हाल में कई रिपोर्टें आई हैं जो बताती हैं कि नेपाल-भारत सीमा पर तेजी से डेमोग्राफी में बदलाव हो रहा है। मस्जिद-मदरसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए 20 से 27 अगस्त 2022 तक ऑपइंडिया की टीम ने सीमा से सटे इलाकों का दौरा किया। हमने जो कुछ देखा, वह सिलसिलेवार तरीके से आपको बता रहे हैं। इस कड़ी की 12वीं रिपोर्ट:
पिछली रिपोर्ट में हमने बलरामपुर जिला मुख्यालय से नेपाल के जरवा बॉर्डर की तरफ जाने वाली सड़क के किनारे जगह-जगह पर बन चुकी मस्जिदों और इबादतगाहों के बारे में विस्तार से बताया था। इस रिपोर्ट में हम आपको बताएँगे कि उन्हीं रास्तों पर पड़ने वाले गाँवों के ग्राम प्रधान और जनप्रतिनिधि क्या कहते हैं।
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हिन्दुओं से ज्यादा जमीनें मुस्लिम खरीद रहे
बलरामपुर जिले के महराजगंज तराई इलाके के निवासी और व्यापारी शिवेंद्र कसौधन हमें तुलसीपुर बाजार की तहसील में मिल गए। उन्होंने ऑपइंडिया से बात करते हुए ये माना कि जिले में मुस्लिम आबादी हिन्दू जनसंख्या के मुकाबले काफी तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने ये भी कहा कि मुस्लिम अपने रिश्तेदारों को बसा रहे हैं और अधिकतर यही लोग हिन्दुओं की जमीनें खरीद रहे हैं। शिवेंद्र के मुताबिक, कई हिन्दू अपनी जमीनें उन मुस्लिमों को बेच देते हैं क्योंकि वो सामान्य से ज्यादा दाम देते हैं।
शिवेंद्र ने हमें आगे बताया कि इलाके के सबसे दबंग नेता रिज़वान जहीर हैं, जो सिर्फ इसी सरकार (योगी सरकार) में कंट्रोल में हैं। उन्होंने कहा कि सपा कार्यकाल में देवीपाटन जैसा प्रसिद्ध मंदिर यहाँ स्थित होने के बावजूद भी इलाके में इस्लामी इबादतगाहों की संख्या बढ़ी हैं।
शिवेंद्र का मानना है कि मुस्लिमों की जो भी आबादी बढ़ी है, उनमें सिर्फ स्थानीय लोग नहीं बल्कि बाहरी भी शामिल हैं। पहले के मुकाबले अब सांप्रदायिक तनाव अधिक होने की बात स्वीकारते हुए शिवेंद्र ने स्थानीय प्रशासन से इस तरफ ध्यान देने की भी अपील की है।
यहाँ मुस्लिम समुदाय हिन्दुओं से मजबूत
जरवा जाते हुए नेपाल की सीमा के पास मौजूद बाबा मुक्तेश्वर नाथ धाम के पुजारी प्रदीप कुमार ने हमें बताया कि ये मंदिर मुस्लिम बहुल इलाके में बना हुआ है। महंत के मुताबिक, उस क्षेत्र में न सिर्फ मुस्लिम समुदाय के पास हिन्दुओं के मुकाबले अधिक संख्या बल है, बल्कि आर्थिक और राजनीतिक रूप से भी वो हिन्दुओं से आगे निकल चुके हैं।
पुजारी प्रदीप कुमार ने बताया कि मंदिर आसपास के हिन्दुओं की आस्था का केंद्र है और यहाँ उन्हें धर्म की शिक्षा मिलती है। पुजारी ने जानकारी दी कि जिस ग्राम सभा में ये मंदिर स्थित है, वहाँ का प्रधान मुस्लिम है।
10 वर्षों में बढ़ी मुस्लिम जनसंख्या
जरवा के पास नेपाल बॉर्डर से सटे गाँव रतनपुर झिंगहा के निवासी और स्थानीय ग्राम प्रधान के चाचा ननकन मिश्रा ने ऑपइंडिया से बात की। उन्होंने बताया कि वो ‘भगवती आदर्श विद्यालय’ नाम का एक स्कूल भी चलाते हैं।
ननकन मिश्रा के भतीजे ने सिराज खान को हरा कर प्रधानी का चुनाव जीता था। उनसे पहले उसी गाँव की प्रधान नूरजहाँ नाम की मुस्लिम महिला थीं। ननकन के अनुसार, उनके गाँव में मुस्लिमों की आबादी लगभग 50% है और ये आबादी पिछले लगभग 10 साल में बढ़ी है।
उन्होंने बताया कि उनके गाँव में ज्यादातर मुस्लिम आबादी नेपाल से आकर बसी है और बाकी कुछ भारत के अन्य स्थानों से आए हैं। मिश्रा ने इन बाहरी मुस्लिमों को ‘NRI टाइप का लोग’ बताया।
बाहरी लोगों की किसी ने नहीं की जाँच-पड़ताल
ननकन मिश्रा ने बताया कि आज तक किसी अधिकारी या कर्मचारी ने भी ये जाँचने की जहमत नहीं उठाई कि ये बाहरी लोग कौन हैं और कहाँ से आए हैं। अपने इलाके को मिश्रा ने सराय बताया और कहा कि जिसे जैसे भी रहना है, वो बिना रोक-टोक के रह सकता है। मिश्रा के मुताबिक, आबादी के साथ-साथ इलाके में मस्जिद और मदरसे भी उसी अनुपात में बढ़े हैं।
बॉर्डर के हर गाँव में बढ़ी मस्जिदें और मदरसे
ननकन मिश्रा ने हमें बताया कि सिर्फ उनके ही नहीं, बल्कि सीमावर्ती हर गाँव में मस्जिद और मदरसों की संख्या बढ़ी है। 50 वर्षीय ननकन ने अपने बचपन की याद ताज़ा करते हुए बताया कि तब उनकी जानकारी में इलाके में सिर्फ 2 मस्जिदें हुआ करती थीं, लेकिन अब सऊदी मॉडल की मस्जिदें भी दिखाई पड़ती हैं। मिश्रा के अनुसार, पड़ोस में महादेऊआ गाँव का भी यही हाल है। उन्होंने टंडवा नाम के गाँव में लगभग शत-प्रतिशत आबादी मुस्लिमों की होने का अनुमान लगाया।
उर्दू और अरबी में नेमप्लेट वाले नल
ननकन मिश्रा ने आगे बताया कि उनके गाँव और आसपास के इलाकों में ऐसे नल लगे हैं, जिन पर अरबी भाषा की नेमप्लेट लगी हुई है। मिश्रा ने दावा किया कि ये नल सऊदी अरब के पैसे से लगे हैं।
उन्होंने बताया कि कोई लोकल मौलाना है, जो इन नलों को लगवा रहा है लेकिन अभी तक उसकी जाँच किसी ने भी नहीं की है। मिश्रा के मुताबिक, स्थानीय लोग इसलिए अधिकारियों से कोई शिकायत नहीं करते क्योंकि उन्हें पता है कि कोई कार्रवाई नहीं होनी है, उलटे दुश्मनी बढ़ जाएगी सो अलग।
ऑपइंडिया को भी दिखे अरबी नेमप्लेट वाले नल
ननकन मिश्रा द्वारा बताए गए उर्दू और अरबी नेमप्लेट वाले नलों की पुष्टि के लिए हमने खुद से खोज शुरू की। इस दौरान हमें ऐसे कई नल सड़क के किनारे और गाँव के अंदर लगे मिले। तुलसीपुर थाना क्षेत्र में ही आने वाले एक गाँव प्रेमनगर में नल पर अरबी भाषा में ‘संयुक्त अरब अमीरात एसोसिएशन’ और इंग्लिश में ‘खैर टेक्निकल सोसाइटी इंडिया’ लिखा मिला।
भारत नेपाल सीमा पर बदल रहे हालातों का जायजा लेते हुए हमने तुलसीपुर क्षेत्र में ऐसे नल देखे जिन पर अरबी भाषा में कुछ लिखा था
— Rahul Pandey (Journalist) (@STVRahul) September 14, 2022
इसी के साथ उसी नल पर खैर टेक्निकल सोसाइटी इंडिया भी इंग्लिश में लिखा था
ऊपर जो logo लगा था वो सऊदी सरकार से मिलता जुलता है.@BalrampurDm @balrampurpolice pic.twitter.com/JoHDXuWA4Y
ऐसा ही एक नल खैरी चौराहे पर डॉक्टर इबादुर रहमान की क्लिनिक के सामने मुख्य सड़क के बगल लगा हुआ था। उन्होंने हमें बताया कि इसे ‘जकात’ के पैसे से लगाया गया है और ऐसे नल हिन्दू और मुस्लिम दोनों के घरों पर लगाए जाते हैं।
‘खैर टेक्निकल सोसाइटी’ के बारे में जानकारी जुटाने पर हमें पता चला कि ये NGO सिद्धार्थनगर के मुस्लिम बहुल बाजार डुमरियागंज के किसी व्यक्ति द्वारा संचालित किया जाता है।
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