‘न्यूज़ नेशन’ के कंसल्टिंग एडिटर दीपक चौरसिया को पालघर पर सच्चाई सामने लाने के कारण लगातार धमकियाँ मिल रही हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें पत्रकारिता में आए 30 साल हो गए लेकिन उन्हें अब तक कभी ऐसी धमकियाँ नहीं मिली हैं। पत्रकार दीपक चौरसिया ने बताया कि उन्होंने इन धमकियों को लेकर एफआईआर (FIR) भी दर्ज कराई है।
दीपक चौरसिया ने आशंका जताई है कि पालघर मुद्दे पर आवाज़ उठाने के लिए उनके विरुद्ध ऐसा किया जा रहा है। उन्होंने उन धमकियों के स्क्रीन शॉट्स भी शेयर किए। ट्विटर पर ये सब शेयर करते हुए दीपक ने लिखा कि वो न तो इन सबसे डरने वाले हैं और न ही रुकने वाले हैं।
उन्होंने कहा कि जब तक उनके भीतर साँस है, तब तक वो इन मुद्दों पर आवाज़ उठाते रहेंगे। उन्होंने उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर थाने में FIR दर्ज कराई है। उनका कहना है कि पिछले कुछ दिनों से उन्हें फोन पर लगातर धमकियाँ मिल रही हैं और इनमें से अधिकतर नम्बर महाराष्ट्र के हैं।
चौरसिया ने कहा कि पालघर की वीभत्स घटना पर उन्होंने कई शो किए हैं, इसीलिए उन्हें परेशान किया जा रहा है। व्हाट्सएप्प पर उन्हें अभद्र और आपत्तिजनक भाषा में धमकियाँ मिल रही हैं। उन्होंने दावा किया कि ‘न्यूज़ नेशन’ चैनल लगातार सच्चाई सामने ला रहा है, इसीलिए उनकी आवाज़ दबाने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने बताया कि उन्हें पत्रकारिता का धर्म निभाने और समाज के लिए उनके दायित्वों की पूर्ति करने से दूर करने के लिए ये सब किया जा रहा है।
क़रीब 30 साल हो गए काम करते करते, ऐसी धमकियां कभी नहीं मिलीं। FIR करानी पड़ गई। लेकिन मौलाना साद और पालघर कांड पर मैं खामोश नही रहूंगा। न डरूंगा, न रुकूँगा। सांस रहेगी, तब तक आवाज़ रहेगी। जय हिंद। #MaulanaSaad #TablighiJamaat #PalgharMobLynching pic.twitter.com/sYig5joGsz
— Deepak Chaurasia (@DChaurasia2312) May 10, 2020
दीपक चौरसिया ने पुलिस को दी गई शिकायत में कहा है कि जब से उन्होंने ‘रिपब्लिक टीवी’ के पत्रकार अर्नब गोस्वामी के खिलाफ आवाज उठाने वालों के खिलाफ ट्वीट किया है, तब से उन्हें मिलने वाली धमकियों की संख्या बढ़ गई है।
बता दें कि पालघर साधुओं की हत्या के बाद पुलिस ने कई घंटों तक शवों की सुध नहीं ली थी। शव उस रात करीब 9 घंटे तक सड़क पर लावारिस पड़े रहे। ‘न्यूज नेशन’ के कंसल्टिंग एडिटर दीपक चौरसिया ने इस बात का खुलासा पालघर मामले में चश्मदीद फॉरेस्ट गार्ड का हवाला देकर किया था।
उन्होंने दावा किया था, “पालघर संतों की क्रूर और निर्मम हत्या के बाद उनकी देह 9 घंटे तक सड़क पर लावारिस पड़ी रही। दरअसल पुलिस वाले हत्या के बाद भाग खड़े हुए थे। रात भर ड्राइवर और दो संतों की हत्या के बाद भी पुलिस ने सुध नहीं ली।”