सुप्रीम कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने शुक्रवार (नवंबर 27, 2020) को कहा कि महाराष्ट्र पुलिस द्वारा दायर एफआईआर के प्रथम मूल्यांकन में अन्वय नाइक सुसाइड केस में आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप स्थापित नहीं होते।
शुक्रवार को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की अध्यक्षता वाली बेंच ने अर्णब को दी गई अंतरिम बेल के लिए विस्तृत कारण बताते हुए अपना फैसला सुनाया।
SC passes order giving detailed reasons for interim bail granted to Republic TV editor-in-chief Arnab Goswami on Nov 11 in the abetment to suicide case, and says that prima facie evaluation of FIR lodged by Maharashtra police doesn’t establish the charge against him
— ANI (@ANI) November 27, 2020
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस, अन्वय नाइक सुसाइड केस में रिपब्लिक टीवी प्रमुख के खिलाफ आरोप सिद्ध नहीं कर पाए, इसलिए ये जरूरी था कि अर्णब को जमानत दी जाए। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया अर्णब गोस्वामी के खिलाफ़ दर्ज एफआईआर और आईपीसी की धारा 306 के अंतर्गत कोई नेक्सस नहीं मिला।
कोर्ट ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता है कि अपीलकर्ताओं ने आर्किटेक्चरल फर्म के मुखिया को आत्महत्या के लिए उकसाया। सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर वह प्रथम दृष्टया इसका अवलोकन कर रहे थे, तो क्या उन्हें यह नहीं दिखा कि एफआईआर और धारा 306 के बीच कोई संबंध नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी को बेल देने के मामले में हाइकोर्ट के इंकार पर उन्हें फटकारा और उनसे फाइनल कॉल लेने को कहा कि एफआईआर रद्द होनी चाहिए या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बॉम्बे HC एक नागरिक की स्वतंत्रता की रक्षा करने में अपना कर्तव्य निभाने में नाकाम रहा, जो शिकायत कर रहा था कि उसे उसके टीवी चैनल में व्यक्त किए गए विचारों के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा टार्गेट किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतों को यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्य आपराधिक कानून का इस्तेमाल नागरिकों को परेशान करने या उनकी स्वतंत्रता को खतरे में डालने के लिए एक उपकरण के रूप में न करे।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए यह भी कहा कि आपराधिक कानून, उत्पीड़न का औजार नहीं बनना चाहिए, जमानत मानवता की अभिव्यक्ति है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जमानत का उपाय न्याय प्रणाली में मानवता की एकमात्र अभिव्यक्ति है।
A Supreme Court Bench headed by Justice DY Chandrachud to pronounce Today the Judgement giving reasons for the interim bail to #ArnabGoswami on November 11 in the Abetment Suicide case@republic @MumbaiPolice pic.twitter.com/5VDJTMIait
— Live Law (@LiveLawIndia) November 27, 2020
न्यायालय ने कहा कि अगर किसी की निजी स्वतंत्रता का हनन हुआ हो तो वह न्याय पर आघात होगा। पीठ ने कहा, “उन नागरिकों के लिए इस अदालत के दरवाजे बंद नहीं किए जा सकते, जिन्होंने प्रथम दृष्टया यह दिखाया है कि राज्य ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया।”
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने जमानत आवेदनों की संख्या के संबंध में राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के लंबित आँकड़े भी सामने रखे। उन्होंने कहा कि हर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को इन डेटा का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि वह न्यायसंगत रूप से न्याय दें सकें। उदारता केवल कुछ लोगों के लिए उपहार नहीं है। कोर्ट ने अपीलों का निपटारा करते हुए कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आगे की कार्यवाही तक लागू रहेगा।
अर्णब गोस्वामी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को बताया फर्जी
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी काफी भावुक हो गए। उन्होंने ऑपइंडिया से बात करते हुए कहा कि जो केस उनके खिलाफ दर्ज हुआ, वो बिलकुल गलत है और गढ़ा गया है। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का फैसला बताते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने साबित कर दिया है कि उन्हें अवैध तरीके से पकड़ा गया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को इतिहास में याद रखा जाने वाला कहा। इसके साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस के लिए कहा कि उन्हें ताकत का गलत इस्तेमाल करके रिपब्लिक को टारगेट करना बंद कर देना चाहिए।
11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दी थी गोस्वामी को जमानत
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ को जमानत देकर रिहा किया था। कोर्ट ने गोस्वामी की जमानत याचिका पर फैसला सुनाते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को तकनीकी आधार पर गलत बताया था। कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी और दो अन्य आरोपितों को 50,000 रुपए के बांड पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया था। वहीं पुलिस आयुक्त को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया था कि आदेश का तुरंत पालन किया जाए।
याद दिला दें कि महाराष्ट्र पुलिस ने अर्णब को 4 नवंबर को अन्वय नाइक मामले में गिरफ्तार किया था। अन्वय ने अपने सुसाइड केस में अर्णब पर उनका बकाया पैसा न चुकाने का आरोप मढ़ा था। बाद में रायगढ़ पुलिस ने इस केस में 2019 में क्लोजर रिपोर्ट के साथ बंद हुए मामले को खोलते हुए अर्णब के खिलाफ़ कार्रवाई शुरू की थी।