भारत और चीन के सैनिकों के बीच गलवान घाटी में हुए संघर्ष को 1 साल पूरे हो चुके हैं। भारतीय जवानों ने देश की जमीन पर साम्राज्यवादी चीन के कब्जे की कोशिशों को नाकाम किया था। चीन ने इसके बाद हेकड़ी दिखाई थी, लेकिन सख्त मोदी सरकार ने उसके सामने झुकने से इनकार करते हुए सीमा पर सुरक्षा बढ़ाई और ड्रैगन पर डिजिटल स्ट्राइक किया। अब पता चला है कि43% भारतीय नागरिकों ने पिछले 1 साल में कोई चीनी उत्पाद नहीं खरीदे।
एक सर्वे से ये खुलासा हुआ है, जो बताता है कि भारतीय सैनिकों के बलिदान के बाद चीनी सामान के बहिष्कार की अपील सफल रही और लोगों ने स्वेच्छा से चीन की कंपनियों के उत्पाद नहीं खरीदे। इस अवधि में जिन लोगों ने चीनी सामान खरीदे भी, उनमें से भी 60% का कहना है कि उन्होंने चीन में बने 1-2 से ज्यादा उत्पाद नहीं खरीदे। कम्युनिटी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म LocalCircles ने इस सम्बन्ध में सर्वे कराया था।
ये रुझान भारत के लिए भी सुखद हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता देने और उनके प्रति लोगों में रुचि पैदा करने का अभियान चला रखा है। चीन की सैकड़ों वेबसाइटों और ऐसे एप्स को बंद किया गया, जिन्होंने भारत सरकार के नियमों के हिसाब से चलना उचित नहीं समझा या जिन पर शक था कि वो भारतीय नागरिकों का डेटा चीन के साथ साझा करते हैं।
TikTok जैसे एप्स को बैन करने के कारण भारत विरोधी चीनी प्रोपेगंडा भी धीमा पड़ा। नवंबर 2020 के फेस्टिव सीजन में LocalCircles ने सर्वे कराया तो पाया कि पर्व-त्योहारों के दौरान खरीददारी में भी 71% ऐसे थे, जिन्होंने चीन के उत्पादों में कोई रुचि नहीं दिखाई। हालिया सर्वे में देश के 281 जिलों के 18,000 लोगों की राय ली गई। लेकिन, चीन की सामान खरीदने का कारण अब भी उसका कम दाम में बेहतर प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराना बना हुआ है।
चीन में निर्मित माल खरीदने वालों में से 70% ने यही कहा कि उन्होंने ‘वैल्यू फॉर मनी’ की वजह से ये प्रोडक्ट्स खरीदे, क्योंकि उन्हें लगता था कि कम मूल्य में ज्यादा फीचर्स वाले प्रोडक्ट्स चीन उपलब्ध करा रहा है। कुछ लोगों ने चीन में बनी वस्तुओं के यूनिक और आकर्षक होने की भी बात कही। चीन का उत्पाद ख़रीदने वालों में 14% ने 3-5 तो 7% ने 5-10 चीन निर्मित आइटम्स की खरीददारी की।
बता दें कि चीन निर्मित इलेक्ट्रिकल उत्पाद, एप्लायंसेज, फार्मा-ड्रग्स और मोबाइल फोन्स जैसी वस्तुओं के लिए भारत अब भी एक बड़ा बाजार बना हुआ है। भारत के ‘इंटरमीडिएट गुड्स इम्पोर्ट्स’ में चीन का शेयर 12% है। कैपिटल गुड्स के मामले में ये आँकड़ा 30% और कंज्यूमर गुड्स के मामले में 26% है। LocalCircles का कहना है कि ग्राहकों के मन में बड़ा बदलाव भले गलवान संघर्ष के बाद आया हो, लेकिन भारतीय प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता और मूल्य ठीक रहे तो वो अपने इस रुख पर कायम रहेंगे।
Galwan Valley clash: 43% Indians avoided Chinese items in last 12 months https://t.co/ztkWiDr5JI
— Business Today (@BT_India) June 15, 2021
रिपोर्ट्स से पता चला था कि इस संघर्ष में चीन के 45 सैनिक भी मारे गए थे, लेकिन काफी दिनों तक वो ये आँकड़ा छिपाता रहा। गलवान में जून 15, 2020 को हुए इस संघर्ष के दौरान दोनों पक्षों ने सीमा पर 50-50 हजार सैनिकों की तैनाती कर दी थी। मई 2020 की शुरुआत से ही दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव शुरू हो गया था। ऊँचाई वाले इस इलाके में कई युद्ध उपकरण भी तैनात किए गए थे।
भारत ने TikTok समेत 59 चीनी एप्स को नोटिस भेज कर उन्हें भारत में हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। भारत में प्रतिबंधित किए जाने के बाद TikTok की पैरेंट कंपनी Bytedance को 600 करोड़ डॉलर (उस दौरान की करेंसी एक्सचेंज के अनुसार लगभग 45300 करोड़₹ रुपए) का नुकसान हुआ था। मई 2021 में बाइटडांस के को-फाउंडर और सीईओ झांग यिमिंग ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।