सोशल मीडिया पर दक्षिणपंथी विचारधारा के वर्चस्व के साथ ही उसके खिलाफ वैचारिक हमले और उनकी आवाज दबाने के तरीके भी बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं। इन्हीं में से एक ट्विटर भी है। ट्विटर और उसका दक्षिणपंथी विचारधारा के प्रति पूर्वग्रह कोई नई बात नहीं है।
हाल ही में ऑपइंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में एक कार्टूनिस्ट्स का जिक्र किया था जो ‘टीपूडा‘ नाम से लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए थे। इनका यूजरनेम है- @PR1CELES5। टीपूडा ने कई सारे कार्टून्स को सही (राजनीतिक रूप से) किया है, खासकर सतीश आचार्य द्वारा बनाए गए कार्टून्स। उन्होंने इन कार्टून्स को सही करते हुए बताया है कि कैसे ये ओरिजिनल कार्टून्स पक्षपाती हैं और सिर्फ एक ही पक्ष को दिखाते हैं।
लेकिन ट्विटर को टिपूडा की यह रचनात्मकता शायद रास नहीं आई और उनका ट्विटर एकाउंट सस्पेंड कर दिया गया। यह इस बात का भी सबूत है कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इकतरफा ही काम करती है- इकतरफा यानी, जब तक यह दक्षिणपंथी सरकार विरोधी आवाज हो, तब तक इसे बड़े स्तर पर सेलिब्रेट किया जाता है, लेकिन यदि यह आवाज विरोधियों के नेरेटिव्स का खंडन करने वाली हो तो उसे दबाने के लिए हर प्रकार का जोर लगाया जाता है।
Twitter suspended @PR1CELES5 @RitikRai619 for no reason. Everyday they suspend some random RW handles & we are helpless (even when we are in power).
— Mr Sinha (@MrSinha_) February 6, 2020
Kab tak chalega ye?
टीपूडा का असली नाम अमोल है। वो प्रोफेशनल कार्टूनिस्ट नहीं है, लेकिन कार्टून के माध्यम से चीजों का खंडन करने के लिए वो काफी पॉपुलर है। अमोल ने ऑपइंडिया से बात करते हुए कहा था कि उन्होंने ये सब कार्टून मजे के लिए बनाए थे, लेकिन साथ ही वो एक मैसेज भी देना चाहते थे। उन्होंने कहा कि समय मिलने पर वो और भी कार्टून बनाएँगे।
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