राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह द्वारा कश्मीर में लागू अनुच्छेद-370 और 35-A को खत्म करने के प्रस्ताव को पेश करते ही विपक्षी पार्टियों और लिबरल गैंग को झटके लगने शुरू हो गए हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे। इसके साथ ही आर्टिकल 35-A को भी हटा दिया गया है।
इस फ़ैसले से नाराज़ समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सेठ ने पार्टी के साथ-साथ संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि संजय सेठ, मुलायम सिंह के बेहद क़रीबी रहे हैं। कॉग्रेस के सांसद भुवनेश्वर कालिता ने भी राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया है। ऐसी संभावना है कि वो जल्द ही बीजेपी में शामिल होंगे।
दूसरी तरफ, लिबरल गैंंग भी इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर जमकर प्रतिक्रिया दे रहा है। बरखा दत्त ने ट्वीट किया, “एक डेस्क में दो विधानसभा, दो प्रधान, दो निशान नहीं हो सकते।” जैसे ही जम्मू-कश्मीर में सरकार आएगी तब क्या?
The @AmitShah move to scrap #Article370 #Article35A completes Syama Prasad Mukherjee call: “Ek Desk mein do vidhan, do Pradhan, do nishan nahin ho sakte”. But to be legally valid it needs the consent of Jammu and Kashmir. Sooner or later state will have a new government. Then?
— barkha dutt (@BDUTT) August 5, 2019
The big picture: @AmitShah moves bill to revoke #Article370 #Art35A. Scraps J&K special status. Cites Governor’s consent as consent of the state. J&K to be a Union Territory, have less powers than even Delhi govt. Security thus to be in centres hands.
— barkha dutt (@BDUTT) August 5, 2019
सोशल मीडिया पर सागरिका घोष का भी दर्द छलका जम्मू-कश्मीर राज्य के एक केंद्र शासित प्रदेश बनने की स्थिति पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए लिखा कि बिना किसी परामर्श और चर्चा के कैसे यह बिल आगे बढ़ गया।
J&K ceases to be a state, becomes a Union Territory. Astounding, bizarre, outlandish to push this bill without even a single round of consultation and discussion with all stakeholders. https://t.co/rhzKExEfWT
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) August 5, 2019
Modi government has now forced “integration” of Kashmir with India, through diktat & show of force. Hope BJP government can now deliver development, jobs, industry and welfare to Kashmiris as well as to the rest of India and not let the region slide into another Palestine
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) August 5, 2019
स्वाति चतुर्वेदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि इन फ़ैसलों पर दोनों सदनों में बहस होनी चाहिए। लोकतंत्र को रबर स्टैंप मत बनाइए।
Wrong let these decisions be debated in both Houses. Don’t rubber stamp democracy https://t.co/mcAlGAnHEK
— Swati Chaturvedi (@bainjal) August 5, 2019
जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा बाधित होने के बावजूद पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती का ग़ुस्सा सोशल सोशल मीडिया पर फूटा। उन्होंने ट्वीट किया हमारे जैसे लोग जिन्होंने संसद पर भरोसा रखा, उन्हें लोकतंत्र के मंदिर में धोखा दिया गया है।
People like us who placed faith in Parliament, the temple of democracy have been deceived. Those elements in J&K who rejected the ?? constitution & sought resolution under the UN have been vindicated. This will exacerbate the alienation Kashmiris feel.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) August 5, 2019
राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने पीडीपी के मीर फ़ैयाज़ और नज़ीर अहमद लावे को संविधान को फाड़ने के बाद सदन से बाहर जाने के लिए कहा, इस पर प्रतिक्रिया स्वरूप आदित्य मेनन ने ट्वीट किया कि ये बीजेपी सरकार है जिसने आज संविधान की हत्या की है।
It is the BJP govt that has murdered the Constitution today https://t.co/TYpbULhBTV
— Aditya Menon (@AdityaMenon22) August 5, 2019