भारत सरकार के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट को शनिवार (26 जून 2021) को भारत विरोधी प्रोपेगेंडा मुहिम का हिस्सा व घोर वामपंथी अरुंधति रॉय द्वारा लिखी गई किताबों में से एक का प्रचार करते हुए पाया गया, जो कि लोगों की नजर में एक गलत कदम था। @MyGovIndia ट्विटर अकाउंट ने अरुंधति रॉय द्वारा लिखी गई किताब ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ की एक तस्वीर पोस्ट कर 20 वर्ड्स बुक समरी चैलेंज के भाग को पोस्ट किया। किताब की तस्वीर के साथ, ट्वीट में एडमंड विल्सन (Edmund Wilson) का एक कोट भी शामिल था, जिसमें कहा गया था, “कोई भी दो व्यक्ति कभी एक किताब नहीं पढ़ते हैं।”
विवादास्पद लेखक को बढ़ावा वाली पोस्ट को हटाया गया
अरुंधति रॉय का फेक न्यूज फैलाने का पुराना इतिहास रहा है। ऐसे में भारत विरोधी प्रचारक द्वारा लिखी गई किताब का सरकार द्वारा समर्थन करना सोशल मीडिया यूजर्स को रास नहीं आया। उन्होंने इसको लेकर सरकार की कड़ी आलोचना की और अपना आक्रोश व्यक्त किया।
Arundhati Roy’s book being promoted by @mygovindia
— IndianTweeter (@bhaarathvaasi) June 26, 2021
Kudos! 👏 pic.twitter.com/RibyWKL3Hh
cc: @narendramodi @PMOIndia @AmitShah @HMOIndia https://t.co/UNdG9YfXKE
— Mallikarjuna (@HariHaraBhakta) June 26, 2021
ऐसा प्रतीत होता है कि ऑनलाइन यूजर्स द्वारा आक्रोश व्यक्त करने के बाद इस पोस्ट को ट्विटर अकाउंट @MyGovIndia ने तुरंत हटा दिया, जहाँ एक विवादित लेखिका की किताब का प्रचार किया गया था।
अरुंधति रॉय भारतीय राजनीति की एक विवादास्पद शख्स हैं। रॉय पर “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” की आड़ में भारत विरोधी नैरेटिव गढ़ने और उसे आगे बढ़ाते रहने का आरोप वर्षों से लगता रहा है। अभी हाल ही में रॉय ने ‘द गार्जियन’ में एक लेख लिखा था, जिसमें मोदी सरकार के खिलाफ अपने प्रोपगेंडा को फैलाने के लिए महामारी का सहारा लिया था।
कहते हैं धूर्तता अरुंधति रॉय का दूसरा स्वभाव है और झूठ बोलना उनका पसंदीदा शौक। ‘द गार्जियन’ के उनके लेख में उनका यह रूप उस समय दिखा जब भारत COVID-19 की एक भयंकर दूसरी लहर से जूझ रहा था। रॉय ने अपने लेख में न केवल पीएम केयर्स फंड के बारे में झूठ बोला, बल्कि भारत के टीकाकरण अभियान और SII और भारत बायोटेक द्वारा विकसित COVID-19 टीकों के बारे में भी गलत सूचनाएँ फैलाईं। इतने से ही उनका मन नहीं भरा तो उन्होंने ब्रिटिश डेली में लिखे एक लेख में पश्चिम बंगाल चुनावों के बारे में प्रोपगेंडा फैलाया।
करियर प्रोपगेंडिस्ट अरुंधति रॉय ने भारत के बारे में झूठ फैलाना जारी रखते हुए पिछले साल की शुरुआत में आरोप लगाया कि मोदी सरकार मुस्लिमों का नरसंहार करने के लिए कोरोनावायरस के प्रकोप का उपयोग कर रही है।
रॉय ने सिर्फ सरकार को नहीं, बल्कि भारतीय सुरक्षा बलों को भी बदनाम किया है। कश्मीर में आतंकवाद निरोधी अभियानों को उन्होंने लगातार “सरकार प्रायोजित” आतंकवाद के रूप में संदर्भित किया। साल 2002 के अपने कुख्यात भाषण में रॉय ने कहा था, “वर्तमान भारत सरकार की फासीवादी नीतियों के फलस्वरुप, जिसने कश्मीर घाटी में सरकारी आतंकवाद (आतंकवाद से लड़ने के नाम पर) के अपराध के अलावा गुजरात में मुसलमानों के खिलाफ हाल ही में राज्य की निगरानी में हुए जनसंहार से आँखे मूँद ली हैं, हम भारत के सैकड़ों ही नहीं बल्कि लाखों लोग शर्मिंदा और नाराज हैं। यह सोचना बेतुका होगा कि जो लोग भारत सरकार की आलोचना करते हैं वे “भारत विरोधी” हैं –