एबीपी न्यूज़ की पत्रकार रुबिका लियाकत को नीचा दिखाने के चक्कर में एक बार फिर से ‘ऑल्ट न्यूज़’ के संस्थापक प्रतीक सिन्हा की बेइज्जती हो गई। प्रतीक यूँ तो आए दिन सोशल मीडिया पर बेइज्जती की नई इबारतें लिख रहे होते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने रुबिका से पंगा ले लिया। दरअसल, रुबिका ने ‘जनता कर्फ्यू’ के दिन शाम 5 बजे लोगों द्वारा घंटी, ताली और थाली वगैरह बजाए जाने के अनुभवों को साझा किया था, जिससे प्रतीक चिढ़ गए। रुबिका ने लिखा था- “थालियों की, घंटियों की, तालियों की आवाज़ ने बहुतों को सदमे में पहुँचा दिया होगा। ये एकता की आवाज़ है। अखण्ड भारत की पहचान है।” प्रतीक को ये बुरा लगा।
प्रतीक सिन्हा ने ज़हर की उल्टी करते हुए लिखा कि लोगों को ऐसे ही एंकरों के कारण दिक्कत का सामना करना पड़ता है, जो अपने नेता और उसके कारनामों को सही ठहराते हैं और यही इनकी ज़िंदगी का प्रमुख उद्देश्य है। प्रतीक ने इसके बाद रुबिका की ट्वीट में धर्म घुसाते हुए ज्ञान बाँचा कि कोई महामारी किसी का धर्म या विचारधारा देख कर कोई भेदभाव नहीं करती। उन्होंने रुबिका को ‘चीयरलीडर’ करार देते हुए लोगों से कहा कि वो ऐसे एंकरों को फॉलो न करें। इसके बाद रुबिका लियाकत ने जो रिप्लाई दिया, उसके बाद सोशल मीडिया पर उनकी खूब वाहवाही तो हुई ही, प्रतीक की भी बेइज्जती हुई।
रुबिका लियाकत ने प्रतीक के कथित फैक्ट-चेकिंग पोर्टल की पोल खोलते हुए कहा कि अगर ‘वर्क फ्रॉम होम’ के कारण उनके पास कर्मचारियों की कमी है तो वो ख़ुद अपनी ही ट्वीट का फैक्ट-चेक करने के लिए तैयार हैं। रुबिका ने लिखा- “इस ट्वीट में कोरोना का कोई ज़िक्र नहीं सदमेश्वर! मेरे ट्वीट का ‘प्रतीक’ बनने के लिए शुक्रिया! गहरा सदमा लगा है ‘Fearleaders’ को।” रुबिका के इस जवाब के बाद प्रतीक को कुछ नहीं सूझा और वो भाग खड़े हुए।
People will suffer because of anchors like this person whose only job in life is to praise the leader and justify all his actions. An epidemic doesn’t differentiate people based on religion or ideology. Follow these cheerleaders at your own peril. https://t.co/qBYq5Ld3jK
— Pratik Sinha (@free_thinker) March 22, 2020
लोगों ने प्रतीक सिन्हा को याद दिलाया कि विदेश में भी कई देशों ने सांकेतिक तौर पर विभिन्न तरीके अपना कर कोरोना से लड़ रहे मेडिकल कर्मचारियों व अन्य लोगों को धन्यवाद दिया। क्या वो सभी लोग मूर्ख थे? भारत में रविवार की शाम लोगों ने ताली, थाली और घंटी के साथ-साथ शंख फूँक कर भी डॉक्टरों व विषम परिस्थितियों में जनसेवा में रत अन्य लोगों को अपना धन्यवाद भेजा। कई लोगों के लिए ये एक इमोशनल अनुभव रहा।
Work from home के चलते staff की कमी होगी तो मेरे ट्वीट का fact-check मैं ही कर देती हूँ इस ट्वीट में कोरोना का कोई ज़िक्र नहीं सदमेश्वर! मेरे ट्वीट का ‘प्रतीक’ बनने के लिए शुक्रिया!
— Rubika Liyaquat (@RubikaLiyaquat) March 23, 2020
गहरा सदमा लगा है ‘Fearleaders’ को https://t.co/nZN3vtRKBA
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की अपील की थी और उन्होंने ही लोगों को ऐसा करने को कहा था। लिबरल व सेक्युलर गैंग में से कुछ ने दिखावटी रूप से इस क़दम का समर्थन किया, वहीं कई अपने कुत्ते-बिल्लियों के डरने की बातें करते हुए देखे गए।