सुप्रीम कोर्ट ने सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में न्यूज 18 इंडिया के पत्रकार और एंकर अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज कई एफआईआर में जाँच और कार्रवाई करने पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। इसके साथ ही शुक्रवार (जून 26, 2020) को सुनावाई के दौरान कोर्ट ने राज्य व शिकायतकर्ताओं को नोटिस जारी करते हुए आठ जुलाई तक जवाब माँगा है।
कोर्ट में अमीश देवगन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि उनके मुवक्किल ने अपने शो के दौरान अनजाने में गलती की थी। जिसके लिए उन्होंने बाद में सार्वजनिक तौर पर माफी भी माँगी थी। लेकिन पत्रकार के खिलाफ ‘जुबान फिसलने’ के कारण एफआईआर दर्ज करना अन्यायपूर्ण है और उत्पीड़न के दायरे में है।
लूथरा ने कहा कि अगर ऐसा होने लगे, जहाँ लोगों को जुबान फिसलने के कारण ऐसी समस्या का सामना करना पड़े तो क्या होगा? लोग गलती करते हैं। उन्होंने माफी भी माँगी है।
उन्होंने कहा कि देवगन के खिलाफ राजस्थान, महाराष्ट्र और तेलंगाना में कई एफआईआर दर्ज की गई हैं और अगर एफआईआर के सिलसिले में उन्हें देश भर में अलग-अलग जगहों पर पेश होने के लिए कहा जाता है, तो यह उनके लिए गंभीर पूर्वग्रह पैदा करेगा। लूथरा ने कहा कि उनके परिवार के सदस्यों को भी धमकाया और परेशान किया जा रहा है।
महाराष्ट्र के दो शिकायतकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील रिजवान मर्चेंट ने कहा कि देवगन ने अपने शो के दौरान एक बार से ज्यादा “लुटेरा चिश्ती” शब्द का इस्तेमाल किया।
अमीश के खिलाफ शिकायतों और देश भर में एक के बाद एक एफआईआर दर्ज होने पर सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ दायर सभी एफआईआर पर रोक लगाने और उन्हें खारिज करने की माँग करते हुए एक याचिका दायर की गई थी, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई हुई।
गौरतलब है कि 15 जून को अपने शो ‘आर पार’ पर पूजा स्थल विशेष प्रावधान अधिनियम के संबंध में पीआईएल के बारे में एक बहस की मेजबानी करते हुए, अमीश ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, जिन्हें ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के रूप में जाना जाता है, उन्हें “हमलावर” और “लुटेरा” कहकर बुलाया था।
इसके बाद, एंकर के खिलाफ देश भर में कई पुलिस शिकायतें और एफआईआर दर्ज की गईं। विवादास्पद इस्लामिक संगठन रज़ा अकादमी, जिसे आज़ाद मैदान दंगों में शामिल होने के लिए जाना जाता है, ने भी अमीश देवगन के खिलाफ धारा 295 ए, 153 ए, 34, 120 बी और 505 (2) के तहत FIR दर्ज करवाई।
हालाँकि, अमीश देवगन ने सूफी संत को “लुटेरा” के रूप में संदर्भित करने के लिए भी माफी माँगी थी और इसे “अनजाने में हुई गलती बताया था। उन्होंने सार्वजनिक रुप से माफी माँगते हुए ट्विटर पर लिखा था, “मेरे एक डिबेट में मैंने अनजाने में खिलजी को चिश्ती कह दिया। इस गलती के लिए मैं तहेदिल से माफी माँगता हूँ। इससे सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती, जिनका मैं सम्मान करता हूँ, उनके अनुयायियों को दुख हो सकता है। मैंने इस दरगाह पर दुआएँ माँगी हैं। मुझे अपनी गलती पर खेद है।“
मगर इसके बावजूद उनके खिलाफ एफआईआर करवाए गए और कट्टरपंथियों ने तो उन्हें हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या की बात याद दिलाई।