, ‘मोसाद, सीआईए और आरएसएस जैसी एजेंसियों की वजह से ही दुनिया जल रही है।” उन्होंने आगे कहा, ‘महाभारत और रामायण देखने वाले इस्लाम पर सवाल उठा रहे हैं। जिनके हाथों में अनगिनत हथियार हैं, वे खुदा पर इस्लाम पर सवाल उठा रहे हैं। पहले खुद को देखो, फिर हमसे सवाल करो।”
बता दें कि ऑल्ट न्यूज़ जैसे कुछ फैक्ट चेकरों ने भी थूकने वाले वीडियो का बचाव करते हुए इसे ‘फातिहा जलाना’ कहकर बचाव किया है। जिस पर लोगों ने मुँहतोड़ जवाब दिया था। इसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं- ‘वो तो फातिहा जला रहा था, अल्लाह देते हैं बरकत’: AltNews के जुबैर ने खाने में थूक वाले वीडियो को दी क्लीन चिट, कहा – हवा फूँक रहे।