पाकिस्तानी जमीन पर फल-फूल रहे आतंकी संगठन कश्मीर में बड़े आतंकी हमलों को अंजाम देने की फिराक में हैं। यही कारण है कि केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में 10,000 हजार अतिरिक्त जवानों को तैनात करने का फैसला किया है। न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है।
सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को जवानों पर बड़े हमले की साजिश रचे जाने का इनपुट मिला है। इसे देखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोवाल ने पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर में आतंकरोधी ग्रिड के अधिकारियों के साथ बैठक कर घाटी में सुरक्षा-व्यवस्था का जायजा लिया। इसी इनपुट के आधार पर सरकार ने एहतियातन अतिरिक्त जवानों को तैनात करने का फैसला किया है और खुद डोवाल हालात पर नजर बनाए हुए हैं।
Top govt sources: NSA Ajit Doval had held a meeting of counter-terrorism grid in Jammu and Kashmir in view of this major terrorist attack threat in the Kashmir valley.
— ANI (@ANI) July 28, 2019
The decision to deploy the troops is to further strengthen the counter terrorist grid in the state. https://t.co/3aIwuruuUX
जम्मू-कश्मीर के दो दिन के दौरे से डोवाल के लौटने के बाद केन्द्र सरकार ने घाटी में अर्ध सैनिक बलों की 100 और कंपनियॉं तैनात करने का फैसला किया था। गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अतिरिक्त जवानों की तैनाती आतंकरोधी अभियानों को मजबूती देने और राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति सुदृढ़ करने के लिए की गई है। सीआरपीएफ़ की 50, सीमा सुरक्षा बल की 30 और बीएसएफ तथा आईटीबीपी की 10-10 कंपनियॉं तैनात होंगी।
जम्मू-कश्मीर में अभी राज्यपाल शासन है। इससे पहले केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों को 24 फरवरी को कश्मीर भेजा गया था। उस समय लोकसभा चुनाव के दौरान सुरक्षा-व्यवस्था का हवाला देते हुए तैनाती की गई थी। अमरनाथ यात्रा के लिए भी राज्य में करीब 40 हजार अतिरिक्त जवान तैनात किए गए हैं।
अतिरिक्त जवानों की तैनाती के फैसले ने कश्मीरी नेताओं और अलगाववादियों को बेचैन कर रखा है। इनका आरोप है कि जवानों की भारी तैनाती से केन्द्र घाटी में डर का माहौल पैदा कर रहा है। जवानों की अतिरिक्त तैनाती के साथ अनुच्छेद 35ए को खत्म किए जाने की अटकलों ने भी जोर पकड़ लिया है।