Friday, November 22, 2024
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अमेरिकी कंपनी को सेना ने दिया 73 हजार असॉल्ट राइफल का ऑर्डर, भारत की हथियार निर्माता कंपनी हुई निराश: कहा- हमें स्वदेशी उत्पादों पर गर्व नहीं

राइफल निर्माता सिग सॉर ने सोमवार (26 अगस्त, 2024) को एक प्रेस रिलीज में बताया है कि उसे भारतीय सेना की तरफ से 73,000 राइफल का ऑर्डर मिला है। यह ऑर्डर सिग सॉर कि SIG-716 राइफल के लिए दिया गया है।

भारतीय सेना ने अमेरिकी हथियार निर्माता फर्म सिग सॉर को 73,000 अत्याधुनिक असाल्ट राइफल का आर्डर दिया है। यह राइफल सीमा पर तैनात भारतीय सेना के सैनिकों को दी जाएँगी। इससे पहले भी इसी कम्पनी को 72,000 राइफल का ऑर्डर 2019 में दिया जा चुका है।

राइफल का ऑर्डर दोबारा मिलने पर जहाँ अमेरिकी फर्म ने ख़ुशी जताई है, वहीं एक भारतीय हथियार निर्माता ने अपनी निराशा व्यक्त की है। भारतीय फर्म ने कहा है कि हम अपने बनाए सामान में गर्व करना भूल चुके हैं। उन्होंने कई बातें अपनी राइफलों के विषय में बताई हैं।

राइफल निर्माता सिग सॉर ने सोमवार (26 अगस्त, 2024) को एक प्रेस रिलीज में बताया है कि उसे भारतीय सेना की तरफ से 73,000 राइफल का ऑर्डर मिला है। यह ऑर्डर सिग सॉर कि SIG-716 राइफल के लिए दिया गया है। फर्म ने बताया है कि वह भारत और अमेरिकी रक्षा एजेंसियों के लिए हथियार बनाती है।

फर्म ने बताया है कि वह ऐसी ही 72,400 राइफल पहले ही भारतीय सेना को बेच चुकी है और नया ऑर्डर पूरा होने पर 1.45 राइफल भारतीय सेना के पास होंगी। फर्म ने कहा है कि वह भारतीय सेना के आधुनिकीकरण प्रोग्राम में हिस्सा बनने पर काफी प्रसन्न हैं।

7.62×51 मिलीमीटर कैलिबर वाली राइफलों के इस ऑर्डर की कुल कीमत ₹837 करोड़ है। इन राइफलों को LOC और LAC पर तैनात भारतीय सेना के जवानों को दिया जाएगा। अभी यह सैनिक पुरानी INSAS या फिर AK-47 उपयोग कर रहे हैं।

सेना इन पुरानी राइफलों में आने वाली दिक्कत के चलते इन्हें बदल रही है। इसी क्रम में इन विदेशी राइफलों को खरीदा गया है। सिग सॉर के अलावा रूसी AK-203 राइफलों का उत्पादन भारत में ही हो रहा है और इस तरह की 35,000 राइफल सेना को इसी वर्ष मिल गई हैं।

अमेरिकी फर्म से होने वाले इस सौदे को दिसम्बर, 2023 में रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली डिफेन्स एक्विजिशन काउंसिल (DAC) ने मंजूरी दी थी। अब इस सौदे को अंतिम रूप दे दिया गया है। इस सौदे के बाद भारत के रक्षा विशेषज्ञों ने अलग-अलग राय दी है।

विशेषज्ञों ने इसे सेना का विदेशी उत्पादों को तरजीह देने का मामला बताया है। वहीं ऐसी ही राइफल बनाने वाली एक फर्म SSS डिफेन्स के CEO विवेक कृष्णन ने भी इसको लेकर अपनी राय दी है। उन्होंने अपनी राइफल और विदेशी राइफलों का खुले तौर पर टेस्ट करने को कहा है।

SSS डिफेन्स के CEO विवेक कृष्णन ने एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट लिख कर कहा, “मेरी इच्छा थी कि सरकार ने इनका और ऑर्डर ना दिया होता। बातचीत करने और भारतीय डिज़ाइन और सामग्री पर ज़ोर देने से आसानी से ही से एक या कई कम्पनी सामने आ जातीं। पहले से ली जा चुकीं राइफल के सामने इसका टेस्ट करना काफ़ी आसान होता।”

उन्होंने कहा कि भले ही यह ऑर्डर विदेशी कम्पनी को मिल गया हो लेकिन हम इससे निराश नहीं होंगे। विवेक कृष्णन ने कहा कि उनकी कम्पनी काफी पहले ही भारत ही नहीं दुनिया भर में हथियार बेचने का फैसला कर चुकी है। उन्होंने बताया कि उनके अलावा और कई कम्पनियाँ भी छोटे हथियार बना रही हैं और मेक इन इंडिया में योगदान दे रही हैं।

विवेक कृष्णन ने कहा है कि जैसी परिस्थतियाँ भारत के सामने हैं, उनमें सेना को उनकी कम्पनी से एक ना एक दिन हथियार खरीदने पड़ेंगे। विवेक कृष्णन ने यह भी कहा कि भारत में पहले केवल सरकारी कम्पनियाँ हथियार बनाती रही हैं और इस कारण से हम अपने उत्पादों पर गर्व नहीं कर पाते।

उन्होंने विदेशी राइफल और अपनी राइफल के टेस्ट की माँग भी की है। विवेक कृष्णन ने कहा, ”हम लंबे समय से अपने खरीददार (सेना) से सुनते आ रहे हैं कि हमारे मेटल उतने अच्छे नहीं हैं या हमारे डिजाइन समय से पीछे हैं। मेरा बस इतना कहना है कि हमारे स्वदेशी हथियार को हर कैलिबर में वैश्विक हथियार के सामने रखें और उसका टेस्ट करें। इसके परिणाम खुले तौर पर बताए जाएँ जैसे बाकी सेनाएँ करती हैं। यह दोनों पक्षों के लिए बढ़िया होगा। क्या यह कोई मुश्किल काम है?”

गौरतलब है कि SSS डिफेन्स P-72 नाम से सिग सॉर वाली श्रेणी में ही राइफल बनाती है। वह इसके अलावा कई प्रकार की स्नाइपर राइफल भी बनाती है। SSS डिफेन्स बीते कुछ समय से लगातार सेना से नए ऑर्डर लेने की कोशिश कर रही है लेकिन सरकारी सौदों की धीमी चाल और अन्य कई वजहों से यह संभव नहीं ही सका है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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