हाल में कई रिपोर्टें आई हैं जो बताती हैं कि नेपाल-भारत सीमा पर तेजी से डेमोग्राफी में बदलाव हो रहा है। मस्जिद-मदरसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए 20 से 27 अगस्त 2022 तक ऑपइंडिया की टीम ने सीमा से सटे इलाकों का दौरा किया। हमने जो कुछ देखा, वह सिलसिलेवार तरीके से आपको बता रहे हैं। इस कड़ी की छठी रिपोर्ट:
बौद्धों की आस्था के मुख्य केंद्रों में से एक है श्रावस्ती। यहीं है अंगुलिमाल गुफा। इसी गुफा से लगभग सटी है मीरा शाह नाम की एक बड़ी दरगाह। बौद्धों वाली जगह पर दरगाह का क्या काम? इसी सवाल को टटोलने के लिए हमने दरगाह के खादिम और संरक्षक के साथ वहाँ मौके पर मौजूद लोगों से उस जगह के बारे में जानने का प्रयास किया।
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भारत के साथ-साथ नेपाल के भी आते हैं जायरीन
दरगाह के संरक्षक मुश्ताक अहमद ने ऑपइंडिया से बात करते हुए बताया कि हर जुम्मेरात को दरगाह पर भारी भीड़ लगती है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि हर साल माघ महीने की बसंत पंचमी (मतलब हर साल सरस्वती पूजा के दिन) को मज़ार पर साला उर्स भी लगता है।
मुश्ताक अहमद के मुताबिक इस दिन न सिर्फ भारत के कोने-कोने से बल्कि नेपाल से भी हजारों जायरीन दरगाह पर जुटते हैं। इनमें हिन्दू और मुस्लिम सभी होते हैं। अहमद के अनुसार इस भीड़ को कंट्रोल करने के लिए प्रशासन अपने स्तर से होमगार्ड आदि की तैनाती करता है।
सालार गाज़ी से जुड़ी है दरगाह
मुश्ताक ने हमें आगे बताया कि मीरा शाह की दरगाह बहराइच के सालार गाज़ी वाली दरगाह से कनेक्टेड है। सालार गाज़ी को सरकार कहते हुए मुश्ताक ने कहा कि जब से बहराइच की दरगाह शरीफ है, तब से ये भी मजार यहीं हैं।
मुश्ताक अहमद ने दरगाह को वक्फ बोर्ड से रजिस्टर्ड और बाकायदा एक कमिटी द्वारा संचालित बताया। उन्होंने दरगाह के सदर जव्वाद और नायब सदर मुश्ताक रज़ा को बताया। दरगाह के ऊपर इस्लामी झंडे लगे हैं।
दरगाह को मिले बौद्ध और जैन मंदिरों जैसी सुविधाएँ
बौद्धों के धर्मस्थलों पर सुरक्षा और अन्य जनसुविधाओं का जिक्र करते हुए दरगाह के संरक्षक मुश्ताक़ ने कहा कि उन्हें सब कुछ मिला है लेकिन दरगाह को कुछ भी नहीं। मुश्ताक के मुताबिक वहाँ कोई आता है तो खुले में सोता है और दरगाह कमिटी पूरी व्यवस्था करती है।
मुश्ताक अहमद ने कहा कि काफी दिन सुनवाई के बाद भी दरगाह को कुछ नहीं मिला है, इसलिए उन्होंने अब वक्फ बोर्ड को बताया है और वक्फ बोर्ड सरकार से ये सब सुविधाएँ माँगेगा। उनके मुताबिक दरगाह की पक्की बॉउंड्री और अंदर तमाम जनसुविधाओं की मॉंग सरकार को पूरी करनी चाहिए। मुश्ताक ने दरगाह से 200 मीटर की दूरी पर एक जैन मंदिर भी बताते हुए उसे सभी सरकारी सुविधाओं से पूर्ण बताया।
सरकारी नल गाँव वालों के लिए, लगा दिया दरगाह में
जब हमने दरगाह में लगे बल्बों के जलने के बारे में सवाल किया तब मुश्ताक अहमद ने कहा कि उन्हें सरकार ने अभी तक लाइट नहीं दी है। मुश्ताक के मुताबिक दरगाह कमिटी ने खुद से सोलर लाइट लगवा लिया है।
इसके अलावा दरगाह कैम्पस में 4 सरकारी नल और गाँव में प्रयोग होने वाली सरकारी डस्टबिन दिखने पर मुश्ताक ने खुद को हुसैनजोत गाँव का पूर्व प्रधान प्रतिनिधि बताया और लगे नल और डस्टबिन को उसी गाँव के लिए आए सामान से लगा बताया। दरगाह पर पानी का समर्सिबल चलाने के लिए जेनरेटर भी लगा है।
बसपा सांसद ने दिया है दरगाह को सुविधाएँ दिलाने का भरोसा
दरगाह के संरक्षक अहमद को बहुजन समाज पार्टी (BSP) के स्थानीय सांसद राम शिरोमणि वर्मा ने काफी भरोसा दिया है। मुश्ताक के मुताबिक बसपा सांसद ने उन सभी को भरोसा दिया है कि वो दरगाह को तमाम सुविधाएँ शासन स्तर से दिलवाने में पूरी मदद करेंगे। हालाँकि मुश्ताक ने उनके द्वारा लम्बे समय से किए गए वादे पर अमल न करने पर अफसोस जताते हुए कहा कि वो सभी एक बार और उन्हें वादा याद दिलाने जाएँगे।
दरगाह में औरतों के जाने की इजाजत नहीं
मीरा शाह दरगाह के खादिम जव्वाद अली ने हमें बताया कि शरीयत के मुताबिक दरगाह में औरतों का जाना प्रतिबंधित है। उन्होंने कहा कि बोर्ड लगा दिया गया है लेकिन फिर भी कई महिलाएँ अंदर चली जाती हैं। जब हमने उनसे सवाल किया कि क्या शरीयत कानून को तोड़ कर जो महिलाएँ अंदर चली जाती हैं, उनकी मुराद पूरी होगी? इस पर उनका जवाब था – “बेशक पूरी होगी।”
भगवा गमछे में मौलाना
एक खास बात जो हमने इस मज़ार पर देखी, वो ये थी कि मजार के संरक्षक अहमद ने जिस हिन्दू श्रद्धालु को हमसे बात करने के लिए आगे किया, वो भगवा वस्त्रों में था। वह अपना नाम हरिहर बाबा बता रहा था और खुद को मीरा शाह दरगाह का भक्त बता रहा था। इसी के साथ एक अन्य मौलना जैसा दिख रहा व्यक्ति गले में भगवा गमछा डाल रखा था।
पुरातत्व विभाग को अलर्ट, टूटी मजार फिर ‘पनपी’
ऑपइंडिया द्वारा जुटाई गई जानकारी के मुताबिक साल 2018 में श्रावस्ती पुलिस ने लिखित तौर पर पुरातत्व विभाग को क्षेत्र में बढ़ रही इबादतगाहों के बारे में अलर्ट भेजा था। उस अलर्ट पर पुरातत्व विभाग द्वारा क्या कार्रवाई हुई, ये जानकारी अभी नहीं मिल पाई है और उसे आते ही अपडेट किया जाएगा।
जानकारी यह भी मिली कि इस दरगाह के पास सड़क से सटा कर बनी मज़ार को साल 2020 में जिला प्रशासन ने ध्वस्त करवा दिया था। हालाँकि अब ध्वस्त करवाई गई मज़ार फिर से बन चुकी है और वहाँ भीड़ लगना भी चालू हो गया है।
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