Monday, December 23, 2024
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चीन दे रहा था पैसा, भारत का गलत नक्शा दिखा रहा था न्यूजक्लिक: रिमांड नोट में दलालों के सारे कुकर्म दर्ज, कोरोना से लेकर चुनावों तक पर साजिश में थे शामिल

रिमांड में इसमें इस बात का भी जिक्र है कि प्रबीर पुरकायस्थ ने 2019 के आम चुनावों के दौरान चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज्म के साथ मिलकर साजिश रची थी।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के मंगलवार (3 अक्टूबर,2023) को न्यूज़क्लिक के संस्थापक और संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती की गिरफ्तारी ने इस मामले को सुर्खियों में ला दिया है। इसके बाद दोनों को बुधवार (4 अक्टूबर, 2023) को दिल्ली की एक अदालत ने सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है।

दिल्ली पुलिस ने कहा कि न्यूज़क्लिक के फाउंडर पुरकायस्थ को इस बात के सबूत मिलने के बाद गिरफ्तार किया गया कि उनके ऑनलाइन न्यूज पोर्टल ने यह दिखाने के लिए “वैश्विक एजेंडा” चलाया कि अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं हैं। पुलिस के मुताबिक, प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती को उक्त नक्शा बनाने के लिए 115 करोड़ रुपए से अधिक की विदेशी फंडिंग मिली थी।

दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर के सामने दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने के लिए अपनी दलीलें रखीं। पुलिस ने कोर्ट को हिरासत में रखने की वजहों में पूरी साजिश का खुलासा करने, डिजिटल डिवाइसेज से निकाले गए सबूतों पर आरोपितों से पूछताछ करने, पीपीके न्यूज़क्लिक कार्यालय में तलाशी पूरी करने और आपत्तिजनक ईमेल सामग्री के बारे में आरोपितों से तहकीकात करने की जरूरतों को गिनाया। गौरतलब है कि पुलिस ने शुरू में दोनों आरोपितों के लिए 15 दिन के लिए पुलिस हिरासत की माँग की थी।

रिमांड नोट क्या कहता है?

पुलिस के कोर्ट को सौंपे गए रिमांड नोट में खास तौर से साल 2019 के आम चुनावों को नाकाम करने की साजिश से लेकर भारत के बिगड़े नक्शे के प्रसार तक कई आरोप इसमें लगाए गए हैं। स्पेशल सेल का आरोप है कि पुरकायस्थ और अन्य को भारत में असंतोष फैलाने के लिए पैसा मिला।

रिमांड नोट में जिक्र किया गया है कि प्रबीर पुरकायस्थ, नेविल रॉय सिंघम और सिंघम के स्वामित्व वाली शंघाई की कंपनी स्टारस्ट्रीम के कुछ अन्य चीनी कर्मचारियों के बीच ईमेल का लेन-देन हुआ है, जो कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को भारत के हिस्से के तौर पर न दिखाने के उनके इरादे को उजागर करता है। इन लोगों ने वैश्विक और घरेलू स्तर पर यह कहानी फैलाने की साजिश रची कि कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश विवादित क्षेत्र है।

रिमांड नोट्स में कहा गया है कि भारत की उत्तरी सीमाओं के साथ छेड़छाड़ करने और नक्शों में कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को भारत के हिस्सों के रूप में न दिखाने की उनकी कोशिश भारत की एकता और क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करने के इरादे से किया गया काम है। इसमें इस बात का भी जिक्र है कि प्रबीर पुरकायस्थ ने 2019 के आम चुनावों के दौरान चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज्म (पीएडीएस) नामक एक समूह के साथ मिलकर साजिश रची थी।

दिल्ली सेल ने आगे आरोप लगाया कि पीएडीएस का इस्तेमाल साजिश के तहत अवैध तौर से भेजे गए विदेशी फंड के करोड़ों रुपए के बदले में पेड न्यूज के जरिए झूठी बातें फैलाने के लिए किया गया था। स्पेशल सेल ने रिमांड नोट में ये भी जिक्र किया है, “कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए भारत सरकार के कोशिशों को बदनाम करने के लिए भी एक झूठी कहानी फैलाई गई है।”

स्पेशल सेल ने अपने रिमांड नोट में कहा, “यह पता चला है कि साल 2018 में पीपीके न्यूज़क्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड के स्थापित होने के बाद से ही गौतम नवलखा इसके शेयरधारक रहे हैं। नवलखा प्रतिबंधित नक्सलियों का समर्थन करने जैसी भारत विरोधी और गैरकानूनी गतिविधियों में सक्रिय तौर से शामिल रहे। उनकी पाकिस्तान के आईएसआई एजेंट गुलाम नबी फाई के साथ देश-विरोधी साँठगाँठ है। यह भी पता चला कि गौतम नवलखा और पुरकायस्थ ने 1991 में सागरिक प्रोसेस एनालिस्ट प्राइवेट लिमिटेड बनाई थी। उस वक्त से ही दोनों जुड़े हुए हैं।

रिमांड नोट में आगे कहा, “जाँच के दौरान यह भी जानकारी मिली कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी 14 अगस्त 2023 को नंबर एफ.नंबर: ईसीआईआर/14/एचआईयू/2020 के तहत पीपीके न्यूजक्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ केस दर्ज किया था। इस जाँच के दौरान ईडी ने मौजूदा एफआईआर में नामित संदिग्धों से जुड़े पीपीके के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट जब्त कर लिए थे। इनसे निकाला गया डेटा पांच हार्ड डिस्क में लिया गया था और उसका विश्लेषण किया गया था। इस डेटा में प्रबीर पुरकायस्थ,अमित चक्रवर्ती और अन्य संदिग्धों के ईमेल डंप में कुल 4.27 लाख ईमेल हैं। इसमें कथित कंपनी और कथित संदिग्धों से संबंधित बड़ी संख्या में दस्तावेज़ भी शामिल हैं।”

न्यूज क्लिक पर हुई छापेमारी

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने यह भी बताया कि आरोपितों ने अवैध विदेशी फंडिंग के जरिए से किसानों के विरोध को लंबा खींचकर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने और नष्ट करने की साजिश रची है।

दरअसल, प्रबीर पुरकायस्थ को न्यूज़क्लिक के एचआर हेड अमित चक्रवर्ती की गिरफ्तारी पुलिस के न्यूज़क्लिक परिसर और न्यूज़ पोर्टल से जुड़े कई पत्रकारों और कर्मचारियों के घरों पर छापेमारी के बाद हुई। दिल्ली पुलिस ने दोनों को 3 अक्टूबर को गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इस मामले में 17 अगस्त को न्यूज पोर्टल के खिलाफ यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 22 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 ए और 120 बी के तहत एफआईआर दर्ज की थी।

गौरतलब है कि भारत के खिलाफ चीनी प्रोपेगेंडा के लिए चीन से विदेशी फंडिंग के मामले में दिल्ली पुलिस ने 3 अक्टूबर को न्यूज़क्लिक ऑफिस पर छापा मार कर उसे सील कर दिया था। न्यूज़क्लिक से जुड़े स्थानों के अलावा इस समाचार पोर्टल से जुड़े देश भर में 40 पत्रकारों के आवासों पर भी दिल्ली पुलिस ने छापा मारा था। इनमें तीस्ता सीतलवाड, अभिसार शर्मा, परंजॉय गुहा ठाकुरता, सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी, संजय राजौरा और अन्य शामिल थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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