गोरखपुर में बच्चों की मौत के मामले में आरोपित डॉ. कफील खान इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दिए गए जमानत के बाद मथुरा जेल से बाहर आ गए। वहीं अब उनके बाहर आते ही तथाकथित लिबरल वामपंथी मीडिया ने उनके आरोपों पर लीपापोती करने और उनके महिमामंडन की कवायद शुरू कर दी है।
हमेशा विवादों में घिरे रहने वाले पत्रकार राजदीप सरदेसाई अलग-अलग मामलों में आरोपित बनाए गए व्यक्तियों के साक्षात्कार के लिए तैयार हैं। गौरतलब है कि सुशांत सिंह राजपूत के मृत्यु मामलों में मुख्य आरोपित रिया चक्रवर्ती का एक इमेज बिल्डिंग इंटरव्यू करने के बाद, सरदेसाई ने अब डॉ. कफील का इंटरव्यू लेकर उन्हें ‘निर्दोष’ साबित करने की कोशिश की है। जिन्हें एएमयू में सीएए के विरोध प्रदर्शनों में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुंबई में गिरफ्तार किया गया था।
Dr. Kafeel Khan released from jail, talks to India Today, says- ” I was tortured in custody”#NewsToday with @sardesairajdeep pic.twitter.com/FtCMahdHIO
— IndiaToday (@IndiaToday) September 2, 2020
इंटरव्यू के दौरान ने डॉ. कफील से सरदेसाई ने जोर देकर पूछा कि जेल से बाहर आने के बाद उन्हें कैसा लगा। वहीं सरदेसाई को इंटरव्यू देते हुए कफील ने मुस्कुराते हुए बताया कि जेल में उन्होंने बेहद भयानक पलों का अनुभव किया।
उन्होंने दावा किया कि जेल में उन्हें कई दिनों तक भोजन से वंचित रखा गया और उन्हें उस दौरान शारीरिक और मानसिक रूप से टॉर्चर किया गया। डॉ.कफील ने दावा करते हुए कहा, “राजदीप सर, इस बार जेल में उन्होंने मुझे हर तरह से परेशान किया।” उन्होंने आगे कहा, “एसटीएफ ने मुझसे तीन दिनों तक पूछताछ की और मुझसे अजीबोगरीब सवाल पूछे।”
खान ने सीएए पर अपने रुख को बनाए रखते हुए कहा कि उन्होंने सीएए को लेकर विरोध नहीं किया लेकिन उन्हें एनआरपी और एनआरसी के साथ उसे जोड़े जाने पर समस्या हुई। वहीं अपने कानूनी ज्ञान प्रदर्शन करते हुए, खान ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 ने उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान की है और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसे मान्यता दी गई थी।
गौरतलब है कि कफील खान ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में एन्टी- सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान दिए गए अपने भाषण में कुछ भड़काऊ टिप्पणियाँ की थी। उन्होंने कथिततौर पर गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ टिप्पणी की थी कि वह एक कातिल है, जिसके कपड़े खून से सने हैं।
उन्होंने यह भी कहा था कि सीएए ने संप्रदाय विशेष के लोगों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाया। उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस संचालित स्कूलों में छात्रों को सिखाया जाता है कि दाढ़ी वाले लोग आतंकवादी हैं। वहीं खान ने यह भी कहा था कि सीएए लागू कर सरकार ने हमें बताया है कि भारत हमारा देश नहीं था। खान ने लोगों से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने का आग्रह किया था।