मुस्लिम महिलाओं की फोटो चोरी-छुपे सेव करके अपलोड करने और इंटरनेट पर उन्हें नीलाम करने वाले विवादास्पद सुल्ली डील ऐप (Sulli Deals app) के महीनों बाद एक और ऐसा ही ऐप आया है ‘बुल्ली बाई’ (Bulli Bai App) नाम से। यह ओपन-सोर्स कोड रिपॉजिटरी गिटहब (GitHub) पर दिखाई दिया है।
नए साल (1 जनवरी 2022) पर गिटहब पर ‘बुल्ली बाई’ (Bulli Bai App) नाम से एक ऐप बनाया गया है, जिसमें अज्ञात लोगों ने सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं की फोटो अपलोड की है। बुल्ली बाई ऐप के पीछे खालिस्तानी आंदोलन के स्वघोषित समर्थकों का हाथ बताया जा रहा है। ये गिरफ्तार खालिस्तानी आतंकवादियों की रिहाई की माँग कर रहे हैं। ज्ञात हो कि पिछले साल ‘सुल्ली फॉर सेल’ ऐप पर मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों का दुरुपयोग करने वाले आरोपित अभी तक नहीं पकड़े गए हैं और ना ही उनकी पहचान कभी सामने आई।
इस ऐप को Bullibai.github.io URL से होस्ट किया गया। हालाँकि, सोशल मीडिया पर इस ऐप की आलोचना होने के बाद और कुछ अधिकारियों से संपर्क करने के बाद अब इसे हटा दिया गया है। इसके साथ ही ऐप से जुड़े एक ट्विटर अकाउंट को भी सस्पेंड कर दिया गया है।
यह मामला तब सामने आया जब ‘द वायर’ की एक महिला पत्रकार इस्मत आरा (Ismat Ara) ‘बुल्ली बाई’ का निशाना बन गईं, जिन्होंने इसे नए साल की सबसे खराब शुरुआत बताया। उन्होंने ट्वीट किया, “यह बहुत दुखद है कि एक मुस्लिम महिला के रूप में आपको अपने नए साल की शुरुआत इस डर और घृणा की भावना के साथ करनी पड़ रही है। बेशक यह बिना कहे चला जाएगा। #sullideals के इस नए वर्जन ने अकेले मुझे ही निशाना नहीं बनाया है।”
It is very sad that as a Muslim woman you have to start your new year with this sense of fear & disgust. Of course it goes without saying that I am not the only one being targeted in this new version of #sullideals. Screenshot sent by a friend this morning.
— Ismat Ara (@IsmatAraa) January 1, 2022
Happy new year. pic.twitter.com/pHuzuRrNXR
दिल्ली पुलिस ने इस मामले पर संज्ञान लिया है और संबंधित अधिकारियों को उचित कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया है।
The matter has been taken cognizance of. Concerned officials have been directed to take appropriate action.
— #DelhiPolice (@DelhiPolice) January 1, 2022
इस्मत आरा ने दिल्ली पुलिस के साइबर सेल में ऐप के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई। उन्होंने इसकी जानकारी अपने ट्विटर हैंडल पर देते हुए माँग की, “सोशल मीडिया पर मुस्लिम महिलाओं की नीलामी के पीछे जिन लोगों का हाथ है, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करें और सख्त कार्रवाई करें।”
पत्रकार ने अपनी शिकायत में यह भी कहा कि ‘बुल्ली बाई’ शब्द अपने आप में अपमानजनक है और गिटहब पर यह ऐप मुस्लिम महिलाओं का अपमान करने के उद्देश्य से बनाया है, क्योंकि ‘बुल्ली’ शब्द का इस्तेमाल विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं के लिए किया जाता है। उन्होंने लिखा कि ऐसा लगता है कि पूरी वेबसाइट को मुस्लिम महिलाओं को शर्मिंदा करने और उनका अपमान करने के इरादे से डिजाइन किया गया है।
UPDATE: A complaint has been filed by me with the Cyber Cell of Delhi Police for immediate registration of FIR and consequent action against people behind the auctioning of Muslim women on social media. #sullideals #BulliDeals @DelhiPolice pic.twitter.com/oX3ROLEgv1
— Ismat Ara (@IsmatAraa) January 1, 2022
इस्मत आरा ने आगे लिखा, “आज के लिए तुम्हारी बुल्ली बाई @IsmatAraa वाला ट्वीट देखकर मैं बहुत परेशान हुई थी। इसमें मेरी फोटो के साथ छेड़छाड़ की गई थी। उसने पुलिस से आईपीसी की धारा 153ए, 153बी, 354ए, 506, 509 और आईटी एक्ट की धारा 66 और 67 के तहत एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया है।”
क्या है बुल्ली बाई ऐप?
‘बुल्ली बाई’ एक ऐसा एप्लिकेशन है जो गिटहब एपीआई पर बनाया गया है और ‘सुल्ली डील’ ऐप के जैसे काम करता है। गिटहब ऐप पर बुल्ली बाई (Bulli Bai app on GitHub) नाम से बनाए गए ऐप पर मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों को अपलोड कर उनको नीलाम किया जा रहा है।
‘बुल्ली बाई’ के ट्विटर हैंडल को सस्पेंड कर दिया गया है। इसके बायो में लिखा था, “बुल्ली बाई खालसा सिख फोर्स (केएसएफ) के एक समुदाय द्वारा संचालित ओपन-सोर्स ऐप है।” ध्यान दें कि बुल्ली बाई ट्विटर अकाउंट में एक हैशटैग #FreeJaggiNow का इस्तेमाल किया गया है। इसकी बैकग्राउंड इमेज में भी वही हैशटैग है।
ट्विटर लोकेशन स्टेटस से पता चलता है कि यह अकाउंट यूएसए से संचालित किया जा रहा है। इसे हाल ही में (दिसंबर 2021) भारत सरकार पर जगतार सिंह जोहल को रिहा करने के लिए दबाव डालने के इरादे से बनाया गया है, जिसे ‘जग्गी’ के नाम से जाना जाता है।
बता दें कि पिछले साल जुलाई में ओपन सोर्स प्लेटफ़ॉर्म पर सुल्ली डील नाम का एक मोबाइल एप्लीकेशन बनाया गया था। इस एप्लीकेशन में सोशल मीडिया से कई मुस्लिम महिलाओं की फोटोज को उठाया गया था और उन्हें मोबाइल एप्लीकेशन पर अपलोड किया गया था। इस एप्लीकेशन में इन सभी मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों, उनके नाम और उनके ट्विटर हैन्डल की जानकारी दी गई थी। एप्लीकेशन में दिए गए लिंक पर क्लिक करने के बाद इन महिलाओं की सारी जानकारी यूजर के साथ साझा की जा रही थी।