Sunday, December 22, 2024
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‘गालीबाज’ देवदत्त पटनायक और विलियम डेलरिम्पल को ‘टोरंटो लिटरेचर फेस्टिवल’ में मंच देने पर भारतीय दूतावास पर फूटा लोगों का गुस्सा

देवदत्त पट्टनायक का उन लोगों के साथ दुर्व्यवहार करने का इतिहास रहा है जो उनके विचार के अनुरूप नहीं हैं। ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जब तथाकथित इतिहासकार ने सोशल मीडिया पर भद्दे कमेंट और अभद्र गालियों का सहारा लिया है। पटनायक ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में भी झूठे दावे किए थे और....

कनाडा में भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा 27-29 नवंबर को होने वाले तीन दिवसीय जेएलएफ टोरंटो लिटरेचर फेस्टिवल के लिए देवदत्त पटनायक और विलियम डेलरिम्पल जैसे विवादास्पद ‘इतिहासकारों’ को आमंत्रित करने के लिए सोशल मीडिया यूजर्स के आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।

कनाडा के महावाणिज्य दूतावास के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट द्वारा विभिन्न हस्तियों द्वारा हिस्सा लेने वाले सत्रों के विवरण के बारे में एक ट्वीट शेयर किया गया। इस दौरान देवदत्त पटनायक 29 दिसंबर को ‘महाभारत: आधुनिक रंगमंच के लिए प्राचीन मिथक को अपनाना’ विषय पर बोलने वाले हैं।

शेयर किए गए ट्वीट में कहा गया, “27-29 नवंबर से @JLFLitfest पर हमारे समय के कुछ महान लेखकों, कवियों, इतिहासकारों, पत्रकारों के बीच बातचीत का अनुभव।”

‘इतिहासकार’ देवदत्त पट्टनायक को आमंत्रित किए जाने पर सोशल मीडिया यूजर्स का फूटा गुस्सा

इस ट्वीट के पोस्ट किए जाने के तुरंत बाद, उग्र नेटिजन्स ने देवदत्त पट्टनायक जैसे व्यक्तियों को मंच प्रदान करने के लिए कनाडा में भारतीय वाणिज्य दूतावास को आड़े हाथों लिया। बता दें कि देवदत्त पटनायक का सोशल मीडिया वेबसाइटों पर लोगों को गाली देने का इतिहास है। इसके अलावा उन्हें अक्सर मान्यताओं को लेकर झूठ बोलते हुए पाया गया है।

एक ट्विटर यूजर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देवदत्त सबसे बद्तमीज़ ‘विशेषज्ञ’ में से एक था जिसके साथ उन्होंने बातचीत की थी। उन्होंने कहा कि पटनायक ने उन्हें बीमार कर दिया। उन्होंने कनाडा में भारतीय वाणिज्य दूतावास की निंदा की, जिन्होंने महिलाओं के लिए गाली-गलौच की भाषा का इस्तेमाल करने वालों को मंच प्रदान किया।

एक अन्य सोशल मीडिया यूजर्स ने लिखा, “देवदत्त पटनायक को बुलाने के लिए आपको शर्म आनी चाहिए, इसे तो लेखक कहना भी शर्म की बात है।”

एक ट्विटर यूजर ने कनाडा में भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा डाले गए ट्वीट का जवाब देते हुए उस अपमानजक ट्वीट का उदाहरण दिया जब देवदत्त पट्टनायक ने सोशल मीडिया यूजर्स को बहुत गंदा ट्वीट किया था।

ट्विटर यूजर्स ने हैरानी जताई कि क्या भारत सरकार महाभारत को मिथक मानती है, क्योंकि “देवदत्त जैसे हिंदू हिंदू विरोधी” ऐसा ही मानते हैं।

सोशल मीडिया पर आम सहमति यह है कि देवदत्त पटनायक हिंदू विरोधी, सीरियल गालीबाज और हिंदू ग्रंथों के गलत व्याख्याकार हैं। लोगों ने उन्हें जेएलएफ टोरंटो लिटफेस्ट के लिए आमंत्रित करने के लिए मंत्रालय के अधिकारियों की आलोचना की।

देवदत्त पट्टनायक- गालियाँ, विकृतियाँ और झूठ का पुलिंदा

देवदत्त पट्टनायक का उन लोगों के साथ दुर्व्यवहार करने का इतिहास रहा है जो उनके विचार के अनुरूप नहीं हैं। ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जब तथाकथित इतिहासकार ने सोशल मीडिया पर भद्दे कमेंट और अभद्र गालियों का सहारा लिया है। पटनायक ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में भी झूठे दावे किए थे और हिंदुओं और हिंदुत्व का उपहास करने और उन्हें अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उनके घृणित अपमानजनक व्यवहार और हिंदू विरोधी होने के कारण, सोशल मीडिया यूजर्स ने उन्हें भारत सरकार द्वारा प्रायोजित एक साहित्यिक कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करने पर नाराजगी व्यक्त की है।

इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल को भारत सरकार के कार्यक्रम में आमंत्रित करने पर भड़के नेटिजन्स

पटनायक के अलावा, जेएलएफ टोरंटो लिटफेस्ट के लिए भारत सरकार द्वारा एक और विवादास्पद शख्सियत, इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल को दिए गए निमंत्रण ने सोशल मीडिया पर नेटिज़न्स के नाराजगी का कारण बना। उनमें से कई लोग इस बात से हैरान हैं कि विलियम डेलरिम्पल जैसे ‘इंडिया हेटर और ब्रेकर’ जिसने अनुच्छेद 370 हटाए जाने और सीएए लागू करने का विरोध किया, उसे क्यों सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम में बुलाया गया।

कई सोशल मीडिया यूजर्स देवदत्त पटनायक और विलियम डेलरिम्पल के स्पीकर के रूप में बुलाए जाने से इतने खिन्न थे कि उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर को टैग करके यह निवेदन करने लगे कि वो हिन्दू घृणा से सने ऐसे ‘इतिहासकारों’ को हिंदू के महाकाव्य महाभारत पर बोलने के लिए भेजे गए आमंत्रण को अपनी स्वीकृति न दें।

एक सोशल मीडिया यूजर ने हैरानी जताई कि भारतीय वाणिज्य दूतावास विलियम डेलरिम्पल को एक मंच क्यों प्रदान कर रहा है, जिसे दिल्ली दंगों पर ब्लूम्सबरी इंडिया की पुस्तक के प्रकाशन को रोकने के लिए जाना जाता है। यूजर ने सवाल किया, “@IndiainToranto भारतीय हितों के लिए काम करता है या फिर अपने निजी लोगों के लिए काम करता है?”

जिसने दिल्ली दंगों की सच्चाई बताने वाली पुस्तक का प्रकाशन रुकवा दिया

माना जाता है कि इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल ने ब्लूम्सबरी इंडिया को दिल्ली के दंगों पर किताब के प्रकाशन को वापस लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बता दें कि दिल्ली दंगों पर आधारित किताब ‘दिल्ली रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी’ का प्रकाशन ब्लूम्सबरी ने रोक दिया था। ऐसा करने के लिए वामपंथी, लिबरल और इस्लामी समूह ने सबसे ज़्यादा दबाव बनाया था।

इस्लामी कट्टरवादी आतिश तासीर ने खुलासा किया था कि स्कॉटिश इतिहासकार और लेखक विलियम डेलरिम्पल ही वो व्यक्ति है, जिसने इस पुस्तक के प्रकाशन पर रोक लगवाई थी। आतिश तासीर ने मोनिका अरोड़ा की दिल्ली दंगों पर आने वाली पुस्तक को सत्ता का प्रोपेगेंडा करार देते हुए कहा कि विलियम डेलरिम्पल ने इसके प्रकाशन पर रोक लगाने में अहम भूमिका निभाई है, जिसके लिए वो उनके आभारी हैं। उन्होंने तो यहाँ तक कहा कि स्कॉटिश लेखक के बिना ये संभव नहीं हो पाता। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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