केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर ‘स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI)’ पर लगे प्रतिबंधों को सही ठहराया है। केंद्र ने कहा है कि भारत में इस्लामी सत्ता स्थापित करने के उद्देश्य को किसी भी स्थिति में अनुमति नहीं दी जा सकती।
दरअसल, केंद्र सरकार ने साल 2019 में एक अधिसूचना जारी कर सिमी पर लगे प्रतिबंध को 5 साल के लिए बढ़ा दिया था। इस प्रतिबंध को चुनौती देते हुए हुमाम अहमद सिद्दीकी नामक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से जवाब माँगा था।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए कहा है कि सिमी पर 27 सितंबर, 2001 को प्रतिबंध लगाया गया था। इसके बाद भी सिमी के सदस्य बैठकें कर देश विरोधी साजिश रच रहे हैं। यही नहीं, सिमी के लोग हथियार, गोला-बारूद इकट्ठा कर देश में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
केंद्र ने यह भी कहा है कि सिमी की गतिविधियाँ भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को खतरे में डाल रहीं हैं। सिमी के कार्यकर्ता देश के बाहर बैठे अपने सहयोगियों और आकाओं के साथ लगातार संपर्क में हैं। उनकी हरकतें देश में स्थापित शांति व्यवस्था को भंग कर सकतीं हैं। सिमी के उद्देश्य भारत के कानून के विपरीत हैं।
केंद्र सरकार ने जोर देकर कहा है कि सिमी की मंशा हिंदुस्तान में इस्लामी सत्ता स्थापित करने की है। इस तरह के उद्देश्य को किसी भी हालत में अनुमति नहीं दी जा सकती। सरकार ने कहा है कि सिमी अपने नए सदस्य को एक शपथ दिलाता है। इस शपथ में देश से मानवता की मुक्ति और इस्लाम की स्थापना की बात कही जाती है। केंद्र ने यह भी कहा है कि 25 अप्रैल 1997 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से अस्तित्व में आए सिमी के उद्देश्यों में जिहाद, राष्ट्रवाद का विनाश और इस्लामी सत्ता की स्थापना करना शामिल था।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि सिमी देश के संविधान में विश्वास नहीं करता। यह मूर्तिपूजा को पाप को मानता है और इसे समाप्त करने को अपना कर्तव्य मानता है।
सिमी पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सऊदी अरब, बांग्लादेश और नेपाल में बैठे लोगों के संर्पक में है। यह जम्मू-कश्मीर राज्य से संचालित विभिन्न कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवादी संगठनों से भी प्रभावित है। सरकार ने कहा कि इसके अलावा हिज्बुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठन अपने राष्ट्र विरोधी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सिमी के कैडरों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
सरकार ने कहा है कि प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से सिमी देश के कई राज्यों में छोटे संगठनों को कवर के रूप में उपयोग कर रहा है। सिमी के कई कार्यकर्ता तमिलनाडु में ‘वहादत-ए-इस्लामी’ सहित कई नामों से फिर से एकजुट हो रहे हैं। इसी प्रकार राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश और दिल्ली में ‘इंडियन मुजाहिदीन’, कर्नाटक में ‘अंसारुल्ला’, उत्तर प्रदेश में ‘मुस्लिम मुत्ताहिदा मिहाद’, मध्य प्रदेश में ‘वहादत-ए-उम्मत’, और पश्चिम बंगाल में ‘नागरिक अधिकार सुरक्षा मंच’ जैसे संगठन सिमी के कवर के रूप में काम कर रहे हैं।
बता दें कि अमेरिका में हुए 26/11 आतंकी हमले के बाद सिमी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस प्रतिबंध के बाद से सिमी पर लगातार प्रतिबंध बढ़ता रहा है। सिमी कार्यकर्ताओं पर, साल 2017 में बोधगया में हुए आतंकी हमले, साल 2014 में बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुए विस्फोट समेत कई आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है।