गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या स्थित रामजन्मभूमि मामले पर सुनवाई करते हुए मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया। न्यायालय के इस निर्णय पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है। संघ ने अयोध्या मामले को मध्यस्थता के लिए भेजने के निर्णय को ‘आश्चर्यजनक’ बताया है।
RSS: In Ram-janmabhoomi case, instead of accelerating the judicial process to end the long drawn dispute, Supreme Court has taken a surprising stand. That the SC should find no priority for this sensitive subject associated with deep faith of Hindu society is beyond understanding pic.twitter.com/g3Fk89YVj8
— ANI (@ANI) March 9, 2019
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय वार्षिक बैठक की रिपोर्ट में यह कहा गया कि अयोध्या मामले में न्यायिक प्रक्रिया में तेज़ी लाने के विपरीत उच्चतम न्यायालय ने एक आश्चर्यजनक फैसला लिया है। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि न्यायालय का हिन्दू धर्म के संवेदनशील विषयों को प्राथमिकता न देना समझ के बाहर है।
RSS: In Ram-janmabhoomi case, instead of accelerating the judicial process to end the long drawn dispute, Supreme Court has taken a surprising stand. That the SC should find no priority for this sensitive subject associated with deep faith of Hindu society is beyond understanding pic.twitter.com/g3Fk89YVj8
— ANI (@ANI) March 9, 2019
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि हिन्दू समाज की निरंतर उपेक्षा की जा रही है। न्यायिक प्रक्रिया में पूर्ण विश्वास जताते हुए संघ ने आशा जताई कि मसले का हल जल्दी ही निकाला जाएगा और सारे अवरोधों को दूर कर राम मंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त होगा।
ग्वालियर में चल रही इस बैठक में हिन्दू हित के कई आयामों पर चर्चा होगी। सबरीमला पर केरल सरकार के निर्णय की निंदा करने वाला प्रस्ताव भी पारित किया जाएगा। संघ के 14000 स्वयंसेवक इस बैठक में भाग लेंगे। इसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी भाग लेंगे।
सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा कि सबरीमला मंदिर मुद्दा पीढ़ियों पुरानी परम्पराओं का हिस्सा है और केरल सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करने की आड़ में हिन्दू श्रद्धालुओं पर अत्याचार कर रही है।