कनाडा में भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा 27-29 नवंबर को होने वाले तीन दिवसीय जेएलएफ टोरंटो लिटरेचर फेस्टिवल के लिए देवदत्त पटनायक और विलियम डेलरिम्पल जैसे विवादास्पद ‘इतिहासकारों’ को आमंत्रित करने के लिए सोशल मीडिया यूजर्स के आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
कनाडा के महावाणिज्य दूतावास के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट द्वारा विभिन्न हस्तियों द्वारा हिस्सा लेने वाले सत्रों के विवरण के बारे में एक ट्वीट शेयर किया गया। इस दौरान देवदत्त पटनायक 29 दिसंबर को ‘महाभारत: आधुनिक रंगमंच के लिए प्राचीन मिथक को अपनाना’ विषय पर बोलने वाले हैं।
शेयर किए गए ट्वीट में कहा गया, “27-29 नवंबर से @JLFLitfest पर हमारे समय के कुछ महान लेखकों, कवियों, इतिहासकारों, पत्रकारों के बीच बातचीत का अनुभव।”
Experience conversations between some of the greatest authors, poets, historians, journalists of our time on @JLFLitfest from Nov 27-29. More on https://t.co/CDXDi6eyE5. @_apoorvasri @HCI_Ottawa @Ajaybis @DalrympleWill @SanjoyRoyTWA @NamitaGokhale_ @IndianDiplomacy @CanadainIndia pic.twitter.com/8abt7ca6m6
— IndiainToronto (@IndiainToronto) November 19, 2020
‘इतिहासकार’ देवदत्त पट्टनायक को आमंत्रित किए जाने पर सोशल मीडिया यूजर्स का फूटा गुस्सा
इस ट्वीट के पोस्ट किए जाने के तुरंत बाद, उग्र नेटिजन्स ने देवदत्त पट्टनायक जैसे व्यक्तियों को मंच प्रदान करने के लिए कनाडा में भारतीय वाणिज्य दूतावास को आड़े हाथों लिया। बता दें कि देवदत्त पटनायक का सोशल मीडिया वेबसाइटों पर लोगों को गाली देने का इतिहास है। इसके अलावा उन्हें अक्सर मान्यताओं को लेकर झूठ बोलते हुए पाया गया है।
एक ट्विटर यूजर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देवदत्त सबसे बद्तमीज़ ‘विशेषज्ञ’ में से एक था जिसके साथ उन्होंने बातचीत की थी। उन्होंने कहा कि पटनायक ने उन्हें बीमार कर दिया। उन्होंने कनाडा में भारतीय वाणिज्य दूतावास की निंदा की, जिन्होंने महिलाओं के लिए गाली-गलौच की भाषा का इस्तेमाल करने वालों को मंच प्रदान किया।
Devdutt is one of the most abusive ‘expert’ I have ever interacted. The language he uses for women is despicable. Shameful that he is given the platform. He makes me sick
— Smita Deshmukh (@smitadeshmukh) November 21, 2020
एक अन्य सोशल मीडिया यूजर्स ने लिखा, “देवदत्त पटनायक को बुलाने के लिए आपको शर्म आनी चाहिए, इसे तो लेखक कहना भी शर्म की बात है।”
Shame as you calling this @devduttmyth as a speaker this abuser is a disgrace to be called as author even
— Akku🔥♥️🇮🇳 (@akku_akku18) November 21, 2020
एक ट्विटर यूजर ने कनाडा में भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा डाले गए ट्वीट का जवाब देते हुए उस अपमानजक ट्वीट का उदाहरण दिया जब देवदत्त पट्टनायक ने सोशल मीडिया यूजर्स को बहुत गंदा ट्वीट किया था।
Hello this for u pic.twitter.com/t6iL6JS2OV
— Rudraa (@Haryanviiiii) November 21, 2020
ट्विटर यूजर्स ने हैरानी जताई कि क्या भारत सरकार महाभारत को मिथक मानती है, क्योंकि “देवदत्त जैसे हिंदू हिंदू विरोधी” ऐसा ही मानते हैं।
Is Indian Government consider Mahabharata as Ancient Myth ??? Oh yes that’s why you are inviting Anti Hindu Mythologist like Devdutt. Its shocking to see such Anti Hindu person is given such platform. Not acceptable…
— Hardik Yagnik (@haduec) November 21, 2020
सोशल मीडिया पर आम सहमति यह है कि देवदत्त पटनायक हिंदू विरोधी, सीरियल गालीबाज और हिंदू ग्रंथों के गलत व्याख्याकार हैं। लोगों ने उन्हें जेएलएफ टोरंटो लिटफेस्ट के लिए आमंत्रित करने के लिए मंत्रालय के अधिकारियों की आलोचना की।
देवदत्त पट्टनायक- गालियाँ, विकृतियाँ और झूठ का पुलिंदा
देवदत्त पट्टनायक का उन लोगों के साथ दुर्व्यवहार करने का इतिहास रहा है जो उनके विचार के अनुरूप नहीं हैं। ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जब तथाकथित इतिहासकार ने सोशल मीडिया पर भद्दे कमेंट और अभद्र गालियों का सहारा लिया है। पटनायक ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में भी झूठे दावे किए थे और हिंदुओं और हिंदुत्व का उपहास करने और उन्हें अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उनके घृणित अपमानजनक व्यवहार और हिंदू विरोधी होने के कारण, सोशल मीडिया यूजर्स ने उन्हें भारत सरकार द्वारा प्रायोजित एक साहित्यिक कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करने पर नाराजगी व्यक्त की है।
इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल को भारत सरकार के कार्यक्रम में आमंत्रित करने पर भड़के नेटिजन्स
पटनायक के अलावा, जेएलएफ टोरंटो लिटफेस्ट के लिए भारत सरकार द्वारा एक और विवादास्पद शख्सियत, इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल को दिए गए निमंत्रण ने सोशल मीडिया पर नेटिज़न्स के नाराजगी का कारण बना। उनमें से कई लोग इस बात से हैरान हैं कि विलियम डेलरिम्पल जैसे ‘इंडिया हेटर और ब्रेकर’ जिसने अनुच्छेद 370 हटाए जाने और सीएए लागू करने का विरोध किया, उसे क्यों सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम में बुलाया गया।
Seriously abusive Devdutt & India hater & breaker Dalrymple?? @narendramodi @AmitShah @DrSJaishankar what is happening in @MEAIndia? @PMOIndia will be held responsible for this hypocrisy of inviting ppl who oppose 370 & CAA in same govt sponsored program.
— Sri (@digital_sri) November 21, 2020
कई सोशल मीडिया यूजर्स देवदत्त पटनायक और विलियम डेलरिम्पल के स्पीकर के रूप में बुलाए जाने से इतने खिन्न थे कि उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर को टैग करके यह निवेदन करने लगे कि वो हिन्दू घृणा से सने ऐसे ‘इतिहासकारों’ को हिंदू के महाकाव्य महाभारत पर बोलने के लिए भेजे गए आमंत्रण को अपनी स्वीकृति न दें।
Experience conversations between some of the greatest authors, poets, historians, journalists of our time on @JLFLitfest from Nov 27-29. More on https://t.co/CDXDi6eyE5. @_apoorvasri @HCI_Ottawa @Ajaybis @DalrympleWill @SanjoyRoyTWA @NamitaGokhale_ @IndianDiplomacy @CanadainIndia pic.twitter.com/8abt7ca6m6
— IndiainToronto (@IndiainToronto) November 19, 2020
एक सोशल मीडिया यूजर ने हैरानी जताई कि भारतीय वाणिज्य दूतावास विलियम डेलरिम्पल को एक मंच क्यों प्रदान कर रहा है, जिसे दिल्ली दंगों पर ब्लूम्सबरी इंडिया की पुस्तक के प्रकाशन को रोकने के लिए जाना जाता है। यूजर ने सवाल किया, “@IndiainToranto भारतीय हितों के लिए काम करता है या फिर अपने निजी लोगों के लिए काम करता है?”
Why is @IndiainToronto @MEAIndia giving platform to people who forced @BloomsburyIndia to withdraw publication of an Indian book. Does @IndiainToronto work for Indian interests or for their personal one’s?
— Rohit Koul (@Rohitkoul95) November 21, 2020
जिसने दिल्ली दंगों की सच्चाई बताने वाली पुस्तक का प्रकाशन रुकवा दिया
माना जाता है कि इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल ने ब्लूम्सबरी इंडिया को दिल्ली के दंगों पर किताब के प्रकाशन को वापस लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बता दें कि दिल्ली दंगों पर आधारित किताब ‘दिल्ली रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी’ का प्रकाशन ब्लूम्सबरी ने रोक दिया था। ऐसा करने के लिए वामपंथी, लिबरल और इस्लामी समूह ने सबसे ज़्यादा दबाव बनाया था।
इस्लामी कट्टरवादी आतिश तासीर ने खुलासा किया था कि स्कॉटिश इतिहासकार और लेखक विलियम डेलरिम्पल ही वो व्यक्ति है, जिसने इस पुस्तक के प्रकाशन पर रोक लगवाई थी। आतिश तासीर ने मोनिका अरोड़ा की दिल्ली दंगों पर आने वाली पुस्तक को सत्ता का प्रोपेगेंडा करार देते हुए कहा कि विलियम डेलरिम्पल ने इसके प्रकाशन पर रोक लगाने में अहम भूमिका निभाई है, जिसके लिए वो उनके आभारी हैं। उन्होंने तो यहाँ तक कहा कि स्कॉटिश लेखक के बिना ये संभव नहीं हो पाता।