झारखंड विधानसभा चुनावों में मतदान के लिए अब कुछ ही दिन बाकी हैं। इस बीच राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठियों और जनसांख्यिकी बदलाव मुद्दा गरमा गया है। समय-समय पर झारखंड के विभिन्न जगहों से लव जिहाद, लैंड जिहाद, अवैध घुसपैठ और जबरन धर्मांतरण आदि की खबरें आती रहती हैं। भाजपा ने इस बार इस मुद्दे को गंभीरता के साथ उठाया है।
गहरे आदिवासी इतिहास से जुड़ा यह क्षेत्र साहिबगंज, दुमका और पाकुर जैसे जिलों के साथ चुनावी लड़ाई का केंद्र बिंदु बन गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) महिलाओं के लिए 2,500 रुपए मासिक की सहायता और किसानों को अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देने का वादा कर रही है।
दूसरी ओर भाजपा का अभियान आदिवासी पहचान (आदिवासी अस्मिता) को लेकर है। भाजपा राज्य में अवैध अप्रवास का मुद्दा जोर-शोर से उठा रही है, जिसके कारण अवैध रूप से बनाई गईं अनियंत्रित बस्तियाँ क्षेत्र की जनसांख्यिकी को बदल रही हैं। वहीं, JMM जनसांख्यिकी बदलाव के आरोपों को खारिज कर रही है। उसका कहना है कि भाजपा डर पैदा कर रही है।
इस बीच, ऑर्गनाइज़र की रिपोर्ट दूसरी कहानी बयां कर रही है। की एक टीम ने झारखंड के संथाल परगना जैसे तथाकथित मुस्लिम बहुल इलाकों का दौरा किया। वहाँ पर 35 हिंदू परिवार कई तरह की चुनौतियों के बीच अपनी परंपरा को बचाए एवं बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ये हिंदू परिवार उस क्षेत्र के 11,000 से ज़्यादा मुस्लिम परिवारों से घिरे हुए हैं।
How 35 Hindu families surrounded by 11,000 Muslim families live in Jharkhand's #Santhal Pargana?
— Subhi Vishwakarma (@subhi_karma) November 8, 2024
-They stop the music five times a day during Chhat Puja.
-They pay 'tax' to Muslims as they reap produce in 'Muslim area'
-They don't put rangoli on the street.
-Their cows get… pic.twitter.com/41lgLpwMoU
हालांकि, ऑर्गनाइजर की टीम जब संथाल परगना पहुँची तो हिंदू परिवार इलाके के मुस्लिम परिवारों के दबाव के बावजूद छठ पूजा मना रहे थे। मानसिंहा और राजमहल जैसे गाँवों में हिंदू परिवार लगभग गायब हो चुके हैं। हर कुछ किलोमीटर पर मस्जिद और मदरसे स्थापित हो चुके हैं। इसके कारण पूरा इलाका किसी मुस्लिम मुल्क के जैसा दिखता है।
ये वो इलाके हैं, जिसको लेकर भाजपा लगातार चिंता जाहिर करती रहती है। इस क्षेत्र में अलग-थलग हो चुके हिंदू समुदाय कई तरह की चुनौतियों से जूझते रहते हैं। स्थानीय मुस्लिम बहुसंख्यक उन्हें मछली मारने नहीं देते। इस तरह वे इस पेशा से दूर हो गए। इसके अलावा, स्थानीय अल्पसंख्यक हिंदुओं को अपनी फसलों बचाने के लिए मुस्लिमों को ‘कर’ के रूप में कुछ देना पड़ता हैं।
ऑर्गनाइजर से बात करते हुए इलाके के धनी चौधरी बताते हैं, “हम वर्षों से कर दे रहे हैं, लेकिन 2014 के बाद चीजें बदल गईं जब हमें लगा कि केंद्र सरकार ने हमें समर्थन दिया है। इस बदलाव से चुनौतियाँ भी आईं। अब हमें मछली पकड़ने वाले क्षेत्रों में जाने नहीं दिया जाता है।” एक अन्य ग्रामीण अशोक चौधरी ने दबाव में त्योहार मनाने के बारे में बात की।
चौधरी ने कहा, “शादियों के दौरान भी संगीत के कारण विवाद पैदा कर दिया जाता है। जब अजान दी जाती है या नमाज पढ़ी जाती है तो बारात को शांत रहना पड़ता है। ढोल-नगाड़े सब बंद करने पड़ते हैं। ऐसा नहीं करने पर हमारे साथ झगड़े और मारपीट के कारण अक्सर खुशियों को खराब कर देती हैं।”
एक अन्य निवासी राजकुमार चौधरी ने तेजी से हो रहे जनसांख्यिकीय बदलाव को लेकर आशंका जताई। उन्होंने कहा, “ये नए लोग हमारे देश के मुसलमान नहीं हैं। महीने दर महीने उनकी संख्या बढ़ती जा रही है और जल्द ही वे बंगाल तक में फैल जाएँगे।” जनसांख्यिकीय बदलाव के बीच छठ पूजा सिर्फ एक उत्सव से कहीं बढ़कर हो गई है। यह लचीलेपन का संदेश है।
हिंदुओं के लिए सब कुछ ठीक नहीं
चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए मधुपुर गईं पत्रकार अदिति त्यागी से बात करने वाले हिंदुओं ने भी इसी तरह की भावनाएँ व्यक्त कीं। एक बुजुर्ग हिंदू ने कहा कि हिंदुओं को कुओं से पानी भरने भी नहीं दिया जाता है। जब अदिति ने बुजुर्ग से पूछा कि वहाँ के लोगों के मुख्य चुनावी मुद्दे क्या हैं तो बुजुर्ग का गला रुंध गया और कहा- कुँआ बनवाना।
जोहार झारखंड
— aditi tyagi (@aditi_tyagi) November 6, 2024
My question
बाबा, क्या मुद्दा है यहां?
बुज़ुर्ग (भावुक होकर)
हम गए यहां पर कुआं मांगने, कहा हिंदु समाज है कुआं नहीं मिलेगा…
ये है मधुपुर का हाल pic.twitter.com/awzU3JgyDu
उन्होंने कहा, “हम चार महीने पहले स्थानीय मंत्री हफीजुल अंसारी के पास कुआँ बनवाने के लिए गए थे उन्होंने मदद करने से इनकार कर दिया और कहा कि हिंदुओं को कुछ नहीं मिलेगा।” उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को सारी सुविधाएँ मिलती हैं, लेकिन हिंदुओं को कुछ नहीं मिलता। अपने खेत की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, “अगर हमारे पास कुआँ होता तो हम सब्ज़ियाँ उगा सकते थे।”
दुर्गा प्रतिमा विसर्जन की भी अनुमति नहीं
एक अन्य स्थानीय हिंदू निवासी ने आपबीती बताई और कहा कि प्रदीप मोदी नाम के एक हिंदू व्यक्ति का घर जलाने की कोशिश की गई। उसने कहा, “दुर्गा पूजा के दौरान हमारी मूर्ति विसर्जन जुलूस को रोक दिया गया… इस दुर्गा पूजा के दौरान… पुलिस स्टेशन से लेकर हर विभाग तक दबाव बनाए रखा जाता है।” इसका आरोप भी उस व्यक्ति ने मंत्री हफीजुल अंसारी पर लगाया।
उसने कहा कि मंत्री हफीजुल अंसारी ने स्थानीय प्रशासन पर हिंदुओं को त्योहार मनाने और कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं देने का दबाव बना रखा है। उन्होंने कहा, “जहाँ हिंदू अल्पसंख्यक हो जाते हैं, वहाँ वे हमें अज़ान के दौरान डीजे बजाने या मुस्लिम बहुल इलाकों से जुलूस निकालने की अनुमति नहीं देते।”
जोहार झारखंड
— aditi tyagi (@aditi_tyagi) November 7, 2024
"दुर्गा पूजा में हमारा मूर्ति विसर्जन का जुलूस रोक दिया था…इसी दुर्गा पूजा पर …थाना से लेकर हर डिपार्टमेंट में दबाव बनाकर रखा जाता है.."
मधुपुर में ये क्या कह रहे हैं! @nishikant_dubey जी pic.twitter.com/Cvsgksidgn
गोपीनाथपुर में हिंदुओं पर पथराव
एक अन्य वीडियो में हिंदू महिलाओं ने अपनी आपबीती साझा की। उन्होंने बताया कि कैसे इस साल जून में गोपीनाथपुर में मुस्लिमों ने उन पर पथराव किया था। पास में ही खड़े एक बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा, “उनकी संख्या 10,000 से ज़्यादा थी। पुलिस उन्हें नियंत्रित नहीं कर सकी। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए उन्हें हवा में गोलियाँ चलानी पड़ीं। उस दिन सिर्फ़ पुलिस की वजह से हम सब बच पाए थे।”
हिंदू महिला ने कहा, “वे अब भी हम पर हमला करते हैं। वे हमारे घरों में घुस जाते हैं।” झारखंड में जहाँ हिंदू अल्पसंख्यक हैं, वहाँ की स्थिति खतरनाक हो गई है। इन इलाकों में जनसांख्यिकीय और सांस्कृतिक तनाव बहुत गहरा है। इस चुनाव में वे स्वतंत्र रूप से मतदान कर पाएँगे या नहीं, यह भी बहुत बड़ा सवाल है।