Sunday, December 22, 2024
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कुछ आवाज़ें भी कुछ जला सकती हैं: प्रतीक सिन्हा की जली तो रुबिका पर किया हमला, लग गई क्लास

रुबिका ने 'जनता कर्फ्यू' के दिन शाम 5 बजे लोगों द्वारा घंटी, ताली और थाली वगैरह बजाए जाने के अनुभवों को साझा किया था, जिससे प्रतीक चिढ़ गए। रुबिका ने लिखा था- "थालियों की, घंटियों की, तालियों की आवाज़ ने बहुतों को सदमे में पहुँचा दिया होगा। ये एकता की आवाज़ है। अखण्ड भारत की पहचान है।" प्रतीक को ये बुरा लगा।

एबीपी न्यूज़ की पत्रकार रुबिका लियाकत को नीचा दिखाने के चक्कर में एक बार फिर से ‘ऑल्ट न्यूज़’ के संस्थापक प्रतीक सिन्हा की बेइज्जती हो गई। प्रतीक यूँ तो आए दिन सोशल मीडिया पर बेइज्जती की नई इबारतें लिख रहे होते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने रुबिका से पंगा ले लिया। दरअसल, रुबिका ने ‘जनता कर्फ्यू’ के दिन शाम 5 बजे लोगों द्वारा घंटी, ताली और थाली वगैरह बजाए जाने के अनुभवों को साझा किया था, जिससे प्रतीक चिढ़ गए। रुबिका ने लिखा था- “थालियों की, घंटियों की, तालियों की आवाज़ ने बहुतों को सदमे में पहुँचा दिया होगा। ये एकता की आवाज़ है। अखण्ड भारत की पहचान है।” प्रतीक को ये बुरा लगा।

प्रतीक सिन्हा ने ज़हर की उल्टी करते हुए लिखा कि लोगों को ऐसे ही एंकरों के कारण दिक्कत का सामना करना पड़ता है, जो अपने नेता और उसके कारनामों को सही ठहराते हैं और यही इनकी ज़िंदगी का प्रमुख उद्देश्य है। प्रतीक ने इसके बाद रुबिका की ट्वीट में धर्म घुसाते हुए ज्ञान बाँचा कि कोई महामारी किसी का धर्म या विचारधारा देख कर कोई भेदभाव नहीं करती। उन्होंने रुबिका को ‘चीयरलीडर’ करार देते हुए लोगों से कहा कि वो ऐसे एंकरों को फॉलो न करें। इसके बाद रुबिका लियाकत ने जो रिप्लाई दिया, उसके बाद सोशल मीडिया पर उनकी खूब वाहवाही तो हुई ही, प्रतीक की भी बेइज्जती हुई।

रुबिका लियाकत ने प्रतीक के कथित फैक्ट-चेकिंग पोर्टल की पोल खोलते हुए कहा कि अगर ‘वर्क फ्रॉम होम’ के कारण उनके पास कर्मचारियों की कमी है तो वो ख़ुद अपनी ही ट्वीट का फैक्ट-चेक करने के लिए तैयार हैं। रुबिका ने लिखा- “इस ट्वीट में कोरोना का कोई ज़िक्र नहीं सदमेश्वर! मेरे ट्वीट का ‘प्रतीक’ बनने के लिए शुक्रिया! गहरा सदमा लगा है ‘Fearleaders’ को।” रुबिका के इस जवाब के बाद प्रतीक को कुछ नहीं सूझा और वो भाग खड़े हुए।

लोगों ने प्रतीक सिन्हा को याद दिलाया कि विदेश में भी कई देशों ने सांकेतिक तौर पर विभिन्न तरीके अपना कर कोरोना से लड़ रहे मेडिकल कर्मचारियों व अन्य लोगों को धन्यवाद दिया। क्या वो सभी लोग मूर्ख थे? भारत में रविवार की शाम लोगों ने ताली, थाली और घंटी के साथ-साथ शंख फूँक कर भी डॉक्टरों व विषम परिस्थितियों में जनसेवा में रत अन्य लोगों को अपना धन्यवाद भेजा। कई लोगों के लिए ये एक इमोशनल अनुभव रहा।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की अपील की थी और उन्होंने ही लोगों को ऐसा करने को कहा था। लिबरल व सेक्युलर गैंग में से कुछ ने दिखावटी रूप से इस क़दम का समर्थन किया, वहीं कई अपने कुत्ते-बिल्लियों के डरने की बातें करते हुए देखे गए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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