Monday, December 23, 2024
Homeरिपोर्टराष्ट्रीय सुरक्षामिशन कश्मीर: जिहादी गढ़ 'इस्लामाबाद' की सड़कों पर घूमे डोवाल, मौलवियों की खैरियत पूछी

मिशन कश्मीर: जिहादी गढ़ ‘इस्लामाबाद’ की सड़कों पर घूमे डोवाल, मौलवियों की खैरियत पूछी

हिन्दू देवता आदि शेषनाग के नाम पर अपना नाम पाने वाला अनंतनाग स्थानीय कट्टरपंथियों में 'इस्लामाबाद' के नाम से जाना जाता है। घाटी की हर दूसरी-तीसरी जिहादी घटना या तो इस जिले में ही घटती है, या इससे तार निकलते हैं।

शोपियाँ के बाद राष्ट्र्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल घाटी में जिहाद के गढ़ माने जाने वाले अनंतनाग पहुँचे और सुरक्षा व्यवस्था का जायज़ा लेने के साथ-साथ स्थानीय लोगों से बातचीत की। उन्होंने बच्चों से भी ठिठोली करते हुए पूछा कि स्कूल बंद होने से वे (बच्चे) तो खुश ही होंगे!

डोवाल मीडिया द्वारा जारी तस्वीरों और वीडियो में न केवल आम लोगों से सड़कों पर मिलते नज़र आ रहे हैं, बल्कि उनके भेड़-मंडी का दौरा करने, दुकानों पर जाने आदि का भी जायजा लेने की ख़बरें आ रही हैं। उन्होंने कुछ मौलवियों से भी बातचीत की। ANI के वीडियो में डोवाल भेड़-विक्रेता से उसकी बिक्री के बारे में बात करते हुए नज़र आते हैं। यहाँ तक कि जब कुछ स्थानीय लोग उन्हें पहचान नहीं भी पाए तो डोवाल ने ठहाके लगाते हुए कहा, “नहीं, वो कोई बात नहीं है।” डोवाल की यह यात्रा सोमवार को बकरीद के पहले घाटी में तनाव को न्यूनतम करने की कोशिश का तौर पर देखी जा रही है।

मालूम हो कि 370 निष्प्रभावी होने और राज्य के दो केंद-शासित प्रदेशों में तब्दील होने के बाद से घाटी में हिंसक विरोध की आशंका बनी हुई है। इसी के चलते सरकार ने इंटरनेट और फ़ोन लाइनों समेत नागरिक संचार के लगभग सभी माध्यमों को निलंबित कर रखा है और घाटी, जम्मू और लद्दाख में हज़ारों की संख्या में केंद्रीय सुरक्षा बल तैनात हैं।

क्यों अनंतनाग?

हिन्दू देवता आदि शेषनाग के नाम पर अपना नाम पाने वाला अनंतनाग स्थानीय कट्टरपंथियों में ‘इस्लामाबाद’ के नाम से जाना जाता है। घाटी की हर दूसरी-तीसरी जिहादी घटना या तो इस जिले में ही घटती है, या इससे तार निकलते हैं। माना जा सकता है कि अगर घाटी में अर्धसैनिक बलों की तैनाती, संचार काटने जैसे कदम न उठाए गए होते तो शायद आज इस जिले में सर्वाधिक हिंसा हो रही होती।

शायद इसीलिए डोवाल ने बकरीद के ठीक पहले लगभग 98% (2011 जनगणना) मुस्लिम जनसंख्या वाले इस जिले को चुना। उनके दौरे में न केवल सीमा-पार से हिंसा भड़काने वालों बल्कि स्थानीय जिहादियों और कट्टरपंथियों के लिए स्पष्ट संदेश है कि सरकार संवेदनशील इलाकों को सीधे ‘हैंडल’ कर रही है।

जिहादी दहशतगर्दी से निपटने में विशेषज्ञ माने जाने वाले पूर्व ख़ुफ़िया अधिकारी (operative) डोवाल ने 370 के प्रावधानों को निष्प्रभावी किए जाने से पहले भी कश्मीर का दौरा किया था। इस संबंध में राज्यसभा से बिल पास होने के अगले ही दिन यानी 6 अगस्त को वे दोबारा जम्मू-कश्मीर पहुँचे। इसके बाद से वे राज्य में डेरा डालकर सुरक्षा प्रबंधों पर निगाह रखे हुए हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -