श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर उच्च तकनीक वाले जहाज की डॉकिंग पर भारत ने आपत्ति जाहिर की थी। इसके बाद चीन ने टिप्पणी भारत पर टिप्पणी की थी। चीन की इस टिप्पणी पर भारत ने जवाब देते हुए शनिवार (27 अगस्त 2022) को कहा कोलंबो को अभी सहायता की जरूरत है, ना कि दूसरे देशों के एजेंडे को पूरा करने के लिए अवांछित दबाव या अनावश्यक विवाद की।
श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट कर कहा, “हमने चीनी राजदूत की टिप्पणी पर ध्यान दिया है। बुनियादी राजनयिक शिष्टाचार का उनका उल्लंघन एक व्यक्तिगत लक्षण हो सकता है या एक बड़े राष्ट्रीय रवैये को दर्शाता है।”
➡️We have noted the remarks of the Chinese Ambassador. His violation of basic diplomatic etiquette may be a personal trait or reflecting a larger national attitude.(1/3)
— India in Sri Lanka (@IndiainSL) August 27, 2022
भारतीय उच्चायोग ने कहा कि भारत के बारे में चीनी राजदूत क्यूई झेनहोंग का नजरिया उनके अपने देश के व्यवहार को प्रदर्शित करता है। भारतीय उच्चायोग ने कहा कि भारत इससे अलग है। कथित वैज्ञानिक अनुसंधान पोत की यात्रा के नाम पर भू-राजनीतिक एजेंडे को लागू करना विश्वासघात है।
कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने कहा, “अपारदर्शिता और ऋण संचालित एजेंडा अब एक बड़ी चुनौती बन गई है, खासकर छोटे देशों के लिए। हाल के घटनाक्रम एक चेतावनी है।” भारत ने कहा कि संकट से जूझ रहे श्रीलंका को सहयोग और समर्थन की आवश्यकता है, ना कि अवांछित दबाव की। बता दें कि चीन के ऋण जाल में फँसकर श्रीलंका 1948 के बाद के सबसे गहरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है। वहाँ के लोग सड़कों पर उतर आए हैं।
श्रीलंका में चीन के राजदूत झेनहोंग ने शुक्रवार (26 अगस्त 2022) को श्रीलंका में भारत के हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया था। झेनहोंग ने कहा था, “बिना किसी साक्ष्य के तथाकथित सुरक्षा चिंताओं पर आधारित ‘बाहरी अवरोध’ श्रीलंका की संप्रभुता और स्वतंत्रता में पूरी तरह हस्तक्षेप है।”
झेनहोंग ने कहा कि चीन इस बात से खुश है कि इस मामले को निपटा लिया गया। बीजिंग और कोलंबो संयुक्त रूप से एक-दूसरे की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करते हैं। इधर भारत ने चीन के उस आरोप को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने भारत द्वारा श्रीलंका पर दबाव डालने की बात कही थी।
बता दें कि हाल में चीन के बैलिस्टिक मिसाइल और उपग्रह निगरानी पोत ‘युआन वांग 5’ ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर लंगर डाला था। चीन के इस जासूसी जहाज के इस क्षेत्र में आने पर भारत ने आपत्ति जताई थी। भारत को शंका था कि चीन इसके जरिए भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों की जासूसी कर सकता है।
दरअसल, चीन का पोत ‘युआन वांग 5’ श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर 11 अगस्त को पहुँचने वाला था, लेकिन भारत की सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए श्रीलंका ने अनुमति नहीं दी। हालाँकि, चीन के दबाव के कारण श्रीलंका ने बाद में अनुमति दी और वह पोत 16 अगस्त को हंबनटोटा पहुँचा था।
श्रीलंका ने पोत को 16 अगस्त से 22 अगस्त तक बंदरगाह पर रहने की अनुमति दी थी। इसके साथ ही यह शर्त रखी थी कि वह श्रीलंका के विशेष आर्थिक क्षेत्र में स्वचालित पहचान प्रणाली चालू रखेगा और श्रीलंकाई जलक्षेत्र में कोई भी वैज्ञानिक अनुसंधान नहीं करेगा।
दरअसल, साल 2017 में चीन का कर्ज नहीं चुका पाने के कारण श्रीलंका ने अपने देश के दक्षिण में स्थित हंबनटोटा बंदरगाह को 99 साल की लीज पर चीन को सौंप दिया था। इसके बाद चीन ने इस बंदरगाह को कई तरह से विकसित किया है। चीन दो बार अपना सबमरीन भी यहाँ भेज चुका है।