फ़ेक न्यूज़ प्रकाशित करने के लिए वामपंथी प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘स्क्रॉल’ की संपादक ( Executive editor) सुप्रिया शर्मा के खिलाफ उत्तर प्रदेश में FIR दर्ज कराई गई है। सुप्रिया के ख़िलाफ़ अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC / ST act) के तहत FIR दर्ज की गई है। वामपंथी प्रोपेगेंडा वेबसाइट स्क्रॉल की संपादक सुप्रिया शर्मा ने कोरोना वायरस के दौरान जारी लॉकडाउन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के एक गाँव की एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी।
The @varanasipolice has booked senior journalist @sharmasupriya of @scroll_in on charges like defamation and sections of the SC / ST act after a complaint by a woman who was a case study in a recent story filed by Supriya from a village adopted by PM Modi in the east UP city…. pic.twitter.com/HOliJDNsTb
— Alok Pandey (@alok_pandey) June 18, 2020
सुप्रिया शर्मा के खिलाफ यह एफ़आईआर वाराणसी के रामनगर पुलिस स्टेशन में 13 जून को दर्ज की गई है। एफ़आईआर के मुताबिक़, पुलिस ने सुप्रिया के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 501 (मानहानिकारक मामलों का प्रकाशन) और 269 (बिमारी से संक्रमण फैलने की आशंका में बरती गई लापरवाही) के तहत भी मुक़दमा दर्ज किया है।
रामनगर पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराने वाली माला देवी ने आरोप लगाया है कि पत्रकार सुप्रिया शर्मा ने अपनी रिपोर्ट में उनके बयान को गलत तरीके से प्रकाशित किया है और झूठे दावे किए हैं।
स्क्रॉल की संपादक द्वारा PM मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कोरोना वायरस को लेकर जारी लॉकडाउन के प्रभावों पर आधारित एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई, जिसका शीर्षक था- “प्रधानमंत्री के गोद लिए गाँव में लॉकडाउन के दौरान भूखे रह रहे लोग”
UP Police Registers First Information Report against https://t.co/XXCi09oXvO’s executive editor @sharmasupriya for a report on the effects of the country’s lockdown to combat the coronavirus in the prime minister’s constituency pic.twitter.com/sShQcwsCyn
— Live Law (@LiveLawIndia) June 18, 2020
‘स्क्रॉल’ की संपादक सुप्रिया शर्मा ने डोमरी गाँव, जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया है, में एक इंटरव्यू के दौरान वहाँ की रहने वाली माला के बारे में बताया था कि वह घरों में काम करती हैं और लॉकडाउन के दौरान उन्हें भोजन की किल्लत हो रही है और उनके पास राशन कार्ड भी नहीं है।
जबकि माला देवी द्वारा दायर की गई FIR में उन्होंने कहा है कि वह किसी के घर में काम नहीं करती हैं, और ‘स्क्रॉल’ की पत्रकार ने उनकी टिप्पणियों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया है।
शिकायतकर्ता माला देवी ने FIR में कहा है कि वह वाराणसी की नगरपालिका में ठेके पर सफाई कर्मी हैं, और उन्होंने लॉकडाउन के दौरान किसी भी संकट का सामना नहीं किया और उनके पास पर्याप्त भोजन भी उपलब्ध था।
माला ने कहा, “सुप्रिया शर्मा ने मुझसे लॉकडाउन के बारे में पूछा, मैंने उन्हें बताया कि न तो मुझे और न ही मेरे परिवार में किसी को कोई समस्या है।”
एफ़आईआर में माला देवी ने कहा है कि उन्हें और उनके बच्चों को भूखा बताकर सुप्रिया शर्मा ने उनकी गरीबी और जाति का मजाक उड़ाया है। साथ ही, उन्होंने समाज में उनकी भावनाओं और प्रतिष्ठा को भी चोट पहुँचाई है।
हालाँकि, इस FIR के बारे में ‘स्क्रॉल’ ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि यह FIR सिर्फ उन पर लॉकडाउन की खबरों को प्रकाशित करने की कीमत है और वह अभी भी इस रिपोर्ट के समर्थन में हैं।