राहुल गाँधी ने भारत में कोरोनावायरस लॉकडाउन के दौरान मीडिया से बातचीत की एक सिरीज़ शुरू की है, जो कॉन्ग्रेस पार्टी और उनके मीडिया सहानुभूतिदाताओं द्वारा लोगों के बीच छवि बनाने का एक और प्रयास है। अब तक, राहुल गाँधी ने मीडिया से दो बार बातचीत की है। जहाँ उन्होंने कोरोनोवायरस महामारी पर अपने विचार व्यक्त किए और यहाँ तक कि कुछ पत्रकारों ने सवाल भी किए। राहुल गाँधी द्वारा दूसरी प्रेस बातचीत के बाद, राजदीप सरदेसाई ने कॉन्ग्रेस के उत्तराधिकारी की अनस्क्रिप्टेड मीडिया इंटरैक्शन के लिए उनकी सराहना की।
राजदीप ने दावा किया कि पारदर्शिता और जवाबदेही लोकतंत्र का हिस्सा है और इसी के चलते राहुल गाँधी ने सभी पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों को लिया और यह भी कहा कि अन्य राजनेताओं को भी ज़ूम (zoom video calling app) के इस दौर में हर तरह के सवाल जवाब के लिए तैयार होना चाहिए।
हालाँकि, राजदीप सरदेसाई और उनके झूठ को जल्द ही एक पत्रकार ने उजागर कर दिया, जो उनके ही इकोसिस्टम का हिस्सा हैं। जबकि राजदीप ने यह दावा करने की बहुत कोशिश की कि राहुल गाँधी के साथ बातचीत फ्री-व्हीलिंग और अनस्क्रिप्टेड थी, शीला भट्ट ने कहा कि वास्तव में, कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला द्वारा इस प्रेस कॉन्फ्रेंस पर पूरी तरह नजर रखी थी। सवाल पहले सबमिट करा लिए गए थे।
शीला भट्ट ने कहा, कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बातचीत तो अच्छी रही मगर इसे ‘फ्री व्हीलिंग’ नहीं कहा जा सकता हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकारों द्वारा पहले ही पूछे जाने वाले प्रश्न कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला को सौंप दिए गए थे। साथ ही, वही पत्रकार सवाल पूछ सकते थे जिन्हें कॉन्ग्रेस पार्टी द्वारा चिन्हित किया गया था।
आश्चर्य होता है, कि राजदीप सरदेसाई यह दावा कैसे कर सकते हैं कि राहुल गाँधी द्वारा की गई प्रेस वार्ता ‘अनस्क्रिप्टेड’ थी। जब उन्हें भी स्पष्ट रूप से पता था कि न केवल पत्रकारों अपने खेमे के पत्रकार चुने गए, बल्कि कॉन्ग्रेस पार्टी को पहले ही सवाल सौंप दिए गए थे।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गाँधी ने बोला झूठ
शुक्रवार (8मई,2020) को वायनाड के कॉन्ग्रेस सांसद राहुल गाँधी ने दावा किया कि कोरोनोवायरस प्रभावित क्षेत्रों के लाल (उच्च संख्या में मामले), नारंगी और हरे (कोई मामले नहीं) का सीमांकन राष्ट्रीय स्तर पर किया जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये ज़ोन राज्य स्तर पर DM और CM के आधार पर बनने चाहिए। साथ ही कहा कि ज़ोन पर केंद्र सरकार एकतरफा निर्णय ले रहीं है।
भारत में 4 मई से 2 सप्ताह के लिए और लॉकडाउन को बढ़ाया गया था, विशिष्ट क्षेत्रों के अनुसार महत्वपूर्ण छूट दी गई थी। प्रेस नोट में कहा गया है कि गृह मंत्रालय ने इस अवधि में विभिन्न गतिविधियों को विनियमित करने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनके अनुसार देश के विभिन्न जिलों को रेड (हॉटस्पॉट), ग्रीन और ऑरेंज ज़ोन के आधार पर छूट दिए गए हैं।
MHA के पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ज़ोन जिलों के फीडबैक के अनुसार तय किए गए हैं। यह भी कहा गया कि वर्गीकरण के बारे में राज्य के अधिकारियों के साथ क्षेत्रों की साप्ताहिक समीक्षा भी की जाएगी।
आपको बता दें, वे जोन जिसमें एक भी संक्रिमत केस अभी तक नहीं आए है या फिर पिछले 21 दिनों से अगर किसी एरिया में संक्रमित व्यक्ति की पुष्टि नहीं हुई है, उन्हें ही ग्रीन जोन में रखा गया हैं। सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि स्वास्थ्य, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा रेड, ग्रीन और ऑरेंज ज़ोन के वर्गीकरण की हर हफ्ते समीक्षा की जाएगी। इसमें यह भी कहा गया है कि राज्यों को उनके मौजूदा हालातों को देखते हुए लाल और नारंगी क्षेत्र में जोड़ा जा सकता हैं।
इसके अलावा पीएम, गृह मंत्रालय और राज्यों के सीएम के बीच कई बैठकों के बाद लॉकडाउन और उसके बाद के कदम उठाए गए हैं। इसलिए राहुल गाँधी का यह दावा झूठा है कि सरकार के फैसले एकतरफा हैं।