शेखर गुप्ता और उनके प्रोपेगेंडा पोर्टल ‘दी प्रिंट’ ने दक्षिणपंथी समाचार पोर्टल ‘स्वराज्य मैगजीन’ की जर्नलिस्ट स्वाति गोयल शर्मा पर एक कथित ‘विचार’ प्रकाशित किया, जिस पर हुए भारी विरोध के बाद आखिर में ‘दी प्रिंट’ को माफ़ी माँगते हुए अपनी वेबसाइट से चुपके हटाना पड़ा।
दरअसल, दी प्रिंट ने एक रिपोर्ट प्रकाशित करते हुए इसमें स्वाति गोयल शर्मा का नाम घसीटते हुए ‘लव जिहाद’ पर की गई उनकी रिपोर्टिंग के तरीकों पर कई तरह के आरोप लगाए थे। लेकिन स्वाति गोयल ने ना सिर्फ दी प्रिंट के अजेंडा को बेनकाब किया बल्कि उन्हें जमकर लताड़ा भी।
दी प्रिंट ने एक रिपोर्ट (विचार) प्रकाशित की जिसमें उन्होंने स्वाति गोयल शर्मा पर आरोप लगे कि उन्होंने ट्विटर पर ‘लव-जिहाद’ का कैम्पेन चलाया। यही नहीं, दी प्रिंट ने अपनी इस रिपोर्ट में स्वाति गोयल शर्मा पर आरोप लगाया कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड में पीड़िता और आरोपितों की जाति को भी विवादित तरीके से पेश किया।
1 अक्टूबर को, शेखर गुप्ता के ‘दी प्रिंट’ ने यह ‘विचार’ प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने स्वाति गोयल शर्मा पर हाथरस हत्या मामले में जाति के नजरिए को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। साथ ही, उन्होंने ट्विटर पर ‘लव जिहाद’ के बारे में ‘एक अभियान चलाने’ के लिए भी स्वाति गोयल को निशाना बनाया और कहा कि उन्होंने ‘लव’ में ‘जिहाद’ देखा।
स्वाति गोयल शर्मा ने अपने ट्विटर अकाउंट पर शेखर गुप्ता को टैग किया और ‘दी प्रिंट’ की इस रिपोर्ट के स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा, “यह गटर के स्तर की चीज है। क्या आपके कम अनभिज्ञ लेखकों की यह आदत है और उनके काम की जाँच के बिना ही उन पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाते हैं? आपने आईआईटी-कानपुर के वाशी शर्मा के साथ भी ऐसा ही किया और बाद में माफी माँगी थी।”
Your ill-read writer must provide proof of where I denied caste angle in Hathras or apologise, @ShekharGupta. Unless you approve of such hit-jobs yourself. I am not even going to other points yet.
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) October 1, 2020
स्वाति शर्मा ने लिखा, “तुम्हारे अनपढ़ लेखक मुझे यह स्पष्ट करें कि मैंने हाथरस मामले में जाति की बात को कब नकारा या फिर माफ़ी माँगे।”
प्रिंट के इस लेख का शीर्षक था – “आप हाथरस बलात्कार के बारे में अन्य बलात्कारों को भी रखते हुए बात नहीं कर सकते – आईटी सेल की व्हाटअबाउट्री को धन्यवाद।”
‘व्हाटअबाउट्री’ का सामान्य शद्बों में अर्थ गुमराह करने की कला होता है। इस ‘विचार’ में स्वाति शर्मा पर यह कहते हुए हमला किया गया कि जब वह ‘लव’ में ‘जिहाद’ देख सकती हैं, तो वह ‘जाति के नजरिए’ को नहीं देख पाई क्योंकि ‘4 ऊँची जाति के पुरुषों ने एक दलित महिला का बलात्कार किया था’।
‘दी प्रिंट’ ने जो लिखा है, वह ट्विटर पर पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा द्वारा साझा किए गए इन स्क्रीनशॉट्स में देखा जा सकता है –
दिलचस्प बात यह है कि, ‘दी प्रिंट’ इस लेख को प्रकाशित करने से पहले मूल तथ्यों की भी जाँच नहीं कर पाए। स्वाति गोयल शर्मा एक ग्राउंड रिपोर्टर हैं, जिन्होंने दलितों के अधिकारों और उनके खिलाफ अपराधों के बारे में कई मामले सामने रखे हैं। यहाँ तक कि वह दलित कार्यकर्ता संजीव नेवार या अज्ञेय के साथ एक एनजीओ भी चलाती हैं।
स्वाति गोयल शर्मा द्वारा दी प्रिंट के झूठ को उजागर करने के बाद ‘दी प्रिंट’ ने चुपचाप अपने इस ‘विचार’ को हटा दिया। लेकिन तब तक स्वाति गोयल शर्मा लेख के स्क्रीनशॉट ले चुकी थीं। स्वाति गोयल शर्मा ने ट्विटर पर लिखा कि उन्हें ख़ुशी है कि यह लेख हटा लिया गया है लेकिन लेखक फैक्ट चेक करने का ध्यान अवश्य रखें।
I am glad, @ShekharGupta, that the piece has been pulled down. Only hope that the writers will do a better job at fact-checking the next time. pic.twitter.com/0JTI7IWIXW
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) October 1, 2020
यह देखने के बाद कि ‘दी प्रिंट’ का प्रोपेगेंडा बेनकाब हो चुका है, उन्होंने एक ट्वीट के माध्यम से स्वाति गोयल शर्मा से माफ़ी माँगी जिसमें कि डिलीट भी स्क्रीनशॉट रह गया था। दी प्रिंट ने अपने आर्टिकल की ही तरह फिर इस ट्वीट को भी डिलीट किया और दोबारा ट्वीट किया और इस बार स्वाति गोयल के ट्वीट को इसमें लिंक नहीं किया।
Thanks for your feedback @swati_gs. We have re-checked and find that the opinion piece with references to you indeed contained errors. It shouldn’t have got past our editorial filters. We have unpublished it, and apologise to you for it.
— ThePrintIndia (@ThePrintIndia) October 1, 2020
हाथरस कांड
मंगलवार (सितम्बर 29, 2020) की सुबह दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता की मौत के बाद से हाथरस मामले को लेकर काफी बहस और राजनीतिक उथल-पुथल देखी जा सकती हैं। हाथरस पुलिस ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘जबरन यौन क्रिया’ अभी तक भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पुष्टि नहीं हो पाई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला घोंटने से मौत को मौत का कारण बताया गया था।
मंगलवार को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में एक कथित सामूहिक बलात्कार पीड़िता की मौत हो गई। उसके साथ दो सप्ताह पहले कथित तौर पर बलात्कार किया गया था। इस मामले ने देशव्यापी आक्रोश देखा जा रहा है। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि हाथरस पुलिस ने परिवार के सदस्यों की सहमति के बिना मंगलवार रात लड़की का जबरन अंतिम संस्कार कर दिया। हालाँकि, पुलिस ने बाद में कहा था कि दाह संस्कार के दौरान पीड़िता के पिता मौजूद थे।