Thursday, November 21, 2024
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20,000 गुलाम, हिंदुओं को यातना और ईसाई धर्मांतरण: जेवियर के अनुयायियों की हकीकत सुन भड़के AAP नेता, पुलिस कार्रवाई की उठाई माँग

सेंट जेवियर पुर्तगालियों की देखरेख के अंतर्गत गोवा के हिन्दुओं को ईसाइयत में लाने के लिए उन पर काफी अत्याचार किए गए। उसके आने के बाद 1559 तक गोवा में 350 से अधिक हिन्दू मंदिरों को बंद कर दिया गया था।

गोवा में हिन्दुओं को यातनाओं से ईसाई बनाने वाले और मंदिरों को नष्ट करने वाले सेंट फ्रांसिस जेवियर के बारे में लिखने पर आम आदमी पार्टी (AAP) के गोवा प्रदेश अध्यक्ष भड़क गए। उन्होंने जेवियर की सच्चाई बताने वाले पर पुलिस कार्रवाई की माँग कर दी।

एक्स यूजर अभिषेक बनर्जी ने एक पोस्ट में बताया कि जिस सेंट फ्रांसिस जेवियर के नाम से देश भर में कई स्कूल कॉलेज चलते हैं और जिसके बनाए जेसुइट आर्डर को भारतवासी शिक्षा का प्रतिमान मानते हैं, वह लोगों को गुलाम बनाते थे। बनर्जी ने बताया कि एक समय पर सेंट फ्रांसिस जेवियर के अनुयायी, जिन्हें जेसुइट कहा जाता है, उनके पास 20,000 से अधिक गुलाम थे।

अभिषेक बनर्जी ने कहा कि लोगों को इनके बारे में और जानना चाहिए। इसी बात गोवा के आम आदमी पार्टी के गोवा अध्यक्ष अमित पालेकर भड़क गए। उन्होंने बनर्जी पर कार्रवाई की माँग गोवा पुलिस से कर दी। पालेकार ने दावा किया कि इससे गोवा के कैथोलिक ईसाइयों समेत पूरे गोवा वासियों की भावनाएँ आहत हुई हैं।

इस पर बनर्जी ने उन्हें साक्ष्य दिखाए कि इस बात के लिखित प्रमाण हैं कि जेवियर के अनुयायी गुलाम रखते थे। ऐसे में अमित पालेकर को भड़काना नहीं चाहिए। दरअसल, अभिषेक बनर्जी उस स्तर की तरफ इशारा कर रहे थे जिस पर ज्यादा बात नहीं की जाती।

कौन था फ्रांसिस जेवियर?

इसाई मिशनरी धर्म प्रचारक सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर (Francis Xavier) पुर्तगाली काफिले के साथ वर्ष 1542 में भारत आया था। उसने भारत पहुँचकर ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार किया था। वह ‘सोसायटी ऑफ जीसस’ से जुड़ा था। इन्हीं सोसायटी ऑफ़ जीसस वालों को जेसुइट्स कहा जाता है।

सेंट फ्रांसिस जेवियर के आने के बाद 1559 तक गोवा में 350 से अधिक हिन्दू मंदिरों को बंद कर दिया गया था। इस दौरान हिन्दुओं के मूर्ति पूजा पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। सारे प्रयास किए गए कि वह हिन्दू धर्म छोड़ कर ईसाईयत अपना लें। इसके बाद भी सेंट जेवियर ने देखा कि उसके हिन्दुओं के बलात धर्म परिवर्तन के प्रयास पूरी तरह से कामयाब नहीं हो रहे थे। 

उसे समय रहते यकीन होता गया कि सनातन धर्म की आस्था अक्षुण्ण है। यदि वह मंदिरों को नष्ट करता है तो लोग घरों में ही मंदिर बना लेते हैं। उसने देखा कि लोगों को धारदार हथियारों से काटने, उनके हाथ और गर्दन रेतने और असीम यातनाको देने के बाद भी फेनी (सस्ती शराब) और सनातन धर्म में से लोग सनातन धर्म को ही चुनते और मौत को गले लगा लेते।

निराश होकर जेवियर ने रोम के राजा को पत्र लिखा जिसमें उसने हिन्दुओं को एक अपवित्र जाति बताते हुए उन्हें झूठा और धोखेबाज लिखा उसने कहा कि उनकी मूर्तियाँ काली, बदसूरत और डरावनी होने के साथ ही तेल की गंध से सनी हुई होती हैं।

इसके बाद हिन्दुओं पर यातनाओं का सबसे बुरा दौर आया। फ्रांसिस जेवियर ने गोवा का पूर्ण अधिग्रहण किया। हिन्दुओं के दमन के लिए एक धार्मिक नीतियाँ बनाई और यीशु की कथित सत्ता में यकीन ना करने वाले ‘नॉन-बिलीवर्स’ को दंडित किया जाने लगा।

इस घटना के बारे में लिखने वाले इतिहासकारों को भी सख्त यातनाएँ दी गईं। उन्हें या तो गर्म तेल में डालकर जलाया जाता या फिर जेल भेज दिया जाता। ऐसे ही कुछ लेखकों में फिलिपो ससेस्ती, चार्ल्स देलोन, क्लाउडियस बुकानन आदि के नाम शामिल थे। इतिहास में पहली बार हिन्दू भागकर बड़े स्तर पर प्रवास करने को मजबूर हो गए।

सेंट फ्रांसिस जेवियर ने मात्र भारत ही नहीं बल्कि मलय प्रायद्वीप, श्रीलंका, जापान और चीन तक में ईसाइयत का प्रचार करने गया था। उसकी चीन के द्वीप पर बुखार से मौत हो गई थी। बताते हैं कि उसने अपने जीवन में कम से कम 30,000 लोगों को ईसाई बनाया था।

जेसुइट रखते थे गुलाम

सेंट फ्रांसिस जेवियर जिस सोसायटी ऑफ़ जीसस या ‘जेसुइट्स’ का हिस्सा था वह बड़े स्तर पर लोगों को गुलाम बनाते थे। जेसुइट्स ने अमेरिका में स्थानीय आदिवासियों को गुलाम बनाया था। उनके पास एक समय में 20,000 से अधिक गुलाम थे और उन्हें खेतों तथा अन्य कामों में लगाया जाता था। गुलामों को रखने, उन पर अत्याचार करने को कई बार सही भी बताया गया था। इसे ईसाईयत के विरुद्ध नहीं माना गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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