आपको दिसंबर 2019 की वो घटना याद होगी, जब बीर बहादुर सिंह नामक एक शिक्षक को कोलकाता स्थित मेटियाब्रुज में गोली मार दी गई थी। उनका दोष सिर्फ इतना था कि वो RSS से जुड़े हुए थे। गार्डन रिच विधानसभा क्षेत्र में हुई इस घटना में वो तो बच गए, लेकिन वो मंजर ज़िंदगी भर उनके साथ रहेगा। उन्होंने ऑपइंडिया से बात करते हुए उस घटना के बारे में बताया। उनकी पीठ में बंदूक सटा कर गोली मारी गई थी।
बीर बहादुर सिंह एक प्राइवेट स्कूल में कम्प्यूटर के शिक्षक हैं और संघ के कार्यों में सक्रिय रहते हैं। उन्होंने बताया कि वो क्षेत्र में तिरंगा यात्रा निकालते थे, लेकिन जनवरी 2018 में क्षेत्र में हिन्दुओं के घर के सामने बीफ फेंका गया। जब वो वहाँ पर गए तो इलाके के स्थानीय काउंसिलर ने हाथ से उठा कर फेंक दिया। उन्होंने बताया कि तभी पार्षद के लोगों ने उन पर हमला किया, लेकिन कोलकाता पुलिस के कुछ कर्मियों एक कारण वो बच गए।
बीर बहादुर सिंह ने बताया कि उसके बाद रात 12 बजे तक उन्हें थाने में बिठा कर न सिर्फ मानसिक प्रताड़ना दी गई, बल्कि उनसे लिखवाया गया कि सब उन्होंने ही किया है। 4 महीने बाद उन पर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने के तहत केस किया गया। इसके बाद डिग्री चोरी का मामला चलाया गया। आरोप है कि इसके बाद TMC पार्षद के लोगों ने उन पर हमला किया, लेकिन पार्षद के खिलाफ नामजद FIR नहीं की। उन्होंने बताया:
“हम अपने घर से एक जगह जा रहे थे, तभी वहाँ पीछे से पीठ में बंदूक सटा कर गोली मारी गई। किसी तरह मैं 200 मीटर चला ताकि पुलिस थाने में जाकर मामला दर्ज करा सकूँ। कुछ देर बाद मेरे एक रिश्तेदार आए, जिन्हें मैंने पुलिस को बुलाने को कहा। पुलिस ने मुझे अस्पताल में भर्ती कराया। इस मामले में अब तक मुझे न्याय नहीं मिला। गोली शरीर के आर-पार निकल गई थी। मुझे किसी ने आगाह किया था कि मेरी जान को खतरा है।”
उन्होंने बताया कि ‘जय श्री राम’ सुन कर कुछ नेता चिढ़ जाते हैं, जिन्हें राम के नाम से कष्ट होता है। उन्होंने बताया कि कुछ लोग इसी फिराक में रहते हैं कि हिन्दुओं को डरा-धमका कर पलायन करा दिया जाए। इस दौरान उन्होंने एक हिन्दू परिवार का उदाहरण भी दिया। वीर बहादुर ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि न्याय मिलेगा क्योंकि पश्चिम बंगाल में 1 महीने में परिवर्तन होने वाला है, जिसके बाद सभी पीड़ितों को न्याय मिलेगा।
उन्होंने कहा कि पार्टी और नेताओं को कार्यकर्ताओं से उम्मीद रहती है और इसी तरह कार्यकर्ताओं को भी नेताओं से उम्मीद रहती है। उन्होंने कहा कि RSS के वरिष्ठ नेताओं ने उनका पूरा सहयोग किया और न्याय दिलाने का भरोसा दिया। उक्त इलाके के बारे में वो कहते हैं कि यहाँ पहले अच्छी-खासी संख्या में हिन्दू थे, लेकिन अब कम ही बचे हैं और सत्ता का दुरुपयोग कर के लोगों को धमकाने वाले बच गए हैं।
बता दें कि मेटियाब्रुज वही इलाक़ा है, जिसे तृणमूल कॉन्ग्रेस के एक मंत्री ने ‘मिनी पाकिस्तान’ करार दिया था। एक पाकिस्तानी पत्रकार को मेटियाब्रुज के बारे में बताते समय ममता बनर्जी के मंत्री फरहाद हाकिम ने बताया था कि गार्डन रीच वाला इलाक़ा कोलकाता का ‘मिनी पाकिस्तान’ है। उन्होंने ‘द डॉन’ के पत्रकार से कहा था- “आइए, आपको मिनी पाकिस्तान की सैर कराता हूँ।” ये वही इलाक़ा है, जहाँ अवध के आखिरी नवाब वाज़िद अली शाह ने अपनी ज़िंदगी के अंतिम 30 वर्ष गुजारे थे।