‘नेटवर्क कॉन्टैजियन रिसर्च इंस्टीट्यूट (NCRI)’ की एक रिसर्च में बड़ा खुलासा हुआ है। इसके अनुसार, खालिस्तानी समर्थक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हिंसा और भारत विरोधी प्रचार को बढ़ावा देने के लिए ट्विटर बॉट्स का उपयोग कर रहे हैं। ‘वाशिंगटन पोस्ट’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, अलगाववादी विचारधारा के समर्थक इन बॉट्स अकाउंट का इस्तेमाल उकसाने वाले वीडियो या किसी भी तरह के भारत विरोधी कंटेंट को ट्रेंड कराने के लिए करते हैं।
एक बार पोस्ट के ट्रेंड हो जाने के बाद अकाउंट्स द्वारा उन ट्वीट्स को हटा लिया जाता है ताकि निलंबन से बचा जा सके। एनसीआरआई की शोध के अनुसार, इस तरह के खाते ‘बम’ के स्थान पर ‘डिवाइस’ और राजनेताओं के लिए राजनीतिक मौत (Political death) जैसे शब्दों का उपयोग करते हैं।
NCRI’s research, featured in the @washingtonpost, exposes Khalistani bot networks engaging in coordinated inauthentic activity to promote violence and vandalism, underlining real-world safety concerns.
— Network Contagion Research Institute (@ncri_io) April 10, 2023
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रिपोर्ट के अनुसार, खालिस्तानी समर्थक और ‘वारिस पंजाब दे’ के सरगना अमृतपाल सिंह के खिलाफ पंजाब पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों द्वारा कार्रवाई शुरू करने के बाद से ये गतिविधियाँ तेजी से बढ़ी हैं। अमृतपालके समर्थन में खालिस्तानियों ने एक साथ सैन फ्राँसिस्को, यूके समेत कुछ और देशों में भारतीय वाणिज्यिक दूतावासों में तोड़फोड़ की थी। अमेरिका में भारतीय अधिकारियों और पत्रकारों पर हमला किया गया।जिसके बाद भारत सरकार ने सख्ती दिखानी शुरू की।
रिपोर्ट में पाया गया है कि ऐसे मौके पर इन ऑटोमेटेड ट्विटर अकाउंट्स (Automated twitter accounts) का भरपूर इस्तेमाल किया गया। भारत के खिलाफ नफरती कंटेट फैलाए गए। रिसर्च में पता चला है कि ट्विटर ने ऐसे फर्जी खातों के खिलाफ कार्रवाई की है लेकिन इसके बाद भी नफरती कंटेट को प्रमोट या शेयर करने के लिए ट्विटर एक सुविधाजनक प्लेटफॉर्म बना हुआ है।
‘वॉशिंगटन पोस्ट’ ने लिखा है कि पंजाब के किसानों में अलगाववाद की भावना भरने के लिए किसानों के सामान्य मुद्दे, जैसे एमएसपी, किसान आंदोलन, और नौकरियों के अभाव के मुद्दे को जान समझकर उछाला गया। बता दें अमृतपाल ने भी पंजाब के कई ग्रामीण इलाकों का दौरा किया था। वह खुलेआम अलग देश की बात करता था। जब अमृतपाल और उसके समर्थकों पर कार्रवाई हुई तो उसे मुद्दा बनाकर पंजाब में हिंसा भड़काने की कोशिश की गई।
रिपोर्ट के अनुसार ट्विटर पर योजनाबद्ध तरीके से भड़काउ ट्वीट्स किए गए। इन ट्वीट्स में भारत में बिजली प्लांट्स को जलाने, ट्रेन की पटरियों को उखाड़ने और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर हमला करने की आह्वान किया गया। ट्विटर पर पोस्ट द्वारा लोगों को जमा करने और एक्शन के लिए कहा गया। फर्जी ट्विटर अकाउंट द्वारा एक ट्वीट में रेलवे में की गई तोड़फोड़ का वीडियो शेयर किया गया था और उसका श्रेय ‘सिख फॉर जस्टिस’ ग्रुप को दिया गया था।
रिसर्च के दौरान NCRI ने पाया कि जनवरी 2023 के बाद से 359 फर्जी ट्विटर अकाउंट्स सक्रिय हैं। ये अकसर 20 से 50 अकाउंट्स के ग्रुप में काम करते हैं। जैसे यदि किसी वीडियो को वायरल करना है तो 20 से 50 ट्विटर अकाउंट्स के जरिए एक साथ ट्वीट किया जाता है। इनमें ज्यादातर खाते फर्जी होते हैं जो सिख फॉर जस्टिस के लोगों से जुड़े होते हैं। किसी कंटेट को लगातार ट्वीट और रीट्वीट करते रहने से ये लगातार लोगों के सामने आते रहते हैं। इन खातों से सार्वजनिक हस्तियों को टैग भी किया जाता है ताकि इन खातों को विश्वसनीय समझा जाए।
एनसीआरआई के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर जैक डोनोह्यू (Chief Operating Officer of NCRI Jack Donohue) के मुताबिक फर्जी खातों से किसी विचार को इतनी तीव्रता से फैलाया जाता है कि उसके परिणाम हिंसक हो जाते हैं। जो चिंता का विषय हैं।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में खालिस्तान विरोधी आंदोलन को भड़काने वाले और एंटी इंडिया एजेंडा फैलाने वाले 20 प्रतिशत खाते पाकिस्तान से चलाए जाते हैं। कुछ खातों से तो यहाँ तक लिखा जाता है कि खालिस्तानी नेताओं को पाकिस्तान का एहसानमंद होना चाहिए। खासकर पाकिस्तान की एक राजनीतिक पार्टी का जो उनके आंदोलन को समर्थन देते हैं।
एनसीआरआई ने अपने रिसर्च में कहा है कि पाकिस्तान से संचालित होने वाले खातों द्वारा भारत के खिलाफ गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है। इसमें हिंदू पूजा स्थलों को निशाना बनाया जाना, आतंक फैलाने के लिए आंदोलन चलाना और भारतीय दूतावालों पर हमले कराना शामिल है।
ऑपइंडिया की पड़ताल
मार्च 2023 में ऑपइंडिया की तरफ से एक रिपोर्ट में बताया गया था कि ट्विटर पर खालिस्तानी सपोर्टर #WeStandWithAmritpalSingh ट्रेंड करा रहे हैं। हमारे शोध में पाया गया कि एक ही दिन में इस हैशटैग का उपयोग करके 40,000 से अधिक ट्वीट्स किए गए। इनमें से 11,000 से अधिक ट्वीट अमेरिका से और 18,000 भारत से किए गए। इसके अलावा यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भारत विरोधी प्रचार करने वाले चैनल कुकुरमुत्तों की तरह उग आए हैं।
हालाँकि ज्यादातर ट्वीट पोस्ट करने के कुछ घंटों के भीतर हटा दिए गए फिर भी ऑपइंडिया ने कुछ खातों और हैशटैग को ट्रैक किया। तीन हैशटैग #WeStandWithAmritpalSingh, #CallForSarbatKhalsa और #khalistan_zindabad का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया। हमने #WeStandWithAmritpalSingh पर ज्यादा पड़ताल की। लेकिन #khalistan_zindabad और #CallForSarbatKhalsa का मामला अलग नहीं था। सक्रिय यूजर singh99826891 ने अपने पोस्ट में #khalistan_zindabad का बड़े पैमाने पर उपयोग किया। कई अन्य खाते नियमित रूप से इस तरह के हैशटैग का उपयोग करते प्राप्त हुए।
पिछले सात दिनों में इन हैशटैग के साथ 390 से अधिक ट्वीट्स दिखाई दिए। संख्या इसलिए कम है क्योंकि निलंबन से बचने के लिए ट्विटर यूजर या बॉट अकाउंट नियमित रूप से ट्वीट हटाते रहते हैं। एक अन्य अकाउंट dharmkaur_, बड़े पैमाने पर #CallForSarbatKhalsa का उपयोग करते पाया गया। इस हैशटैग का इस्तेमाल कर पिछले सात दिनों में 9,600 ट्वीट किए गए हैं।
टॉकवॉकर के अनुसार हैशटैग को आगे बढ़ाने वाले कुछ प्रमुख खाते इस प्रकार हैं-
जिन अन्य हैशटैग पर हमने गौर किया उनमें #FreeKhalistan, #Lashker_e_Khalsa, #FreeSikhPoliticalPrisoners #FreeJaggiNow और बहुत कुछ शामिल हैं। बता दें #FreeJaggiNow किसान आंदोलन के समय भी ट्विटर पर ट्रेंड कराया गया था।