बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान की मौत की खबर से देश शोक में डूबा है। लेकिन इस्लामिक कट्टरपंथी अपनी मजहबी घृणा का प्रदर्शन करने से बाज नहीं आए। इसकी वजह है इरफ़ान खान द्वारा इस्लाम की कुरीतियों और मजहबी कट्टरता पर बेबाकी से रखे गए विचार हैं।
इरफ़ान खान की मौत की खबर के बाद सोशल मीडिया पर कट्टरपंथियों ने उनकी मौत का उपहास बनाने का काम किया है। इरफ़ान खान को गन्दी गालियाँ दी जा रही हैं और कहा जा रहा है कि वह इस्लाम के नाम पर धब्बा थे। यह सब सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्होंने इस्लाम, आतंकवाद, रोजा और रमजान के साथ ही बकरीद पर पशुओं को काटे जाने पर अपनी राय रखते हुए इन्हें कुर्बानी के नाम पर किया जाने वाला पाखंड बताया था।
सज्जाद हैदर नाम के युवक ने इरफ़ान खान की मौत पर उनकी एक ऐसी खबर शेयर की है, जिसमें इरफ़ान खान ने दो दिन पहले खरीदी हुई बकरी की कुर्बानी देने को गलत बताया था। सज्जाद ने इस खबर के साथ लिखा है- “Mar gye mardood, Fateha na darood” उर्दू में मरदूद शब्द का इस्तेमाल ‘नीच या तिरस्कृत’ के लिए किया जाता है।
वहीं ट्विट्टर पर अक्सर भड़काऊ और हिन्दुओं के विरोध में लिखने के लिए कुख्यात कथित जर्नलिस्ट अली शोहराब (Ali Sohrab) जो कि आखिरी बार हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की हत्या पर जश्न मनाने वाले ट्वीट को लेकर हुई गिरफ्तारी से चर्चा में आया था, ने लिखा है – “इस्लाम या इस्लाम के रुकन खासकर कुर्बानी के कट्टर विरोधी थे इरफ़ान खान। खैर, खेल दिखाकर चला गया ‘मदारी।’
जो #Ramadan में रोजे रखने को मूर्खता कहता था, कुर्बानी में जानवर की जबिहा को बकलोली कहता था…उसकी मौत #Ramazan में हुई…ऊपरवाला भी न…#IrrfanKhan pic.twitter.com/rmwCu6frNn
— ALI SOHRAB {काकावाणी 2.0} (@007AliSohrab) April 29, 2020
एक अन्य ट्वीट में काकावाणी नाम के इसी अकाउंट से लिखा गया है, “नाम में खान तो चंगेज और हलाकु के भी थे।… इस्लाम को सबसे अधिक नुकसान इन दोनों ने ही पहुँचाया। कुर्बानी व रोजे से इनको दिक्कत थी… अगर नाम में खान होने की वजह से ‘मगफिरत की दुआ’ करनी ही है तो हलाकु खान… चंगेज खान के लिए भी करो।”
ऐसे ही कई और पोस्ट आज सोशल मीडिया पर देखे गए जिनमें इरफ़ान खान को सिर्फ मजहबी कट्टरता के कारण निशाना बनाया है। यह भी देखने लायक बात है कि एक ओर जिन हिन्दुओं पर लिबरल गिरोह अक्सर इस्लामोफ़ोबिक होने का आरोप लगाते फिरते हैं, वो सभी इरफ़ान की लोकप्रियता और उनके प्रति स्नेह के कारण शोक में डूबे हैं।
Religion > pic.twitter.com/IOrxCiu4ox
— Shash (@pokershash) April 29, 2020
यह भारत जैसे देश की वास्तविकता भी बनती जा रही है कि वह मजहब विशेष के लोग, जो अपने कार्यों, मेहनत के कारण लोकप्रिय बने, इस्लामिक कट्टरपंथियों ने उन्हें अक्सर निशाना बनाया है। बजाए आत्मविश्लेषण के, खुद को मजहब का मसीहा बताने वाले लोगों ने कट्टरपंथियों को गलत राह की ओर ही अग्रसर होने का निर्देश दिया है, जबकि वो सिर्फ भड़काऊ बयानबाजी कर चर्चा का विषय बने रहना ज्यादा पसंद करते हैं।