कोरोना पर योगी सरकार के ख़िलाफ़ एक फर्जी खबर चलाने के मामले में कल द वायर पर केस दर्ज होने के बाद स्वघोषित फैक्ट चेकर प्रतीक सिन्हा इस पर बौखला उठा। फर्जी फैक्ट चेकर ने अपने जात भाई का बचाव करते हुए पहले सरकार और न्यूज एजेंसी ANI पर सवाल उठाए और फिर प्रेस स्वतंत्रता को इससे जोड़ दिया।
गौरतलब है कि द वायर के ख़िलाफ़ केस दर्ज करने से पहले योगी सरकार ने प्रोपेगेंडा वेबसाईट ‘दी वायर’ के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन को चेतावनी देते हुए कहा था कि वह अपनी फर्जी खबर को डिलीट करें, वरना इस पर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन इसके बावजूद भी द वायर ने ऐसा नहीं किया।
इसके बाद, फर्जी खबर को वेबसाइट से न हटाने पर योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने ट्वीट करते हुए लिखा- “हमारी चेतावनी के बावजूद इन्होंने अपने झूठ को ना डिलीट किया, ना माफ़ी माँगी। कार्यवाही की बात कही थी, FIR दर्ज हो चुकी है, आगे की कार्यवाही की जा रही है। अगर आप भी योगी सरकार के बारे में झूठ फैलाने की सोच रहे हैं, तो कृपया ऐसे ख़्याल दिमाग़ से निकाल दें।”
उल्लेखनीय है कि सिद्धार्थ वरदराजन के ‘द वायर’ ने न सिर्फ़ एक गलत जानकारी दी बल्कि चेतावनी के बावजूद उसे नहीं हटाया। जिसका सीधा अर्थ है कि वो एक गलती मात्र नहीं थी बल्कि ऐसी खबरों का प्रयोग प्रोपेगेंडा के लिए किया जा रहा था। इस खबर को पैदा किया गया क्योंकि निज़ामुद्दीन मरकज के कारण पूरे देश में मौलवियों और तबलीगी जमात पर थू-थी हो रही है।
झूठ फैलाने का प्रयास ना करे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कभी ऐसी कोई बात नहीं कही है। इसे फ़ौरन डिलीट करे अन्यथा इस पर कार्यवाही की जाएगी तथा डिफ़ेमेशन का केस भी लगाया जाएगा। वेबसाईट के साथ-साथ केस लड़ने के लिए भी डोनेशन माँगना पड़ेगा फिर। https://t.co/2rEJmToLIh
— Mrityunjay Kumar (@MrityunjayUP) April 1, 2020
अब हालाँकि, ये बात सब जानते (सेकुलर गिरोह के लोगों को छोड़कर) हैं कि द वायर का अजेंडा हमेशा से एक ही दिशा में केंद्रित रहा है। इसीलिए सरकार की चेतावनी के बाद भी वे इसे नजर अंदाज करते रहे। मगर, अब जब सरकार ने उनके ख़िलाफ़ कड़ा एक्शन ले लिया तो ऐसे में एक स्वघोषित फैक्टचेकर का, अपने ‘जात भाई’ के बचाव में आना, लाजमी है।
ANI has misreported many times, but the editor was invited to a special video conf with the PM. So have other mainstream media orgs who were also on the conf with the PM. Will this pandemic also see further curbing of press freedom to cover up the impact of an unplanned lockdown? https://t.co/ANQzB44nqa
— Pratik Sinha (@free_thinker) April 1, 2020
एएनआई द्वारा द वायर पर दर्ज हुए केस की जानकारी देने वाले पोस्ट पर प्रतीक ने अपनी नफरत निकाली। सिन्हा ने लिखा, “एएनआई ने कई बार गलत रिपोर्ट की। लेकिन फिर भी इसके संपादक को पीएम स्पेशल विडियो कॉन्फ्रेंस में बुलाते रहे। इसके अलावा कई अन्य मीडिया संगठन हैं, जिन्हें पीएम के साथ कॉन्फ्रेंस में बुलाया गया। अब क्या ये महामारी एक अनियोजित लॉकडाउन के प्रभाव को कवर करने के लिए प्रेस की स्वतंत्रता पर और अंकुश लगाएगी?”
बता दें कि स्वघोषित फैक्टचेकर की कई करामातों में से सबसे ताजातरीन जामिया के दंगाई छात्रों के हाथ के पत्थर को पर्स/वॉलेट बताना शामिल है। उसी शृंखला में ये आदमी मतिभ्रष्ट हो कर यह नहीं कह रहा कि ‘वायर’ ने जो लिखा वो झूठ है, बल्कि उसका जोर इस पर है कि मामला कैसे दर्ज हो गया। यहाँ ऑल्टन्यूज यह बताना चाह रहा है कि अभी कोरोना के समय, जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मीडिया वाले झूठ न फैलाएँ, वरदराजन का प्रपंच फैलाना गलत नहीं है, लेकिन हाँ झूठ पकड़े जाने पर पुलिस द्वारा मामला दर्ज करना अभिव्यक्ति को दबाने जैसा है।