Sunday, September 1, 2024
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कारगिल युद्ध के लिए कॉन्ट्रैक्ट ठुकरा दिया, कश्मीरी दोस्तों से कहा- लड़ने को तैयार हूँ: शोएब अख्तर घास खाने को भी तैयार

“लोग इस कहानी के बारे में बहुत कम ही जानते हैं। नॉटिंघम के साथ मेरा 175,000 पाउंड का करार था। फिर 2002 में मेरे पास एक बड़ा कॉन्ट्रैक्ट था। कारगिल युद्ध के होने पर मैंने दोनों को छोड़ दिया।"

पाकिस्तानी टीम के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर एक बार फिर अपने बड़बोलेपन को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने कहा है कि वह सेना का बजट बढ़ाने के लिए घास खाने को भी तैयार हैं। साथ ही दावा किया है कि कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना की सेवा करने के लिए काउंटी क्रिकेट का कॉन्ट्रैक्ट भी ठुकरा दिया था। 

ARY News से बातचीत में शोएब अख्तर ने कहा कि अगर अल्लाह की मर्ज़ी रही तो मैं खुद घास भी खा लूँगा। लेकिन अपने देश की सेना का बजट बढ़ाने के लिए हर कोशिश करूॅंगा। इसके बाद अख्तर ने कहा उन्हें समझ नहीं आता है देश का नागरिक आखिर सेना के साथ मिल कर साझा तौर पर काम क्यों नहीं कर सकता है।

रावलपिंडी एक्सप्रेस के नाम मशहूर शोएब ने कहा कि वे पाकिस्तानी सेना के मुखिया के साथ बैठकर उनसे फैसले लेने की गुज़ारिश करेंगे। उनसे कहेंगे कि अगर सेना का बजट 20 फ़ीसदी है तो इसे 60 फ़ीसदी तक बढ़ा दिया जाए। 

शोएब अख्तर ने यह भी कहा कि वह कारगिल युद्ध में अपनी तरफ से मदद करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने नॉटिंघमशायर के साथ 175,000 पाउंड (लगभग 1,20,75,000 रुपए, एक पाउंड 1999 के करेंसी रेट के हिसाब से लगभग 69 रुपए के बराबर था) का कॉन्ट्रैक्ट ठुकरा दिया था। साल 1999 के मई में करगिल युद्ध हुआ था।

साक्षात्कार के दौरान शोएब ने कहा, “लोग इस कहानी के बारे में बहुत कम ही जानते हैं। नॉटिंघम के साथ मेरा 175,000 पाउंड का करार था। फिर 2002 में मेरे पास एक बड़ा कॉन्ट्रैक्ट था। कारगिल युद्ध के होने पर मैंने दोनों को छोड़ दिया।”

उन्होंने कहा, “मैं लाहौर के बाहरी इलाके में खड़ा था। मुझे वहाँ देख कर एक जनरल ने पूछा कि मैं क्या कर रहा हूँ? मैंने कहा लड़ाई शुरू होने वाली है, हम साथ मरेंगे। मैंने इस तरह दो बार क्रिकेट छोड़ा था, जिस पर सब के सब हैरान हुए थे। मुझे इस बात की बिलकुल चिंता नहीं थी। मैंने कश्मीर में मौजूद अपने दोस्तों को फोन किया और उनसे कहा कि मैं लड़ने के लिए तैयार हूँ।” 

शोएब अख्तर सेना का बजट बढ़ाने की पैरोकारी ऐसे समय में कर रहे हैं जब पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति खस्ताहाल है। जुलाई में आई एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ 2 सालों के भीतर, इमरान खान की सरकार में पाकिस्तान पर 22 बिलियन डॉलर का क़र्ज़ लद चुका है। यह पूरी दुनिया के क़र्ज़ का 35 फ़ीसदी है।

कोरोना वायरस महामारी के चलते हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान को 1.39 बिलियन डॉलर दिए थे। शोएब यह सुझाव भी दे चुके हैं कि कोरोना वायरस का सामना करने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच एक क्रिकेट मैच होना चाहिए। इस मैच से इकट्ठा होने राशि का इस्तेमाल कोरोना महामारी से लड़ने में उपयोग होना चाहिए। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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