केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) ने आतंकी संगठन ISIS के रास्ते पर चल निकलने वाले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रतिबंध लगाने से पहले उसके कारनमों की कुंडली बटोरी है। PFI के सदस्य ना सिर्फ मुस्लिमो के नाम पर विदेशों से फंड बटोरते थे, बल्कि सीरिया, इराक, लीबिया जैसे देशों में जाकर ट्रेनिंग भी लिए।
PFI की गतिविधियाँ कितनी विध्वंसक थी, इसे राजनीतिक आरोपों-प्रत्यारोपों को पढ़-सुनकर नहीं समझा जा सकता। PFI अपने नाम पर आतंक फैलाने के लिए ना सिर्फ बड़े एवं हिंदूवादी नेताओं की हत्या करता था, बल्कि शक्ति प्रदर्शन के लिए हथियारों के साथ सैनिक जैसे यूनिफॉर्म में सार्वजनिक प्रदर्शन भी करता था।
बिहार के फुलवारी शरीफ में इस साल जुलाई में PFI के ठिकाने पर छापेमारी के दौरान पता चला था कि वह देश को 2047 तक इस्लामी मुल्क बनाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए वह देश भर में मुस्लिम युवाओं को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दे रहा था। इतना ही नहीं, वह लोन वुल्फ अटैक के लिए भी ब्रेनवॉश करता था।
PFI द्वारा हथियारों का प्रशिक्षण
अप्रैल 2013 में केरल के कन्नूर के नराट में PFI और उसकी राजनीतिक शाखा SDPI ने एक आतंकी कैंप का आयोजन किया था। यहाँ लोगों के हथियार चलाने के अलावा, बम बनाने की भी ट्रेनिंग दी जा रही थी। इस घटना के संबंध में जब स्थानीय पुलिस को पता चला तो उसने छापेमारी की। इस दौरान कई हथियार सहित दो जिंदा बम भी बरामद हुए थे।
यह सब थनन फाउंडेशन नाम के एक चैरिटेबल ट्रस्ट की बिल्डिंग में ये गतिविधियाँ संचालित की जा रही थीं। जाँच के दौरान पता चला कि PFI-SDPI के नेता और कार्यकर्ता इस तरह की गतिविधियों को आयोजित कर रहे हैं और युवाओं को जिहाद के लिए तैयार कर रहे थे।
सीरिया में ISIS के लिए जिहाद करने गए थे PFI सदस्य
जब इराक और सीरिया में ISIS का कहर वहाँ के यजीदी एवं अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर बरस रहा था, तब PFI के सदस्य भी सीरिया में इस्लामिक स्टेट के जिहाद में शामिल होने के लिए सीरिया रवाना हो चुके हैं। इनमें दो PFI के सदस्य सीरिया में जेहाद के दौरान मारे गए।
केरल पुलिस को साल 2015 में पता चला कि केरल से सीरिया जाकर ISIS के लिए जिहाद करने वाले अधिकांश युवाओं के PFI से कनेक्शन हैं। इस आधार पर केरल पुलिस ने छानबीन शुरू की और केंद्रीय गृहमंत्रालय को सूचित किया।
PFI के डिवीजनल अध्यक्ष मोहम्मद सीर उर्फ अबू सफवान के साथ मिलकर हमजा नाम का शख्स केरल के युवाओं का ब्रेनवॉश कर उन्हें सीरिया भेजता था। इनमें अब्दुल मनाफ और अबू सफवान केरल से सऊदी अरब, मलेशिया और तुर्की होते हुए सीरिया पहुँच गए और अंतत: लड़ाई के दौरान मारे गए।
PFI से जुड़े केरल के कई लोग भारत से निकलकर तुर्की तक पहुँचने में कामयाब रहे। वहीं, भारत छोड़ने से पहले कई युवाओं को सुरक्षा एजेंसियों ने दबोच लिया और उन्हें रिहैबिली सेंटर में भर्ती कराया। तुर्की से भी कई सदस्यों को भारत लाया गया और उनका पुनर्वास कराया गया। सररकार ने ऐसे कम-से-कम 17 युवाओं की पहचान की थी, जो सीरिया जाने वाले थे।
ISIS के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ हिंसक विरोध
दक्षिण के राज्य में 15 युवाओं का एक ऐसा मॉड्यूल का पता चला, जो हथियार और विस्फोटक के जरिए भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की कोशिश में लगा हुआ था। वहीं, ‘अंसार-उल खिलाफा केएल’ नाम का एक मॉड्यूल युवाओं को ISIS के लिए भर्ती अभियान चला रहा था।
इस मामले में साल 2016 में पाँच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज उनके खिलाफ तलाशी अभियान एवं जाँच शुरू की गई। पूछताछ के दौरान पता चला कि सोशल मीडिया के विभिन्न चैनलों के माध्यमों से ये पाँचों देश के भीतर और विदेशों में कई लोगों के साथ संपर्क में थे। ये ISIS की विचारधारा को को फैलाकर युवाओं को लुभाने का काम करते थे।
पता चला कि इन लोगों ने यहूदियों और अहमदिया समुदाय के साथ-साथ बड़े नेताओं और हाईकोर्ट के जजों एवं वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर भी हमले की योजना बनाई थी। इस मॉड्यूल में पकड़े गए कई लोगों के संबंध PFI से थे।
कन्नूर ISIS मामला
केरल में कई मॉड्यूल का पता चलने और वहाँ के युवाओं के सीरिया जाकर इस्लामिक स्टेट के लिए जेहाद करने के बाद दिल्ली पुलिस ने ISIS के मामलों की जाँच शुरू की थी। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को एक दिन सूचना मिली की केरल के कन्नूर का रहने वाला शाहजहाँ दिल्ली आने वाला है। इसके पहले वह तुर्की-सीरिया भी जा चुका है।
वहाँ वह ISIS की आतंकी गतिविधियों में भाग लेने के लिए गया था और उसे वहाँ वापस भेजा गया था। इस दौरान पुलिस को पता चला कि वह मोहम्मद इस्लाईल नाम से एक फर्जी पासपोर्ट बनवाकर फिर से सीरिया जाने की कोशिश कर रहा था और इसमें वह सफल भी रहा।
इसके बाद उसे एक अन्य आरोपित अब्दुल रज्जाक कुनहिल के साथ उसे तुर्की से वापस भेज दिया गया। यह जुलाई 2017 था। उसी साल फरवरी में उसे तुर्की से वापस भेजा गया। वह बार बार सीरिया जाकर ISIS के लिए जिहाद करना चाहता था।
जाँच में पता चला कि साल 2006 में शाहजहाँ ने नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट (NDF) ज्वॉइन किया था, जो उसी साल कई समान विचारधारा वाले इस्लामिक संगठनों के विलय के बाद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) हो गया था।
वह PFI की सभी सभाओं में भाग लेने जाता था। वहाँ लोगों को बताया जाता था कि भारत में काफिरों द्वारा मुस्लिमों को प्रताड़ित किया जा रहा है। इसके बाद वल्लापतट्टनम के अध्यक्ष मोहम्मद समीर ने उसे ISIS विचारधारा की ओर मोड़ा और उसे कुरान एवं हदीस के अनुसार जिहाद करने के लिए हिजरा करने को कहा।
मोहम्मद समीर पहले सीरिया पहुँच चुका था। इसके बाद शाहजहाँ अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ मलेशिया पहुँचा। वहाँ उसे राशिद मिला। राशिद के साथ वह ईरान पहुँचा। ईरान में उसे साजिल एवं उसका परिवार और मिडलाज मिला। इसके बाद वे तुर्की पहुँचे। वहाँ अब्दुल मनाफ से मिले।
फरवरी 2017 में जब शाहजहाँ और मुनाफ सीरिया जाने के लिए बॉर्डर क्रॉस कर रहे थे, तभी तुर्की के अधिकारियों ने इन्हें पकड़ लिया और वापस भारत भेज दिया। हालाँकि, इस दौरान मुनाफ बॉर्डर पार करने में सफल रहा, जो बाद में मारा भी गया।
इस तरफ देश में PFI ना सिर्फ समाज विरोधी गतिविधियों में शामिल था, बल्कि खतरनाक आतंकी संगठन ISIS के साथ मिलकर भारत में भी जेहाद फैलाने की कोशिश कर रहा था। PFI ने इसके लिए एक विंग और यूनिफॉर्म तो बनाया और उसे ट्रेनिंग भी थी। इसके अलावा, डर फैलाने के लिए जो भी हत्या करते थे, वे IS के स्टाइल में ही करते थे।