Thursday, November 14, 2024
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‘शांतिदूतों’ के रडार पर जावेद अख्तर: कहा- हिजाब खुदा का आदेश, जिसे हराम और हलाल का पता नहीं वो क्या जाने पर्दे की अहमियत

"कुछ लोग होते हैं जो अपने हिसाब से इस्लाम को फॉलो करते हैं। उन्हें कुुरान और हदीस से सिर्फ वो बातें चाहिए होती है तो उनके मतलब की हो। लेकिन इमान वाला वही है जो पूरे इस्लाम को माने।"

विवादास्पद गीतकार जावेद अख्तर ने कर्नाटक के कॉलेजों में हिजाब को लेकर छिड़े विवाद पर गुरुवार (10 फरवरी 2022) को प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कर्नाटक से हाल ही में सामने आई घटनाओं पर नाराजगी जताई। इसके बाद वह एक बार फिर आलोचनाओं का शिकार हो गए। इस बार इस्लामवादी उन्हें इस्लाम की ‘मूल’ बातें सिखा रहे हैं।

जावेद अख्तर ने लिखा, “मैं कभी भी हिजाब या बुर्का के पक्ष में नहीं रहा। मैं अब भी उस पर कायम हूँ, लेकिन साथ ही मुझे गुंडों की इन भीड़ पर गुस्सा आता है जो लड़कियों के एक छोटे समूह को डराने की कोशिश कर रहे हैं और वह भी असफल रूप से। क्या ये मर्दानगी है। कितने अफ़सोस की बात है।” 

इस ट्वीट के करते ही जावेद अख्तर मिनटों में इस्लामवादियों के रडार पर आ गए। हर एक इस्लामवादी उन्हें इस्लाम की शिक्षा देते देखा गया। aamadmi29 के एक ट्विटर हैंडल ने कहा, “हिजाब महिलाओं के लिए खुदा का आदेश है और उन्हें इसका पालन करना होगा।”

‘Pakisdani’ नाम के एक अन्य ट्विटर यूजर ने जावेद अख्तर के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “हिजाब और बुर्का को आपकी मँजूरी की जरूरत नहीं है। यह एक च्वाइस है, बस इसे स्वीकार करें। यह एक सार्वभौमिक अधिकार है। भारत में कुछ लोगों को और अधिक परिपक्व और सहनशील बनने की आवश्यकता है। दूसरों को जीने दो और अपनी विचारधारा उन पर मत थोपो!”

आकिब अंसारी ने लिखा, “इस्लाम में बुर्का या हिजाब सबसे महत्वपूर्ण प्रथा है।”

एक अन्य इस्लामवादी ट्विटर हैंडल @Zraar640 ने लिखा, “अल्लाह आप पर रहम करे। मुस्लिम हो कर हज़रत मुहम्मद के फ़रमान से इनकार कर रहे हो।”

नईम खान ने पोस्ट करते हुए लिखा, “कुछ लोग होते हैं जो अपने हिसाब से इस्लाम को फॉलो करते हैं। उन्हें कुुरान और हदीस से सिर्फ वो बातें चाहिए होती है तो उनके मतलब की हो। लेकिन इमान वाला वही है जो पूरे इस्लाम को माने। अगर एक भी बात कुरान और हदीस की नहीं मानोगे तो तुम मुसलमान नहीं हो।”

आयशा सिकंदर ने जावेद अख्तर को जवाब देते हुए कहा, “आप एक प्रसिद्ध लेखक हैं, कवि हैं और न जाने क्या-क्या… लेकिन आप कुरान में जो लिखा है, उसे पढ़ने और समझने में विफल रहे हैं। विडंबना… कभी-कभी इतना ज्ञान प्राप्त करने के बाद आपको कुछ भी नहीं मिलता है।”

एम इदरीस खत्री ने कहा, “जिसे हराम और हलाल का पता नहीं वो क्या जाने इस्लाम में पर्दे की अहमियत को।”

जावेद अख्तर की ट्विटर टाइमलाइन पर इस्लामवादियों के ऐसे ट्वीट्स की बाढ़ आ गई है, जिनमें हिजाब का समर्थन नहीं करने के लिए उनकी आलोचना की गई है और इस्लाम के बारे में ‘उनके ज्ञान की कमी’ को लेकर शिक्षा दी गई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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