अल्पबुद्धि और दुराग्रह का जब सही मेल मिलता है तब BBC जैसे मीडिया गिरोह जन्म लेते हैं। हालाँकि, जिन लोगों का ध्येयवाक्य ‘हमारा काम सरकार का विरोध करना है’ हो, उनसे किसी भी तरह से तार्किक होने की उम्मीद करना महज स्वयं से छलावा है। लेकिन जब इन लोगों द्वारा किए जा रहे नुकसान का दायरा देखा जाए तो यह आवश्यक होता है कि इनके वर्षों पुराने चले आ रहे इकतरफा संवाद को नकेल लगाई जाए।
BBC ने अपने स्तरहीन होने का सबसे नया परिचय दिया है भारतीय वायुसेना के गायब विमान पर भी सरकार को निशाना बनाकर। भारतीय वायु सेना के AN-32 एयरक्राफ्ट का मलबा अरुणाचल प्रदेश में मिला है। पिछले 8 दिनों से AN-32 गायब था और भारतीय वायु सेना उसे खोजने में जुटी थी।
सरकार एवं सेना के सहयोग से कल ही 8 दिनों बाद इस विमान का मलबा अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी सियांग ज़िले में मिला। भारतीय वायु सेना का कहना है कि विमान का मलबा एमआई-17 हेलिकॉप्टर से 12,000 फुट की ऊँचाई पर देखा गया है।
इस विमान में 13 लोग सवार थे, जिनमें 8 चालक दल के सदस्य थे। मलबा मिलने के बाद इस पर सवार और चालक दल के सदस्यों के बारे में अभी जानकारी जुटाई जा रही है।
लेकिन, इन सभी बातों से हटकर BBC का मर्म कुछ और है। सुन्दर प्रतीत होने वाली बातों के माध्यम से सुबह से शाम तक हिन्दू-मुस्लिम का रंग घोलकर ख़बरें बनाने वाले मीडिया के समुदाय विशेष की ही एक टुकड़ी BBC ने इस खबर में भी नैरेटिव सेट करने का प्रयास बेहद चालाकी से किया है। BBC की हेडलाइन कहती नजर आई है- “AN-32 का मलबा मिला लेकिन 13 सवार लोगों पर अब भी चुप्पी”
ऑड दिनों में सुप्रीम कोर्ट में यकीन करने वाले और इवन दिनों में सुप्रीम कोर्ट को बिकाऊ बताने वाे कुछ लोगों की तरह ही BBC की धूर्तता का विस्तार अब सरकार के साथ ही भारतीय वायसेना तक हो चुका है। ऐसे समय में, जब कि गायब विमान का मलबा तक मिलना भी एक बहुत बड़ी सफलता मानी जा रही है, BBC और मौकापरस्त भेड़ियों का ध्यान सरकार और संस्थाओं को निशाना बनाना है। सवाल यह है कि इन सबके बीच वो सभी मानवीय संवेदनाएँ कहाँ हैं जिनकी सुरक्षा का ये लोग दावा करते हैं?
कॉन्ग्रेस के ‘CD-मंत्री’ हार्दिक पटेल का सामान्य ज्ञान राहुल गाँधी के स्तर का है
वहीं कॉन्ग्रेस के अरविन्द केजरीवाल यानी, हार्दिक पटेल ने भी इस मुद्दे को राजनीतिक बहस बनाने की कोशिश तो की लेकिन इस बीच वो इस बात का परिचय जरूर दे गए कि धीरे-धीरे उनका नेहरूवीकरण सही दिशा में होने लगा है। जनसभाओं में रैपट खाकर चर्चा में आने वाले पाटीदार आंदोलन के प्रमुख हार्दिक पटेल का सामान्य ज्ञान हर दूसरे इंटरनेट सिपाही जितना ही है, या शायद उससे भी कम। हार्दिक पटेल के अनुसार विमान जहाँ गिरा है, वो जगह चीन की है।
लापता विमान AN-32 को लेकर हार्दिक पटेल ने अपने एक ट्वीट में लिखा, “चीन मुर्दाबाद था और मुर्दाबाद ही रहेगा। चीन को कहना चाहते हैं कि हमारा विमान AN-32 और जवान वापस करे। मोदी साहब चिंता मत करो, हम सब आपके साथ हैं। चीन पर सर्जिकल स्ट्राइक कीजिए और हमारे जवान को वापस लाइए।”
चीन मुर्दाबाद था और मुर्दाबाद ही रहेगा।
— Hardik Patel (@HardikPatel_) June 11, 2019
चीन को कहना चाहते है की हमारा विमान AN-32 और जवान वापिस करें। मोदी साहब चिंता मत करों, हम सब आपके साथ हैं।चीन पर सर्जिकल स्ट्राइक कीजिए और हमारे जवान को वापिस लाइए.
हार्दिक पटेल के अनुसार चीन ने भारतीय सेना के विमान को मार गिराया और जवानों को अपने कब्जे में ले लिया है। ऐसे में पीएम मोदी को चीन पर सर्जिकल स्ट्राइक करना चाहिए। हालाँकि राहुल गाँधी की अध्यक्षता वाली पार्टी के सदस्य होने के कारण हार्दिक पटेल की बुद्दिमत्ता पर शक करने का तो सवाल ही नहीं उठता है, लेकिन फिर भी अगर मान लें कि हार्दिक के ट्ववीट को कटाक्ष की तरह देखा जाना चाहिए, तो यह देखना राहत की बात है कि कॉन्ग्रेस की जमात में अगली पीढ़ी में भी सैम पित्रोदा, मणि शंकर अय्यर और कपिल सिब्बलों की कमी नहीं है।
हार्दिक पटेल की इस बेवकूफी पर खेल मंत्री किरण रिजिजू ने सवाल किया, “आप कॉन्ग्रेस पार्टी के एक नेता हैं, क्या आपको पता है अरुणाचल प्रदेश कहाँ है?”
आप कांग्रेस पार्टी के एक नेता है, क्या आपको पता है अरुणाचल प्रदेश कहाँ है? https://t.co/RgkEa1ohRk
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) June 11, 2019
भारतीय वायुसेना की टीम ने AN-32 के मलबे को अरुणाचल प्रदेश के लिपो नाम की जगह से 16 किलोमीटर उत्तर में देखा। एयरफोर्स की टीम अब इन मलबों की जाँच कर रही है। गायब हुए विमान की खोज के लिए 3 दल बनाए गए थे। हर संभावित स्थल पर सर्च ऑपरेशन जारी था और आखिरकार अरुणाचल प्रदेश के लिपो नामक स्थान से 16 किमी उत्तर स्थित घने जंगलों में विमान के पार्ट्स मिले हैं।
पत्रकारिता का ‘पत्थरकार’ बनकर रह गया है BBC
रुपए लेकर कश्मीर में सेना पर पत्थर बरसाने वाले विगत कुछ वर्षों से चर्चा में आए हैं। इसी तरह से देर-सबेर ही सही लेकिन पत्रकारिता के नाम पर पत्थरकारिता करने वाले लोग भी बौखलाहट में खुलकर अपने वास्तविक रुझान दिखाने लगे हैं।
BBC की ‘चुप्पी’ का मतलब तो यही निकलता है कि मलबा मिलते ही वायुसेना के अधिकारियों को तुरंत अपने घर से निकलकर मोटरसाइकिल में किक मार के हादसे वाली जगह तक दौड़ जाना चाहिए था। लेकिन इस बीच मीडिया गिरोह का ये बड़ा प्लेयर ये बात भूल जाना चाहता है कि किसी जिम्मेदार संस्था द्वारा संवेदनशील ऑपरेशन चलाने और BBC के कुछ टुटपूँजियों द्वारा संस्थाओं के खिलाफ नैरेटिव और प्रोपेगैंडा चलाने में अंतर होता है। यह उतना आसान नहीं होता है जितना कमरों में बैठकर भीड़ का मजहब तय कर देना।
घने जंगल, बारिश के बीच लगातार सर्च ऑपरेशन के बावजूद भी एक गायब विमान को तलाशने में ही 8 दिन का समय लग गया तो संसाधनों और मानवीय बाधाओं की सीमाओं में रहकर यह सोचा जाना चाहिए कि आखिर मलबा मिलने के भी करीब 12 घंटे बाद एक अन्य दल को क्रैश साइट पर भेजा जाना तय हुआ है। लेकिन नहीं, BBC को इस तरह की प्लानिंग से मतलब नहीं है। खैर BBC को तो इससे भी मतलब नहीं है कि अरुणाचल प्रदेश की पहाड़ियों पर दूसरे विश्व युद्ध के दौरान लापता हो गए अमेरिकी विमान अब जाकर मिले हैं। अभी के टुटपूँजिए पत्रकार अगर तब BBC में होते तो अमेरिकी सरकार को भी ‘चुप्पी’ का मतलब समझा चुके होते।
भारतीय वायुसेना के C-130J यातायात विमानों, सुखोई Su-30 लड़ाकू विमानों, नौसेना के P8-I तलाशी विमानों तथा वायुसेना व थलसेना के हेलीकॉप्टरों की टुकड़ियों ने पूरे हफ्ते मलबा तलाश करने की भरपूर कोशिश की, और आखिरकार मंगलवार को विमान का कुछ हिस्सा देखा गया। नाइटटाइम सेंसरों से लैस थलसेना, नौसेना तथा ITBP की टीमों ने खराब मौसम के बावजूद दिन-रात घने जंगलों और कठिन माहौल वाली जगहों पर तलाशी को जारी रखा। लापता हुए विमान के क्रू सदस्यों के परिजन जोरहाट में इंतज़ार कर रहे हैं।
BBC जैसे मीडिया गिरोहों को यह जानना चाहिए कि पहाड़ों में जिस जगह विमान का मलबा देखा गया है, वहाँ घना जंगल है, और हवाई यातायात के लिए इसे दुनिया के सबसे कठिन इलाकों में शुमार किया जाता है। AN-32 (पूर्व) सोवियत संघ द्वारा डिज़ाइन किया गया ट्विन-इंजन टर्बोप्रॉप यातायात विमान है, जिसे भारतीय वायुसेना पिछले चार दशक से इस्तेमाल करती आ रही है।
भारतीय वायुसेना के लापता विमान AN-32 का मलबा देखे जाने के बाद सर्च ऑपरेशन और तेज हो गया है। भारतीय सेना के विंग कमांडर रत्नाकर सिंह ने जानकारी देते हुए कहा है कि क्रैश की साइट का पता चलने के बाद भारतीय वायुसेना, थल सेना और पर्वतारोहियों की एक टीम को इस जगह के पास एयरड्रॉप किया गया है। वायुसेना के एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार शाम मलबा दिखाई देने के बाद ही सेना ने मलबे वाले स्थान पर चीता और एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर को उतारने का प्रयास किया था, लेकिन घने पहाड़ी जंगल होने के चलते हेलिकॉप्टर को वहाँ नहीं उतारा जा सका। हालाँकि, मंगलवार देर शाम तक वायुसेना ने एक जगह को चिन्हित किया।
#WATCH: Indian Air Force (IAF) continues search operation in the area where wreckage of missing AN-32 aircraft was found yesterday. #ArunachalPradesh pic.twitter.com/yoAMGg5ORk
— ANI (@ANI) June 12, 2019
शायद वायसेना को BBC के दल को किसी भी तरह के सर्च ऑपरेशन में भेजना चाहिए ताकि कीबोर्ड के सिपाही कम से कम अपनी दुराग्रही कल्पना और वास्तविकता से तो वाकिफ हों। BBC और हार्दिक पटेल जैसे उदाहरण पुलवामा आतंकी हमले के वक़्त इस तरह के गैर जिम्मेदाराना और अमानवीय नैरेटिव तैयार करते हुए देखे गए हैं और हो सकता है कि यही इनके अस्तित्व का मकसद भी है और बस इसे ही जस्टिफाई करते जा रहे हैं।