पूर्वोत्त्तर भारत के मणिपुर राज्य में शनिवार (13 नवंबर 2021) को भारतीय सेना के काफिले पर घात लगा कर हमला किया गया। इस आतंकी हमले में कमांडिंग ऑफिसर और उनके परिवार के सदस्यों को मिला कर कुल 7 लोग बलिदान हो गए। इस हमले के पीछे प्रतिबंधित समूह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और MNPF (मणिपुर नागा पीपल फ्रंट) का हाथ बताया जा रहा है। वहीं अब इन दोनों संगठनों द्वारा जिम्मेदारी लेने की खबरें भी आ रही है। हमला चुराचाँदपुर जिले के सिनघाट सब-डिवीजन में हुआ। ऐसे में इस हमले की जिम्मेदारी लेने वाला एक नाम पंगल विशेष चर्चा में है जिसे मणिपुरी मुस्लिम भी कहा जाता है।
File photos of Colonel Viplav Tripathi, Commanding Officer of 46 Assam Rifles, his wife and 8-year-old son who lost their lives in a terrorist attack on a convoy of Assam Rifles in Churachandpur, Manipur today pic.twitter.com/g1sbXsEw0c
— ANI (@ANI) November 13, 2021
सैनिक और उनके परिवार पर इस हमले के बाद देश भर में गुस्से की लहर है। हमले की जिम्मेदार पीपल्स लिबरेशन आर्मी का गठन 25 सितंबर 1978 को हुआ था। यह आतंकी समूह मणिपुर को अलग देश बनाने की माँग करता आया है। इस आतंकी समूह के मुख्य हमलावर पंगल समूह के लोग हैं। समूह में थोड़े बहुत लड़ाके मेइतेई (Meitei) समुदाय के भी हैं। इसके साथ मणिपुर के ही नागा, कुकिस और अन्य जनजातियाँ इस देशविरोधी समूह के साथ नहीं हैं।
मेइतेइ का अर्थ मणिपुर के मूल निवासी से है। मणिपुर की राजधानी इम्फाल के आस-पास इनकी अधिकांश संख्या बसी हुई है। ये पूरे पूर्वोत्तर में फैले हुए हैं। असम, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय और मिजोरम में भी ये अलग अलग हिस्सों में रहते हैं। इनकी थोड़ी बहुत आबादी पड़ोसी देश बंगलादेश और म्यांमार में भी है। मणिपुर की कुल आबादी का आधे से अधिक हिस्सा 53 फीसदी लोग मेइतेई ही हैं।
पीपल्स लिबरेशन आर्मी के आतंकियों में दूसरी बहुतायत संख्या पंगल समूह की है। पंगल मणिपुर के मुस्लिमों को कहा जाता है। इनके बारे में बताया जा रहा है कि ये कई सदियों से यहाँ रह रहे हैं। कुछ इन्हे मंगोल वंश का मानते हैं। बताया जाता है कि जाते-जाते मंगोल अपने कुछ लोगों को छोड़ कर गए थे। वही आज पंगल नाम से जाने जाते हैं। पंगल चीनी और तिब्बती भाषा के भी जानकार होते हैं। कुछ का कहना है कि पहले पंगल मेइतेई ही थे जिन्होंने बाद में मुस्लिम धर्म स्वीकार कर लिया।
पंगल अर्थात मणिपुरी मुस्लिमों की वर्तमान में कुल आबादी लगभग 239886 है। ये मणिपुर की कुल आबादी का लगभग 8.4 प्रतिशत हैं। राजनैतिक परिदृश्य में लगभग 4 सीटों पर पंगल मुस्लिम वोट बैंक निर्णायक भूमिका में रहता है। इसके साथ लगभग 8 सीटों पर पंगल यानी मणिपुरी मुस्लिम हार जीत में अहम रोल अदा करते हैं। 1970 के दशक में इस समुदाय एक एक सदस्य मणिपुर के मुख्यमंत्री भी बने थे।
वर्ष 2017 में पंगल समुदाय के कट्टरपंथियों ने वहाँ की सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला की पार्टी से चुनाव लड़ने वाली उम्मीदवार को धमकाया था। उनकी पार्टी पीपल्स रिसर्जेंस एंड जस्टिस एलायंस (प्रजा) ने वाबगाई विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने वाली 44 वर्षीया नाजीमा बीबी को मैतेई पंगल (मणिपुरी मुस्लिम) समुदाय के कुछ मौलवियों ने कब्र की जमीन तक न देने की धमकी दी थी।
तब मणिपुर के सबसे पुराने मदरसे आलिया के प्रमुख और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मोहम्मद नूरूद्दीन कासमी ने बयान जारी किया था। उन्होंने बताया था कि राजनीति और शरीयत में अंतर होता है। मुस्लिम औरतों को पर्दे में रहने का हुक्म है। अगर चुनाव लड़ रही नजीमा पर्दे में नहीं हैं तो वो मुस्लिम नहीं हैं। इसी के साथ उन्होंने कहा था कि अगर किसी ने नजीमा को खलीफा बना दिया है तो वो कौम की बर्बादी के फरमान जैसा है।
इस पंगल समूह का एक छात्र JNU से गिरफ्तार भी हो चुका है। इसका नाम चिंगीज खान था जो PHD कर रहा था। इस गिरफ्तारी की जानकारी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने 10 अप्रैल 2020 को अपने ट्विटर हैंडल से दी थी। उस समय इसे रिहा करवाने के लिए अभियान छेड़ने की भी अपील की गई थी। उस ट्वीट में बरखा दत्त और राजदीप सरदेसाई को भी टैग किया गया था। इस आरोपित पर भड़काऊ लेख लिखने की धाराएं मणिपुर पुलिस ने लगाई थीं।
Chingiz Khan, PhD Scholar at Centre for Historical Studies (CHS) in JNU and a leading Pangal academic has been arrested by Manipur Police and slapped with sedition charges for writing an article on a Manipuri Daily. #ReleaseChingishKhan #ReleaseChingizKhan @BDUTT @sardesairajdeep pic.twitter.com/5gdJ76EONG
— Indian Union Muslim League (@iumlofficial) April 10, 2020
PLA के आतंकी भारतीय सुरक्षा बलों से लगातार गुरिल्ला युद्ध लड़ते रहे हैं। 90 के दशक में इस समूह ने स्थानीय लोगों की सहानभूति पाने मणिपुर पुलिस के जवानों पर हमला न करने का ऐलान किया था। जुलाई 2020 में भी पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने असम रायफल्स के जवानों पर घात लगा कर हमला किया था। इस हमले में 3 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे।
साल 2012 में एनआईए ने बड़ा खुलासा करते हुए इस समूह की नक्सलियों से मिलीभगत की पोल खोल दी थी। उसी समय इन आतंकी दल के चीन से संबंधो और समर्थन का भी खुलासा हुआ था। तब NIA के खुलासे में सामने आया था कि माओवादियों ने 2006 से 2011 के बीच चीनी शस्त्रों और हथियारों को म्यामांर से कोलकाता होते हुए गुवाहाटी पहुँचाया था। इस संगठन के सिद्धांत और विचारधारा चीन की सेना पीएलए से काफी मिलती-जुलती है।
साल 2018 में भारत सरकार ने मणिपुर के 8 उग्रवादी गुटों पर बैन बढ़ाया था। गृह मंत्रालय ने PLA के साथ इसकी राजनैतिक शाखा RPF, UNLF को भी प्रतिबंधित किया था। इस समूह का सैनिक विभाग भी है। गृह मंत्रालय ने इसके सैन्य विंग MPA, PREPAK और इसके सैन्य विंग रेड आर्मी, KCP और इसके सैन्य विंग, KYKL, द कॉर्डिनेशन कमिटी और ASUK पर 5 साल का प्रतिबंध बढ़ा दिया था।
वर्ष 2009 में इस आतंकी समूह के एक सदस्य सार्जेट रॉनी को गिरफ्तार किया गया था। लम्बी पूछताछ में उसने इस समूह का रिश्ता चीन से होना स्वीकार किया था। उसने यह भी कबूल किया था कि 16 आतंकी चीन से ट्रेनिंग ले कर भारत आतंक फैलाने आए थे। गिरफ्तार आतंकी रॉनी ने उत्तर प्रदेश से शिक्षा पूरी कर के उत्तराखंड के पंतनगर के कृषि महाविद्यालय से कृषि विज्ञान की डिग्री हासिल किया था।