पारंपरिक परिधानों का कारोबार करने वाले फैबइंडिया (Fabindia) ने दिवाली के मौके पर जारी किए गए कलेक्शन को ‘जश्न-ए-रिवाज’ का नाम दिया है। हिंदुओं के त्योहार को इस तरह से उर्दू में पेश फैबइंडिया ने अपने ट्वीट में भी किया था जिसे अब वह डिलीट कर चुके हैं। नेटीजन्स के भारी विरोध के बाद इस ट्वीट को हटाया गया। वहीं अब खबर आ रही है कि फैबइंडिया ने लोगों के भारी विरोध को देखते हुए यह विज्ञापन हटा लिया है।
फैबइंडिया ने लिखा था, “जैसा कि हम प्यार और प्रकाश के त्योहार का स्वागत कर रहे हैं। जश्न-ए-रिवाज फैबइंडिया का कलेक्शन है जो बेहद खूबसूरती से अपना सम्मान भारतीय परंपरा को देता है।”
इस ट्वीट में जश्न-ए-रिवाज शब्द को देख यूजर्स भड़क गए। भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने मामले को उठाते हुए लिखा दीपावली कोई जश्न-ए-रिवाज नहीं है। हिंदू त्योहार का इब्राहिमीकरण, ऐसी मॉडलों का प्रदर्शन जिन्होंने हिंदू परिधान न पहने हों, सबका बहिष्कार होना चाहिए और फैबइंडिया न्यूज जैसे ब्रांड को ऐसी हरकत के लिए आर्थिक हर्जाना चुकाना चाहिए।
Deepavali is not Jash-e-Riwaaz.
— Tejasvi Surya (@Tejasvi_Surya) October 18, 2021
This deliberate attempt of abrahamisation of Hindu festivals, depicting models without traditional Hindu attires, must be called out.
And brands like @FabindiaNews must face economic costs for such deliberate misadventures. https://t.co/uCmEBpGqsc
पत्रकार शेफाली वैद्य लिखती हैं, “वाह फैबइंडिया न्यूज बहुत बढ़िया काम कर रहे हो दिवाली में से हिंदुत्व निकालने के लिए। इसे प्रेम और प्रकाश का त्योहार कहते हैं, टाइटल देते हो- जश्न ए रिवाज, मॉडल्स बिंदी नहीं पहनतीं लेकिन चाहते हो कि इतने मंहगे प्रोडक्ट खरीदें वो भी हिंदू परंपरा के सम्मान के नाम पर।”
Wow @FabindiaNews great job at de-Hinduising Deepawali! Call it a ‘festival of love and light’, title the collection ‘Jashn-e-Riwaaz’, take Bindis off foreheads of models but expect Hindus to buy your overpriced, mass produced products in the name of ‘homage to Indian culture’! https://t.co/S47g1ArUbB
— Shefali Vaidya. 🇮🇳 (@ShefVaidya) October 18, 2021
Fab india I have been a loyal customer but you lost one today . This won’t be the last as count will increase day by day . Where does hash ne riwaaj comes in Hindu festival . Change immediately or suffer your sales and market share
— Nagesh Addapa (@Addapa) October 18, 2021
नागेश अडप्पा कहते हैं, “फैब इंडिया मैं तुम्हारा ईमानदार ग्राहक था, लेकिन आज तुमने एक ग्राहक को खो दिया। ये गिनती यही नहीं रुकेगी, दिन पर दिन बढ़ेगी। आखिर जश्न-ए-रिवाज हिंदू त्योहार में आया कैसे। इसे या तो बदलो वरना मार्केट शेयर गिराने के लिए तैयार रहो।”
Fab india I have been a loyal customer but you lost one today . This won’t be the last as count will increase day by day . Where does hash ne riwaaj comes in Hindu festival . Change immediately or suffer your sales and market share
— Nagesh Addapa (@Addapa) October 18, 2021
फैब इंडिया की इस हरकत पर तंज कसते हुए विवेक कहते हैं कि फैब इंडिया ने मिलाद उन नबी को जश्न-ए-रिवाज का नाम दिया है…उन्हें अच्छी बिक्री के लिए शुभकामनाएँ लेकिन मुझे लगता है कि रंग बहुत भड़कीले हैं….हरा रंग शायद ठीक रहेगा।
So @FabindiaNews has renamed #MiladUnNabi as #JashneRiwaaz ..
— Vivek 🇮🇳 (@viviiyer) October 18, 2021
Wish them good sales.. but personally feel the colors are too gaudy … A green tone would have set it right…. https://t.co/DdAqrg439V
जेएनयू प्रोफेसर आनंद रंगनाथन लिखते हैं, “बड़ी अच्छी बात है। लेकिन क्या आप इस बात को बता सकते हैं कि कौन से त्योहार के बारे में बात हो रही है और कौन से धर्म से ये संबंध रखता है, यह देखते हुए कि सभी त्योहार प्रेम और प्रकाश का उत्सव हैं, न कि घृणा और अंधकार के? अगर आप बहुत भयभीत हैं तो आप मुझे त्योहार का नाम सीधे मैसेज कर सकते हैं। धन्यवाद। ” इसके बाद एक यूजर ने इस तरह की हरकत को हिंदू त्योहारों का इस्लामीकरण कहा। कई यूजर्स ने प्रण लिया कि वो दोबारा इस ब्रांड की चीजें नहीं खरीदेंगे।
गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर फैबइंडिया का विरोध बेबुनियाद नहीं है। उन्होंने दिवाली जैसे पावन पर्व के मौके पर एक कलेक्शन निकाला जिसका नाम उर्दू में है। ऐसे में यूजर्स का पूछना बस यही है कि इसकी जरूरत क्या थी। मालूम हो कि फैबइंडिया की शुरुआत 1960 में जॉन बिस्सेल ने की थी। वह फोर्ड फाउंडेशन ग्रांट पर कॉटेज इंडस्ट्रीज एम्पोरियम के सलाहकार के रूप में भारत आए थे।