भारत में इस्लामी पत्रकारिता की सबसे बड़ी वाहक के तौर पर अपनी पहचान स्थापित कर चुकीं राणा अयूब अब पाकिस्तान के काम आ रही हैं। उनके द्वारा परोसा गया प्रोपगेंडा पाकिस्तान की खुराक बन रहा है और इसी के बूते वह अब उन बुद्धिजीवियों को ट्रोल कर रहा है जो भारत के पक्ष में अपनी बात रखते हैं।
हाल में ऐसा मामला उस समय देखने को मिला जब माइकल रुबीन ने खुद का एक लेख अपने ट्वीट पर शेयर किया। इस ट्वीट के साथ उन्होंने वो हेडलाइन भी डाली जो उनके लेख का सार थी। उन्होंने लिखा, “कश्मीर पर भारत ने आलोचकों को गलत साबित कर दिया।” उनके इसी ट्वीट पर कई लोग आए जो विस्तृत लेख के लिए आभार व्यक्त करते दिखे। लेकिन तभी पाकिस्तान से यह चीज बर्दाश्त नहीं हुई।
A Pak consulate in Canada retweeting Rana Ayyub to troll @mrubin1971 🤔 pic.twitter.com/mytiyOgQNm
— Suhag A. Shukla (@SuhagAShukla) August 4, 2021
माइकल के ट्वीट पर उनको ट्रोल करने के लिए पाकिस्तान वाणिज्य दूतावास जनरल वैंकूवर (कनाडा) ने उसे रीट्वीट किया और तर्कों के नाम पर जोड़ा राणा अयूब का एक पूरा लेख। ये लेख वाशिंगटन पोस्ट में 11 मार्च 2021 को प्रकाशित हुआ था। इसे शेयर करते हुए अकॉउंट से माइकल को कहा गया, “भारत के लोकतंत्र के लगातार पतन को नकारना असंभव है। आर्थिक विकास के बारे में कई कहानियाँ वास्तविकता को छुपा नहीं सकती है। ” अगले ट्वीट में इन्होंने पूछा कि आखिर उन नरसंहारों, युद्धों, अपराधों का क्या हुआ जो भारत ने कश्मीर में किए।
What about genocide, war crimes, and crimes against humanity being committed by #India in Occupied #Kashmir@KenRoth @UNHumanRights @UNGeneva @OHCHRAsia @UN_HRC @UN @EU_Commission @EU_UNGeneva @EUCouncil @amnesty @hrw #India #Kashmir #Apartheid #Occupation @ForeignOfficePk
— Pakistan Consulate General Vancouver (@PakinVancouver) August 4, 2021
पाकिस्तान दूतावास के इस हैंडल पर पिछले कुछ समय में ऐसे कई ट्वीट शेयर किए गए हैं। किसी में भारत आतंकवाद जैसे शब्द का इस्तेमाल हैं तो किसी में बताया गया है कि भारत ने 5 अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों को पाकिस्तान जाने से मना कर दिया है क्योंकि वह 5 अगस्त को ‘आजाद कश्मीर’ पर होने वाली असेंबली में भाग लेने वाले थे। लेकिन बावजूद इसके ये बात सोचने वाली नहीं है कि आखिर एक पाकिस्तानी दूतावास का हैंडल कश्मीर पर लेख लिखने वाले शख्स को ट्रोल कर रहा है, सोचने वाली बात यह है कि आखिर एक भारत की पत्रकार का लिखा प्रोपेगेंडा से भरा लेख पाकिस्तान के लिए कितना फिट बैठता है कि वो उसे ट्रोल करने के लिए इस्तेमाल करने लगते हैं।
क्या था राणा अयूब के लेख में
राणा अयूब ने यह लेख दिशा रवि को बेल मिलने के समय लिखा था। उसी दिशा रवि को जिस पर टूलकिट का मामला खुलने के दौरान इल्जाम लगे थे। इस आर्टिकल में अयूब ने एक जगह लिखा है, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काल में देशद्रोह के आरोप डराने-धमकाने का एक उपकरण बन गए हैं।” एक रिपोर्ट् का हवाला देते हुए अयूब ने कहा था कि 2014 में मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद से 405 भारतीयों के खिलाफ राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों की आलोचना करने के लिए 96 प्रतिशत देशद्रोह के मामले दर्ज हुए।
इसके बाद वह उस फ्रीडम हाउस डेमोक्रेसी रिपोर्ट की वकालत करती दिखीं जिसमें भारत को आंशिक रूप से स्वतंत्र बताया गया था। साथ ही कश्मीर को लेकर भी कई बातें कही गई थी। अपने लेख के अंत में राणा ने लिखा था, “एक पत्रकार और एक मुसलमान के तौर पर इस देश के लिए मेरी उम्मीदें हर दिन कुचली जा रही हैं। लेकिन कई भारतीयों की तरह, जिन्होंने इस समावेशी बहुल राष्ट्र के सपने को संजोया है, मैं फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट को एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में देखती हूँ…।”
पाकिस्तान को मिला भारतीय पत्रकारों का सहारा
मालूम हो कि यह पहली दफा नहीं हुआ है जब भारतीय प्रोपगेंडाबाजों ने पाकिस्तान को इस तरह उनके अनुकूल कंटेंट प्रदान किया हो। इससे पहले दिशा रवि की गिरफ्तारी मामले में ही भारतीय मीडिया गिरोह की रिपोर्टिंग को पाकिस्तान से हवा मिली थी। पीटीआई ने तब लिखा था, “मोदी/आरएसएस शासन में भारत अपने खिलाफ सभी आवाजों को चुप कराने में विश्वास रखता है… अब, उन्होंने दिशा रवि को भी ट्विटर टूलकिट मामले में हिरासत में ले लिया है।”
इसके अलावा पाकिस्तान के सूचना मंत्रालय ने ‘मुस्लिम पत्रकार राणा अयूब’ की तारीफ ‘फासिस्ट मोदी सरकार का पर्दाफाश’ करने के लिए की थी। पकिस्तान के सूचना मंत्रालय ने अपने आधिकारिक अकाउंट से लिखा था कि सूचना एवं प्रसारण में विशेष सहयोगी डॉक्टर फिरदौस आशिक अवान ने मोदी के फासिस्ट एजेंडा को बेनक़ाब करने वाली मुस्लिम महिला जर्नलिस्ट राणा अयूब की तारीफ की। डॉक्टर फिरदौस आशिक अवान ने लिखा था– “शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वालों को इतिहास के सुनहरे पन्नों में याद रखा जाता है। जो साहस भारतीय मुस्लिम जर्नलिस्ट ने अपनी ड्यूटी में दिखाया है वह तारीफ के लायक है।“
एनडीटीवी भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। एनडीटीवी की कश्मीर रिपोर्टिंग को हमेशा से पाकिस्तान का समर्थन मिलता रहा है। कुछ समय पहले पाकिस्तान की सत्तारूढ़ पार्टी ने एनडीटीवी की रिपोर्टिंग की क्लिप को शेयर करते हुए चैनल की बातों का समर्थन किया था। इस वीडियो क्लिप में एक पत्रकार श्रीनगर से रिपोर्ट करते हुए दावा करता दिखा था कि वो और उसकी टीम एक बूढ़े और अंधे व्यक्ति से मिले थे। उस व्यक्ति ने उनसे कहा कि नई दिल्ली में कहा जा रहा है कि कश्मीर में हर कोई जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने से खुश है। मगर कर्फ्यू हटने के बाद वहाँ के लोग बता देंगे कि वो कितने खुश हैं। पत्रकार का इशारा हिंसा की तरफ था, मगर माइक और कैमरा होते हुए भी उन्होंने उस बूढ़े शख्स को नहीं दिखाया। उन्होंने सिर्फ दावा किया कि एक व्यक्ति ने ऐसा कहा।