Friday, November 22, 2024
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पैर पीछे, जुबान नरम: NSA अजीत डोभाल के वीडियो कॉल के बाद चीन के तेवर ढीले

इस बातचीत का नतीजा भी बहुत जल्द ही सामने भी आया, गलवान घाटी के जिस इलाके में भारत और चीन की सेना के बीच 15 जून को टकराव हुआ था, चीन की सेना उस जगह से कुछ किलोमीटर तक पीछे हट गई है।

गलवान घाटी में धोखे से वार करने वाला चीन पीछे हट गया है। भारत सरकार के लगातार सख्त तेवरों के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (NSA) के वीडियो कॉल ने उसे ऐसा करने को मजबूर किया।

रविवार को डोभाल ने चीन के विदेश मंत्री और स्टेट काउंसलर वांग यी से बातचीत की। इसके बाद चीन ने स्वीकार किया कि यह कदम दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।  

अजीत डोभाल और वांग यी की वार्ता मुख्य रूप से एलएसी पर हालात सामान्य करने और सीमा पर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए हुई। दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने यह भी सुनिश्चित किया कि आने वाले समय में सीमा पर इस तरह की कोई घटना न हो। 

वीडियो कॉल के दौरान दोनों ने सीमा पर बीते कुछ समय की घटनाओं पर भी अपने विचार रखे। बातचीत के दौरान जिस पर पहलू सबसे ज़्यादा ज़ोर दिया गया, वह था ‘डी एस्क्लेशन’। इसके बाद चीन ने अस्थायी निर्माण ख़त्म करने और 1.5 से 2 किलोमीटर तक पीछे हटने पर सहमति जताई।   

बातचीत के दौरान दोनों देशों के प्रतिनिधियों बीच इस बात पर भी सहमति बनी कि एलएसी से सेनाएँ हटाई जाएँगी और सीमा पर हालात पूरी तरह सामान्य किए जाएँगे। 

इस बातचीत का नतीजा भी बहुत जल्द ही सामने भी आया, गलवान घाटी के जिस इलाके में भारत और चीन की सेना के बीच 15 जून को टकराव हुआ था, चीन की सेना उस जगह से कुछ किलोमीटर तक पीछे हट गई है।   

चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए बयान के मुताबिक़, भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच हुई बातचीत जिसके बाद तनाव सीमा पर तनाव घटाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। चीन ने साफ़ तौर पर हालात सामान्य होने की पुष्टि की है।  

समझौते के बाद दोनों पक्षों द्वारा वहाँ अस्थायी तौर पर जो संरचनाएँ बनाई गई थीं और निर्माण कार्य किया गया था, उसे भी हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। साथ ही दोनों पक्षों द्वारा ‘फिजिकल वेरफिकेशन’ भी किया जा रहा है। ‘लाइन ऑफ कण्ट्रोल’ पर चीन के पीछे हटने के बाद स्थिति सुधरने की उम्मीद जताई जा रही है।

चीनी सैनिक अब उस स्थल से 2 किलोमीटर पीछे चले जाने को मजबूर हो गए हैं। भारत ने भी वहाँ बंकरों और अन्य संरचनाओं का निर्माण किया था, ताकि चीन पर नज़र रखी जा सके। 15 जून की रात दोनों देशों के जवानों के बीच खूनी संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे जबकि चीन के 40 जवान मारे गए थे।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने ‘द हिन्दू’ को बताया कि जून 30 को हुए कमांडर स्तर की वार्ता में ये समझौता हुआ, जिसके बाद चीन की सेना पीछे हटने को मजबूर हुई। ये भारत के लिए जीत की तरह है क्योंकि हमारे लिए जो LAC की परिभाषा है, वहाँ से चीन पीछे हट गया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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