Tuesday, December 3, 2024
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बकरों के कटने से दिक्कत नहीं, दिवाली पर ‘राम-सीता बचाने नहीं आएँगे’ कह रही थी पत्रकार तनुश्री पांडे: वायर-प्रिंट में कर चुकी हैं काम, अब शाकाहारियों पर भड़कीं

उन्हें दिवाली पर अचानक पशु-पक्षियों की चिंता सताने लगती है और वो पटाखों के विरोध में उतर जाती हैं। 'मज़े करो और खुश रहो' वाली उनकी थ्योरी सिर्फ मुस्लिमों के त्योहारों के लिए है।

बकरीद के दौरान सोशल मीडिया पर तथाकथित बुद्धिजीवियों के एक वर्ग द्वारा शाकाहारियों को गाली दी जा रही है, जीव-हत्या का विरोध करने वालों को नीचा दिखाया जा रहा है। असल में नलिनी उनगर नामक एक महिला ने शाकाहारी थाली की तस्वीर डाली, जिसमें चावल और पनीर के अलावा कुछ अन्य खाद्य पदार्थ थे। उन्होंने लिखा कि उनकी थाली क्रूरता, आँसू और पाप से मुक्त है। तनुश्री पांडे को ये पसंद नहीं आया। उन्होंने इस ट्वीट पर उन्हें भला-बुरा कहना शुरू कर दिया।

तनुश्री पांडे ने लिखा, “ऐसा कुछ होगा जो बिना तुलना किए, बिना प्रतियोगिता किए और बिना दूसरों को छोटा दिखाए किया जा सकेगा? जो खाना है खाओ। मजे करो और खुश रहो। क्या ये उठा कठिन है? ईद मुबारक है आपको भी।” असल में तनुश्री पांडे को दिक्कत इस बात से है कि बकरीद पर दुनिया भर में कटने वालों लाखों बकरों के संबंध में चर्चा क्यों की जा रही है। कई मुस्लिम बहुल इलाकों में बकरीद वाले दिन खून की नदियाँ बहने लगती हैं।

यहाँ ये जानना ज़रूरी है कि बकरीद के दौरान कोई भी तुलना या प्रतियोगिता न चाहने वाली तनुश्री पांडे हिन्दुओं के त्योहार दीपावली के दौरान पलट जाती हैं। उन्हें दिवाली पर अचानक पशु-पक्षियों की चिंता सताने लगती है और वो पटाखों के विरोध में उतर जाती हैं। ‘मज़े करो और खुश रहो’ वाली उनकी थ्योरी सिर्फ मुस्लिमों के त्योहारों के लिए है। उस दौरान उन्होंने लिखा था, “राम-सीता तुम्हें प्रदूषण से बचाने के लिए नहीं आएँगे। अगली बार साफ़-स्वच्छ दिवाली मनाइए।”

क्या बकरीद पर वो मुस्लिमों को ये सलाह नहीं दे सकतीं कि बिना खून वाली स्वच्छ बकरीद मनाएँ? फिर हिन्दुओं के पर्व पर ही ज्ञान क्यों उड़ेला उन्होंने और मुस्लिमों के वक्त ‘जो जैसा करता है करने दो’ वाली थ्योरी कहाँ से आ गई अचानक? अब लोग तनुश्री पांडे को याद दिला रहे हैं कि दिवाली के दौरान उन्होंने क्या कहा था। वैसे भी वो ‘द वायर’, ‘द प्रिंट’ और पूर्व वाली NDTV में काम कर चुकी हैं, इससे आप समझ सकते हैं कि वो किस तरह की ‘पत्रकार’ होंगी।

हाल ही में जम्मू कश्मीर के रियासी में शिव खोड़ी मंदिर से लौट रहे श्रद्धालुओं की बस पर हुए हमले में बच्चों-महिलाओं समेत 10 मारे गए। तनुश्री पांडे ने इस मामले में भी आतंकवादियों की पैरवी की। उन्होंने आतंकियों को ‘विदेशी’ बताया और श्रद्धालुओं के धर्म की चर्चा तक नहीं की जिस वजह से उन्हें निशाना बनाया गया था। वो खुद फिलिस्तीनियों के लिए ‘All Eyes On Rafah’ का ट्रेंड चलाती हैं, लेकिन जब लोगों ने रियासी हमले को लेकर ये ट्रेंड चलाया तो उन्हें पसंद नहीं आया

इसी तरह उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दलित लड़की के बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में उन्होंने सनसनी फैलाई थी। एक लीक हुए ऑडियो से पता चला था कि तनुश्री पांडे ने मृतका के पिता पर दबाव बनाया था कि व ये कहें कि धमकी के कारण उन्होंने जाँच से संतुष्ट होने की बात कही है। तनुश्री पांडे इसी तरह जहाँगीरपुरी में हनुमान यात्रा पर हुए हमलों को लेकर भी ‘छोटी जाति के हिन्दुओं’ को दोषी बता चुकी हैं। उन्होंने उस दौरान भी पत्थरबाजी की घटना के व्हाइटवॉश का प्रयास किया था

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ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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