राफेल डील पर कॉन्ग्रेस के आरोपों के बीच मोदी सरकार ने मंगलवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट संसद में पेश की। इस दौरान विपक्ष ने जेपीसी से जांच के लिए हंगामा किया। रिपोर्ट के मुताबिक यूपीए के मुकाबले NDA के शासनकाल में 2.86% सस्ती डील फाइनल की गई है।
कैग की रिपोर्ट में 2007 और 2015 की बोलियों का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट में लिखा है:
“आईएनटी द्वारा गणना किए गए संरेखित मूल्य ‘यू 1’ मिलियन यूरो था जबकि लेखापरीक्षा द्वारा आंकलित की गई संरेखित कीमत ‘सीवी’ मिलियन यूरो थी जो आईएनटी संरेखित लागत से लगभग 1.23 प्रतिशत कम थी। यह वह मूल्य था जिस पर 2015 में अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जाने चाहिए थे यदि 2007 और 2015 की कीमतों को बराबर माना जाता। लेकिन इसके जगह 2016 में ‘यू’ मिलियन यूरो के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे, जो लेखापरीक्षा के संरेखित कीमत से 2.86 प्रतिशत कम थी।”
CAG report, tabled before Rajya Sabha today, says compared to the 126 aircraft deal, India managed to save 17.08% money for the India Specific Enhancements in the 36 Rafale contract. #RafaleDeal pic.twitter.com/mFydI83Led
— ANI (@ANI) February 13, 2019
कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने कैग रिपोर्ट को बकवास बताया और इसे चौकीदार ऑडिट जनरल रिपोर्ट नाम दिया। भारत ने पहले प्रस्तावित 126 विमान सौदे की तुलना में 36 राफेल विमान अनुबंध में ‘इंडिया स्पेसिफिक एनहांसमेंट (India Specific Enhancement)’ के मामले में 17.08% बचाने में कामयाबी हासिल की।