Sunday, November 17, 2024
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लोकसभा में तीन तलाक पर बिल पास, ओवैसी ने कहा- औरतों पर जुल्म है यह कानून

बिल के मुताबिक, आरोपित को पुलिस जमानत नहीं दे सकेगी। मजिस्ट्रेट पीड़ित महिला का पक्ष सुनने के बाद वाजिब वजहों के आधार पर जमानत दे सकते हैं। उन्हें पति-पत्नी के बीच सुलह कराकर शादी बरकरार रखने का भी अधिकार होगा।

लोकसभा में बृहस्पतिवार को दिनभर चली चर्चा के बाद बहुप्रतिक्षित मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक यानी तीन तलाक पर रोक सम्बन्धी बिल पास हो गया। मत विभाजन के दौरान पक्ष में 303 और विपक्ष में 82 वोट पड़े। बिल में संशोधन के लिए विपक्षी दलों के तरफ से लाए गए प्रस्ताव भी ख़ारिज हो गए ।

असदुद्दीन ओवैसी की ओर से लाए गए संशोधन को सदन ने ध्वनिमत से खारिज कर दिया। एनके प्रेमचंद्रन का संशोधन प्रस्ताव भी खारिज हो गया।

लोकसभा में बिल को विचार के लिए पेश करने के प्रस्ताव पर विपक्षी सांसदों ने वोटिंग की माँग की थी। इसके बाद लोकसभा स्पीकर ने इसकी अनुमति दी। पक्ष में 303 वोट मिलने के बाद तीन तलाक बिल पास होने की घोषणा स्पीकर ने कर दी।

लोकसभा में दूसरी बार पास हुआ है यह बिल

कॉन्ग्रेस, डीएमके, एनसीपी समेत कई विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया जबकि टीएमसी और सरकार की सहयोगी जेडीयू ने सदन से वॉक आउट कर दिया। इससे पहले फरवरी में भी लोकसभा में बिल को मंजूरी मिल गई थी, लेकिन राज्यसभा ने इसे मंजूरी नहीं दी थी। सत्ता मैं लौटने के बाद सरकार ने विधेयक को दोबारा लोकसभा में पेश किया था। हालाँकि, राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास कराना अब भी सरकार के लिए आसान नहीं होगा।

ओवैसी ने कहा- यह कानून औरतों पर जुल्म जैसा

AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “तीन तलाक कानून महिलाओं के खिलाफ है। क्या शौहर जेल में रहकर भत्ता देगा? सरकार इस तरह औरतों को सड़क पर लाने का काम कर रही है। इस्लाम में शादी एक कॉन्ट्रैक्ट की तरह होती है। यह जन्म-जन्म का साथ नहीं है। मैं सुझाव देता हूँ कि कानून न बनाकर मेहर की 500% रकम लौटाने का प्रावधान कर दिया जाए। हमको इस्लामिक देशों से मत मिलाइए वरना कट्टरपंथ को बढ़ावा मिलेगा।”

विधेयक में ये हुए थे बदलाव

  1. अध्यादेश के आधार पर तैयार नए बिल के मुताबिक, आरोपित को पुलिस जमानत नहीं दे सकेगी। मजिस्ट्रेट पीड़ित पत्नी का पक्ष सुनने के बाद वाजिब वजहों के आधार पर जमानत दे सकते हैं। उन्हें पति-पत्नी के बीच सुलह कराकर शादी बरकरार रखने का भी अधिकार होगा।
  2. बिल के मुताबिक, मुकदमे का फैसला होने तक बच्चा माँ के संरक्षण में ही रहेगा। आरोपित को उसका भी गुजारा देना होगा। तीन तलाक का अपराध सिर्फ तभी संज्ञेय होगा जब पीड़ित पत्नी या उसके परिवार (मायके या ससुराल) के सदस्य एफआईआर दर्ज कराएँ।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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