भारतीय सेना के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल व एक्ट्रेस गुल पनाग के पिता हरचरणजीत सिंह पनाग ने बुधवार (सितंबर 15, 2021) को इंडियन आर्मी की एक वीडियो शेयर की। इस वीडियो में सेना के जवान ‘ओम जय जगदीश हरे’ के संगीत पर ताली बजाते और हिंदू परंपरा के अनुसार आरती करते नजर आ रहे हैं।
Great leap forward for ceremonial military parades! pic.twitter.com/nvZ8Tb8CMQ
— Lt Gen H S Panag(R) (@rwac48) September 15, 2021
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एच एस पनाग ने इस वीडियो को शेयर कर ये दिखाना चाहा था कि कैसे औपचारिक सैन्य परेडों में बदलाव आया है। इस वीडियो पर कई लिबरल और कट्टरपंथियों ने अपनी प्रतिक्रिया दी और ऐसा दर्शाया कि मोदी सरकार के केंद्र में आने के बाद ये सब शुरू हुआ।
दूसरों को देख के उल्लू बन जाती अकेली नहीं है 😹 pic.twitter.com/mxHBKPLZNR
— Lala (@MrSain96) September 15, 2021
किसी ने इसे शर्मनाक बताया और किसी ने बताया कि राजनीति, धर्म, संप्रदाय, जाति, प्रांत, भेदभाव से दूर रहने वाली भारतीय सेना को बर्बाद करने की तैयारी की जा रही है। आरफा खानुम शेरवानी ने लिखा, “भारत के लोकतांत्रिक संविधान का मजाक। अब भी कोई शक है क्या कि विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र कैसे एक धर्म आधारित राज्य में तब्दील हो रहा है।”
मोना अंबेगांवकर कहती हैं, “एकदम बेहूदा। इनके हाथ में घंटा कब दिया जाएगा।” आरजे सायमा ने तो इसे अविश्वसनीय करार दिया और हैरानी जताते हुए कहा, “क्या? क्या अब ये सब होगा? अविश्वसनीय।”
मालूम हो कि ट्विटर पर लिबरलों के रिएक्शन देख कोई भी इस भ्रम में पड़ जाए कि मोदी सरकार ने भारतीय सेना की तस्वीर बदल दी है। लेकिन हकीकत ये है कि ऐसे संगीत पर पहली बार भारतीय सेना ताली बजाते या फिर ईश्वर के ध्यान में नहीं नजर आई है। साल 2008 में भी ऐसी वीडियो सामने आई थी जिसमें ये संगीत सुनाई दिया था। इसके अलावा भारतीय परंपराओं का अनुपालन व सब धर्मों का सम्मान अलग-अलग मौकों पर भारतीय सेना करती रही है।
This is from 2008. You people try to show hate against hindu but end up exposing your poor knowledge. Keep crying 👍🏻 pic.twitter.com/FguMVV9fHr
— Facts (@BefittingFacts) September 15, 2021
हैरानी की बात तो ये है कि 1969 से 2008 तक भारतीय सेना में सेवा देने के बाद भी पनाग इस बात को नहीं समझ सकें हैं कि पूजा-पाठ आरती, त्योहार मनाना, ये सब सेना में होता है। कई उदाहरण है जब सैनिक वॉर क्राई के तौर पर पहले अपने देवी-देवताओं को याद करता है। उदाहरण के लिए:
राजपुताना राइफल्स- राजा राम चंद्र की जय।
राजपूत रेजीमेंट- बोल बजरंग बली की जय।
डोगरा रेजीमेंट- ज्वाला माता की जय।
सिख रेजीमेंट- जो बोले सो निहाल।
गरवाल राइफल्स-बद्री विशाल लाल की जय।
कुमाँऊ रेजीमेंट- कालका माता की जय।
जम्मू-कश्मी राइफल्स-दुर्गा माता की जय।
इसके बाद तमाम उदाहरण भी हैं जब भारतीय जवान हिंदू परंपराओं को मानते हैं। साथ ही साथ हर धर्म की इज्जत करते हैं। 2018 की रिपोर्ट बताती है कि जब 2018 में 12वीं सिख लाइट इन्फैंट्री कोकराझार में स्थानांतरित हुई, तो उन्होंने बैसाखी मनाने की परंपरा को जारी रखा। तस्वीरों में एक सिख सैनिक को बैसाखी पर पथ के लिए श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के लिए मार्ग का नेतृत्व करते हुए दिखाया गया है। इसी तरह भारतीय सेना का बैंड ‘अबाइड बाय मी’ भी बजाता है जोकि एक ईसाई मंत्र है।
इसके अलावा भारतीय सेना में विभिन्न धर्मों के विद्वान भी समय समय पर विशेष गाइडेंस के लिए बुलाए जाते रहे हैं। इस काम के तो विज्ञापन भी अखबारों में आते हैं। ऐसे में भारतीय सेना की छवि धूमिल करने का क्या मतलब। पनाग द्वारा शेयर वीडियो में भारतीय सेना के जवान सिर्फ अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। वो किसी बाढ़ प्रभावित इलाके के ग्रामीण को बचाने से पहले उसकी जाति नहीं पूछते। अंतत: ये साफ है कि पनाग द्वारा किया गया ट्वीट पूरी तरह गलत है और जवानों द्वारा की जा रही आरती के लिए पीएम मोदी को जिम्मेदार ठहराना बिलकुल फर्जी है।