अयोध्या भूमि विवाद मामले में आज सुप्रीम कोर्ट की पाँच जजों की पीठ ने अपना ऐतिहासिक फ़ैसला सुना दिया। पीठ ने विवादित ज़मीन पर रामलला के हक़ में निर्णय सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को राम मंदिर बनाने के लिए तीन महीने में ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया है। साथ ही मुस्लिम पक्ष को नई मस्जिद बनाने के लिए अलग से पाँच एकड़ ज़मीन देने का निर्देश भी दिया है। इसके अलावा, कोर्ट ने निर्मोंही अखाड़े और शिया वक़्फ़ बोर्ड के दावों को ख़ारिज कर दिया। हालाँकि, निर्मोही अखाड़े को ट्रस्ट में जगह देने की अनुमति को स्वीकार कर लिया गया है।
ज्यादातर तबकों में इस फैसले का स्वागत हो रहा है। लेकिन एक समूह ऐसा भी है जिसे फैसला पच नहीं रहा। इस समूह ने अपने दुख का राग अलापना शुरू कर दिया है। निखिल थाटे ने ट्वीट किया कि 1986 में बाबरी मस्जिद के ताले को किसने खोला उन्हें कभी नहीं भूलना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने यह भी लिखा कि भूमि विवाद मामले में 27 साल पहले न्याय की मौत हो गई थी और आज अंतत: उसे दफ़ना दिया गया।
Never ever ever ever forget who opened the Babri Masjid locks in 1986 and how the downward spiral began.#BabriMasjid#AyodhyaJudgment
— Nikhil (@nikhil_thatte) November 9, 2019
Justice died 27 years ago, today it was finally buried. #AyodhyaJudgment
— Nikhil (@nikhil_thatte) November 9, 2019
नंदिनी सुंदर ने हिन्दू पक्ष को पूरी जमीन दिए जाने के फ़ैसले की निंदा करते हुए लिखा कि सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद गिराने के लिए विश्व हिन्दू परिषद (VHP) को पुरस्कृत किया है, यह शर्म की बात है।
Sc rewards vhp for demolishing mosque by giving their nyas the entire land. Shame
— N S (@nandinisundar) November 9, 2019
फासिस्ट फकीरा ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को ‘न्याय’ न बताकर ‘निर्णय’ करार दिया और लिखा कि INDIA को आज आधिकारिक रूप से HINDU REPUBLIC घोषित किया गया है।
This was VERDICT not JUSTICE. INDIA is officially declared as HINDU REPUBLIC today
— Fascist Fakeera (@freedoomer) November 9, 2019
काकवाणी यूज़र ने अपने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को RSS का फ़ैसला करार देते हुए लिखा कि मालिकाना हक़ का मामला था, तो मालिक़ाना हक़ किसी एक पक्ष को दिया जाता। लेकिन जब ज़मीन पर मुस्लिमों का मालिकाना हक़ है ही नहीं तो 2.77 एकड़ ज़मीन के बदले मुस्लिम पक्ष को पाँच एकड़ ज़मीन दिए जाने का क्या मतलब है?
मालिकाना हक़ का मामला था,
— काकावाणी (159K) (@AliSohrab007) November 9, 2019
बोले तो मालिकाना हक़ किसी एक पक्ष को
दिया जाता…लेकिन
जब जमीन पर मुसलमानों मालिकाना हक
है ही नहीं तो 2.77 एकड़ जमीन के बदले
मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़
वैकल्पिक जमीन देने का क्या अर्थ??
यकीन मानिए,
ये “फैसला” सुप्रीम कोर्ट का नहीं, RSS का है!#AYODHYAVERDICT
आदित्य मेनन ने भी लिखा कि अयोध्या फैसले को संतुलित कहना गलत है। पाँच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए कुछ नहीं है। इतना तो मुस्लिम बिना कोर्ट की मदद के भी कर सकते हैं। यह उस विशेष मस्जिद की बात है जिसे एक क्रिमिनल एक्ट में ध्वस्त कर दिया गया अगर ऐसा नहीं होता तो क्या ये फैसला आता।
Wrong to call #AYODHYAVERDICT balanced. 5 acres is meaningless as Sunni Waqf Board & Muslims can do that even without court’s help. It was for a specific mosque, at a specific site destroyed in a criminal act. If mosque hadn’t been demolished, would this verdict have happened?
— Aditya Menon (@AdityaMenon22) November 9, 2019
ग़ौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कर दिया कि 1857 से पहले हिन्दू यहाँ पूजा करते थे। यानी, अंग्रेजों के आने से पहले ही राम चबूतरा, सीता रसोई और विवादित ज़मीन के बाहरी हिस्से में हिन्दू पूजा किया करते थे। अर्थात, आउटर कोर्टयार्ड हिन्दुओं की पूजा का मुख्य बिंदु था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सारा विवाद अंदर के हिस्से को लेकर है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मुस्लिम पक्ष विवादित ज़मीन के भीतरी हिस्से पर अपना दावा साबित करने में विफल रहा है और सारा विवाद भीतरी हिस्से को लेकर ही है। यानी, बाहरी हिस्से पर हिन्दू काफ़ी पहले से पूजा करते आ रहे हैं, इसमें कोई विवाद नहीं है।