केंद्र में 2004 से लेकर 2014 तक UPA की सरकार थी। कॉन्ग्रेस इस गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी थी और डॉक्टर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, लेकिन सत्ता की बागडोर सोनिया गाँधी के हाथ में थी। UPA सरकार में कोयला और कॉमनववेल्थ से लेकर 2G और रेलवे में नौकरी तक, कई घोटाले हुए। वहीं मुंबई में 26/11 हमलों के बाद सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही, कॉन्ग्रेस पार्टी पाकिस्तान को क्लीन-चिट देते हुए हिन्दुओं को इसके लिए जिम्मेदार ठहराती रही।
अब UPA सरकार का नया कारनामा देश के सामने आया है। UPA सरकार ने जानबूझकर ब्रह्मोस मिसाइल के निर्यात से जुड़ी फाइलों को अटकाया। ब्रह्मोस की टीम का फिलीपींस दौरा रोक दिया गया था और इसके लिए राजनीतिक क्लियरेंस न होने की बात कही गई थी। कोई पॉलिसी न होने से असमंजस की स्थिति बनी रही, ब्रह्मोस के निर्यात में देरी हुई। ‘ABP News’ के पत्रकार आशीष सिंह ने कई पुराने पत्रों को जारी करते हुए ये खुलासा किया। इसके तार विदेश और रक्षा मंत्रालय तक जुड़े हुए हैं।
3 अलग-अलग देशों से संबंधित ये दस्तावेज हैं। असल में पिछले महीने ब्रह्मोस की पहली बार देश से बाहर डिलीवरी हुई, वो कई वर्षों पहले हो सकती थी अगर UPA सरकार लचर रवैया नहीं अपनाती। 17 अप्रैल, 2014 को विदेश मंत्रालय ने ब्रह्मोस के GM को पत्र लिखा था, तब टीम फिलीपींस जाने वाली थी। उन्होंने हिदायत दी गई कि बिना पॉलिटिकल क्लियरेंस के वो फिलीपींस न जाए। उस समय RK अग्निहोत्री ब्रह्मोस ऐरोस्पेस के CEO थे और उन्हें भी ये पत्र लिखा गया था।
इस पत्र में लिखा गया है कि सूचना मिली है कि ब्रह्मोस की टीम फिलीपींस जा रही है, लेकिन हमारे पास इसके पॉलिटिकल क्लियरेंस संबंधित कोई दस्तावेज नहीं हैं। साथ ही टीम को MEA से संपर्क करने को भी कहा गया है। एक अन्य पत्र इंडिया इंडोनेशिया जॉइंट डिफेंस कॉर्पोरेशन की बैठक को लेकर है, जो 17-18 जून, 2010 को हुई थी। इस दौरान इंडोनेशिया प्रतिनधिमंडल को नई दिल्ली में ब्रम्होस ऐरोस्पेस का दौरा भी करना था। हालाँकि, केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने सलाह दी कि इस दौरे को रद्द किया जाए।
कारण बताते हुए कहा गया कि ब्रह्मोस के निर्यात को लेकर अभी राजनीतिक स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। ये पत्र ब्रह्मोस ऐरोस्पेस के तत्कालीन CEO ए सिवाथनु पिल्लई को केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के अधिकारी DK महापात्रा ने लिखा था। इस पत्र में लिखा गया था कि हम इंडोनेशिया को गलती से ये इंगित करा रहे हैं कि हम ब्रह्मोस मिसाइल के निर्यात को लेकर तैयार हैं। वहीं 9 मई, 2011 को भी एक पत्र भेजा गया है जिसमें कहा गया है कि केंद्रीय विदेश मंत्रालय चुनिंदा देशों को ब्रह्मोस मिसाइल निर्यात करने के पक्ष में है।
इस पत्र में कहा गया है कि ब्रह्मोस मिसाइल के उत्पादन और विक्रय को लेकर रूस के साथ हुए करार को इस तरह से लागू किया जाना चाहिए जो किसी भी पक्ष की सुरक्षा और सैन्य-राजनीतिक हितों को नुकसान नहीं पहुँचाता हो। इसमें राष्ट्रीय कानूनों का ध्यान रखने की भी सलाह दी गई थी। हालाँकि, अंत में इसमें भी आदेश दिया गया था कि मिसाइलों के निर्यात को लेकर जब तक निर्णय नहीं हो जाता तब तक ब्रह्मोस के निर्यात को लेकर कोई बातचीत न की जाए।
तत्कालीन केंद्रीय विदेश सचिव निरुपमा राव ने कहा था कि हम ब्रह्मोस के पक्ष में हैं, लेकिन इसके निर्यात के लिए हमारे पास कोई नीति नहीं है। इस पत्र में भी लिखा गया है कि MEA इसके लिए नीति बनाने की ज़रूरत पर जोर देती है। इसमें संयुक्त राष्ट्र के नियमों के पालन की बात से लेकर आतंकियों के हाथ में तकनीक जाने की आशंका भी जताई गई है, लेकिन इसका कोई निदान नहीं बताया गया है। सिर्फ निर्यात के लिए किसी भी बातचीत से मना किया गया है।
'मिशन ब्रह्मोस’@ABPNews पर बहुत बड़ा खुलासाI
— Ashish Singh (@AshishSinghNews) May 24, 2024
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1) When BrahMos team was going to Philippines. They were stopped,… pic.twitter.com/Pe19WzDd7R
बता दें कि ब्रह्मोस मध्यम रेंज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसे सबमैरीन, जहाज या फाइटर एयरक्राफ्ट से लॉन्च किया जा सकता है। इसके जमीन और जहाज से मार करने वाले वर्जन हैं। भारत के ब्रह्मपुत्र और रूस की नदी मॉस्क्वा नदी के संयुक्त नाम पर इसका नाम ब्रह्मोस रखा गया है। अब 1500 किलोमीटर रेंज तक के ब्रह्मोस मिसाइलों के उत्पादन की तैयारी है। इसकी पहली टेस्ट फायरिंग जून 2001 में हुई थी। सितंबर 2010 में सुपरसोनिक स्पीड में टेस्ट की जाने वाली ये पहले स्टीप डाइव मिसाइल बनी।
अप्रैल 2024 में भारत ने ब्रह्मोस की पहली सफल डिलीवरी पूरी की। भारत और फिलीपींस के बीच इसे लेकर 375 मिलियन डॉलर (3114 करोड़ रुपए) की डीप हुई थी। भारतीय वायुसेना के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से इसके पहले बैच की डिलीवरी पूरी की जा चुकी है। फिलीपींस अपनी सेना के आधुनिकीकरण की योजना के तहत ब्रह्मोस खरीद रहा है।4 खेप में ये मिसाइलें पहुँचाई गई हैं, हर खेप में 3 लॉन्चर और 290 किलोमीटर रेंज की 3 मिसाइलों के अलावा प्रत्येक लॉन्चर के लिए एक मोबाइल प्लेटफॉर्म दिया जाता है।