सुदर्शन न्यूज चैनल के एडिटर इन चीफ सुरेश चव्हाणके ने कुछ दिनों पहले अपने चैनल पर एक सीरीज लाने का ऐलान किया। उन्होंने 25 अगस्त को ट्वीट करते हुए बताया कि उनके चैनल पर 28 अगस्त से एक ऐसी सीरिज शुरू होगी, जिसमें वह कार्यपालिका के सबसे बड़े पदों (IAS-IPS) पर संप्रदाय विशेष के लोगों की बढ़ती संख्या पर बात करेंगे।
इस घोषणा के साथ उन्होंने सीरिज का परिचय देने के लिए एक वीडियो साझा की। इस वीडियो में हम उन्हें कुछ सवाल करते देख सकते हैं। वह दावा करते हैं कि उनकी सीरिज सरकारी नौकरशाही में संप्रदाय विशेष के घुसपैठ का खुलासा करेगी।
वे पूछते हैं, “आखिर अचानक संप्रदाय विशेष के लोग आईएएस, आईपीएस में कैसे बढ़ गए? सबसे कठिन परीक्षा में सबसे ज्यादा मार्क्स और सबसे ज्यादा संख्या में पास होने का राज क्या है? सोचिए, जामिया के जिहादी अगर आपके जिलाधिकारी और हर मंत्रालय में सचिव होंगे तो क्या होगा?”
#सावधान
— Suresh Chavhanke “Sudarshan News” (@SureshChavhanke) August 25, 2020
लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ कार्यपालिका के सबसे बड़े पदों पर मुस्लिम घुसपैठ का पर्दाफ़ाश.
#UPSC_Jihad #नौकरशाही_जिहाद
देश को झकझोर देने वाली इस सीरीज़ का लगातार प्रसारण प्रतिदिन. शुक्रवार 28 अगस्त रात 8 बजे से सिर्फ सुदर्शन न्यूज़ पर.@narendramodi @RSSorg pic.twitter.com/B103VYjlmt
सोशल मीडिया पर अब इसी विवादित वीडियो के कारण बवाल हो गया है। संप्रदाय विशेष के कई एक्टिविस्टों और लेफ्ट लिबरल्स ने सुरेश चव्हाण पर नफरत फैलाने का आरोप लगाया। साथ ही उनके अकाउंट को सस्पेंड करने की माँग की है। सैफ आलम नाम के वकील ने इस बीच मुंबई पुलिस में सुरेश के ख़िलाफ़ शिकायत दायर करके केस की जानकारी भी दी।
Filed a complaint against the Editor -in- chief, Sudarshan News Mr. Suresh Chavhanke under section 153A, 153B, 504, 505 (1) of IPC & s.67 of IT act at Trombay Police station (Mumbai)
— Advocate Saif Alam (@Advsaifalam) August 27, 2020
We won’t tolerate any more venoms from media against minorities. #Indiagainsthate pic.twitter.com/hN4oSTbMam
कई आईएएस-आईपीएस अधिकारियों ने भी इस ट्वीट के खिलाफ़ अपनी राय रखी। वहीं आईपीएस एसोसिएशन ने भी इस वीडियो की निंदा की है। उनके अलावा वामपंथी गिरोह के लोग भी इसे अपने लिए एक ‘मौका’ समझकर ट्वीट कर रहे हैं।
IPS एसोसिएशन व अधिकारियों का रिएक्शन
आईपीएस एसोसिएशन ने ट्वीट करते हुए लिखा, “सुदर्शन टीवी ऐसी न्यूज स्टोरी को बढ़ावा दे रहा है जिसमें सिविल सर्विस के अभ्यार्थियों को उनके धर्म के आधार पर लक्षित किया जा रहा है।”
एसोसिएशन आगे लिखता है, “हम इस प्रकार की साम्प्रदायिक और गैर जिम्मेदाराना पत्रकारिता की निंदा करते हैं।” यहाँ बता दें कि आईपीएस एसोसिएशन भारतीय पुलिस सेवा अधिकारियों का केंद्रीय समूह है। मगर यह कोई सरकारी संस्था नहीं है।
A news story targeting candidates in civil services on the basis of religion is being promoted by Sudarshan TV.
— IPS Association (@IPS_Association) August 27, 2020
We condemn the communal and irresponsible piece of journalism.
इस संस्था के अलावा कई आईपीएस अधिकारी भी है जो इस वीडियो की निंदा कर रहे हैं। जैसे आईपीएस अधिकारी निहारिका भट्ट ने इसे ‘घृणा फैलाने वाली कोशिश’ करार दिया और कहा कि धर्म के आधार पर अधिकारियों की साख पर सवाल उठाना न केवल हास्यपूर्ण है, बल्कि इसे सख्त कानूनी प्रावधानों से भी निपटा जाना चाहिए। हम सभी भारतीय पहले हैं।
A despicable attempt at hate mongering. To question the credentials of officers on the basis of religion is not only laughable, but should also be dealt with strictest legal provisions.
— Niharika Bhatt IPS (@niharika_bhatt) August 27, 2020
We are all Indians first 🇮🇳 https://t.co/6NoDA1fiAU
रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी एन.सी. अस्थाना ने भी ट्वीट कर कहा, “अखिल भारतीय सेवाओं के लिए अधिकारियों के चयन में यूपीएससी जैसी संवैधानिक संस्था की अखंडता और निष्पक्षता पर संदेह जताते हुए, वह संवैधानिक योजना के प्रति अविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं।”
It is an offence. By casting doubts on the integrity and impartiality of a constitutional body like the UPSC in the selection of officers for All-India Services, he is spreading disaffection for the constitutional scheme of governance. UPSC must respond and initiate legal action. https://t.co/UNK2MPrpOB
— Dr. N. C. Asthana, IPS (Retd) (1986-2019) (@NcAsthana) August 27, 2020
इंडियन पुलिस फाउंडेशन ने भी न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए), यूपी पुलिस और संबंधित सरकारी अधिकारियों से भी सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया।
The hate story carried on a Noida TV channel against minority candidates joining IAS /IPS is dangerous bigotry. We refrain from retweeting it because it is pure venom. We hope #NewsBroadcastingStandardsAuthority, #UPPolice and concerned government authorities take strict action.
— Indian Police Foundation (@IPF_ORG) August 27, 2020
सुरेश चव्हाणके के का जवाब
एक ओर जहाँ एसोसिएशन समेत कई अधिकारी ऐसी किसी भी सीरिज को विषैला और नफरत फैलाने वाला बता कर नकार रहे हैं। वहीं दूसरी ओर वामपंथी इस मौके का फायदा उठा कर अपना अलग एजेंडा चला रहे हैं।
Not only terror group, but the leader of all the terror groups #ZakirNaik is involved in this conspiracy. Watch #UPSC_Jihad 1st and then react #नौकरशाही_जिहाद from 28 Aug 8pm daily https://t.co/vsPSOh7NbM
— Suresh Chavhanke “Sudarshan News” (@SureshChavhanke) August 27, 2020
लेकिन ये गौर करने वाली बात है कि अभी प्रोग्राम ऑन एयर नहीं हुआ है और कोई नहीं जानता कि इसमें क्या दिखाया जाएगा। सारा बवाल सुदर्शन न्यूज के एडिटर इन चीफ की कुछ सेकेंड की वीडियो पर है। ऐसे में सुरेश चव्हाणके ने ऐसे लोगों को जवाब देते हुए कहा है कि ये प्रोग्राम आईपीएस और आईएएस अधिकारियों पर नहीं है। बल्कि चयन प्रक्रिया पर है। उनका दावा है कि इसमें जाकिर नाइक तक का हाथ है।
These right wing brain has no logic, only anti-Muslim hate. Stupid theories that Muslims are trying to become majority for years but still 14% of population. Racket going on for years still only 5% in UPSC. Not even same ratio as population.
— Sanjukta Basu (@sanjukta) August 27, 2020
वामपंथियों की राय
इस वीडियो पर बवाल होने के बाद संजुक्ता बासु ने लिखा, “दक्षिणपंथियों के दिमाग में कोई तर्क नहीं है। सिर्फ़ संप्रदाय विशेष के प्रति घृणा है। बेवकूफाना थ्योरी है कि संप्रदाय विशेष वर्षों से बहुसंख्यक बनने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन फिर भी जनसंख्या का 14% है। सालों से चल रहा रैकेट अब भी यूपीएससी में केवल 5% है। इनका जनसंख्या के समान अनुपात भी नहीं है।”
Dear @IPS_Association ,
— Tehseen Poonawalla Official (@tehseenp) August 27, 2020
I have filed a complaint against the “communal and irresponsible show” of shri @SureshChavhanke ji on @SudarshanNewsTV with the respected @CPDelhi .
Kindly request @DelhiPolice to act as per the law and take action against this hate.
Tehseen Poonawalla
तहसीन पूनावाला ने सुदर्शन चैनल पर नफरत फैलाने के लिए कार्रवाई करने की माँग करते हैं। साथ ही उनके ख़िलाफ शिकायत भी की। विजेता सिंह ने आईपीएस एसोसिएशन को सलाह दी कि सुदर्शन न्यूज चैनल नोएडा में हैं, इसलिए वे वहाँ इसके ख़िलाफ़ शिकायत करें।
बता दें, वामपंथियों की ऐसी प्रतिक्रियाओं पर कुछ यूजर्स पलटवार कर रहे हैं। लगातार इनसे पूछा जा रहा है कि विषम दिनों में ऐसा कुछ हो तो उनके लिए प्रेस फ्रीडम खतरे में आ जाती है और सामान्य दिनों में ये केस फाइल करने की सलाह देते हैं।
Odd days “press freedom under threat”….. even days “file a case” pic.twitter.com/tKwNumPV6Q
— Abhijit Iyer-Mitra (@Iyervval) August 27, 2020
वामपंथियों की प्रतिक्रिया पर पलटवार
आईपीएस/ आईएएस और बड़े बड़े अधिकारियों की आपत्ति देखकर वामपंथी पत्रकार जो अपना एजेंडा चला रहे हैं, उसको ध्वस्त करने के लिए उनकी रिपोर्ट्स के कुछ स्क्रीनशॉट शेयर किए जा रहे हैं।
कुछ पुराने मामलों पर लोगों का ध्यान आकर्षित करवा कर बताया जा रहा है कि डेटा के नाम पर हिंदुओं को टारगेट करने का काम लिबरल मीडिया लंबे समय से करता आया है। इसकी कभी कोई निंदा नहीं हुई। लेकिन, आज मौके का फायदा उठा कर यही मीडिया अधिकारियों को राय दे रहा है।
Did you condemn this? Or targetting Brahmins is a normal thing? pic.twitter.com/nh2gSJ8IJV
— Facts (@BefittingFacts) August 27, 2020
लोगों का कहना है कि पुलवामा जैसे मसले पर यही मीडिया जवानों की जाति ढूँढ लाया था और फौजियों को भी ब्राह्मण-दलित में बाँटने का प्रयास किया था।
@BefittingFacts bhai even during Pulwama attack on our brave soldiers, caravan divided fallen soldiers into Brahmins and Dalits
— विमल – कर दे जुबान केसरी (@GanjaDevgan) August 27, 2020
इसके अलावा द न्यूज मिनट के लेख का वह स्क्रीनशॉट शेयर किया जा रहा है जिसमें राजदीप ने दावा किया था कि कपिल देव के समय तक क्रिकेट अर्बन ब्राह्मण हुआ करता था। इसके बाद ऐसे ही द वायर का एक ट्वीट है जिसमें द वायर मेडिकल प्रोफेशन में ब्राह्मणों और बनिया लोगों का आधिपत्य बताने से नहीं चूकता और द कारवाँ की एक खबर में यूनिवर्सिटी के वीसी पद पर ऊँची जाति और हरिजन का मामला उठता है।
See caste in Cricket
— Facts (@BefittingFacts) August 27, 2020
See caste in Medical
See caste in University’s VC
See caste District administration
But how dare you count muslims.
Itni hypocrisy kaise kar lete ho @IPS_Association ? @arunbothra pic.twitter.com/cy6ILf7cCe
केवल यूपीएससी की बात करें, तो युगपरिवर्तन का शेयर करके सवाल उठाया जा रहा है कि आखिर हार्ड डेटा में बात करने में दिक्कत है, क्योंकि कई परीक्षाओं के इंटरव्यू स्टेज पर आकर भेदभाव साफ देखने को मिला है।
हर्ष मधुसुदन इस लेख को शेयर करते हुए गौर करवाते हुए कहते हैं, “जो मुस्लिम औसत नंबर पर चुने जाते हैं, उन्हें सामान्य कैटेगरी के अभ्यर्थी से 13 नंबर ज्यादा मिलते हैं। वहीं, एससी/ओबीसी को भी इंटरव्यू स्तर पर कम नंबर मिलते हैं (6.65 और 2.60 क्रमश:)”
There seems to be a clear bias at the interview stage.https://t.co/yqPwPYlzyr
— Harsh मधुसूदन (@harshmadhusudan) August 27, 2020
“…Muslims who are selected on average get 13 marks more than other general candidates on the interview stage…SC/OBC get less marks on interview stage (6.65 and 2.60 respectively)”
Serious charge.
बता दें कि पिछले साल जकात फाउंडेशन के 18 छात्रों ने यूपीएससी एग्जाम उत्तीर्ण किया था। इसके बाद भारतीय प्रशासन में इस्लामिक प्रभाव बढ़ता साफ नजर आया। चिंता की बात यह है कि जकात फाउंडेशन इस्लामिक सिद्धांतों पर शुरू हुआ एनजीओ है, जो छात्रों को सिविल सर्विस की परीक्षा के लिए कोचिंग भी देता है। शाह फैसल इसी कोचिंग के एलुमिनी हैं, जिन्होंने साल 2010 में सिविल परीक्षा टॉप की और भारत को बाद में रेपिस्तान कहा।