ब्लू टिक देकर ट्विटर जानी-पहचानी हस्तियों का अकाउंट वेरिफाई करता है ताकि कोई और उस पहचान के साथ अलग अकाउंट बना धोखाधड़ी न करे। लेकिन, अब इसको लेकर ‘भीम-मीम’ टाइप पॉलिटिक्स शुरू हो गई है। कुछ दिन पहले शेखर गुप्ता के ‘द प्रिंट’ से जुड़े दिलीप मंडल ने आरोप लगाया था कि दलितों को ट्विटर ‘ब्लू टिक’ नहीं दे रहा है। अब मुस्लिम पत्रकार शाहिद सिद्दीकी ने उसी जुबान में बात करते हुए आरोप लगाया है कि उन्हें मजहब के कारण ब्लू टिक नहीं दिया गया।
दिलीप सी मंडल ने आरोप लगाया था कि ट्विटर दलितों को ब्लू टिक नहीं देता है। उन्होंने आरोप लगाया कि केवल ब्राह्मणों व कथित उच्च जाति के लोगों के एकाउंट्स ही वेरिफाई किए जा रहे हैं। इसके बाद तमाम कथित दलित कार्यकर्ताओं ने ट्विटर के ख़िलाफ़ अभियान चलाया। ट्विटर के दफ्तर के बाहर नारेबाजी की गई। वामपंथियों ने भी इस कार्य में भाग लिया और कविता कृष्णन सरीखे लोगों ने 24 घंटे तक अपना ट्विटर अकाउंट बंद कर विरोध दर्ज कराया। ख़ैर, दिलीप सी मंडल को तो ब्लू टिक मिल गया लेकिन उनके तमाशे कम नहीं हुए। अब इसी नुस्खे के साथ शाहिद सिद्दीकी ब्लू टिक मॉंग रहे हैं।
पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी साप्ताहिक पत्रिका ‘नई दुनिया’ उर्दू के मैनेजिंग डायरेक्टर और मुख्य संपादक हैं। वो दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर भी रह चुके हैं। उपन्यास ‘The Golden Pigeon’ के लेखक शाहिद ने भी ट्विटर पर ब्लू टिक के लिए रोना रोया। उन्होंने ख़ुद को वरिष्ठ पत्रकार घोषित करते हुए लिखा कि वो उर्दू के लोकप्रिय सम्पादकों में से एक हैं। उन्होंने ख़ुद को पुराना राजनीतिक विश्लेषक घोषित किया है। ख़ुद को लेखक, शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता का तमगा देते हए शाहिद ने आरोप लगाया कि ट्विटर उन्हें ब्लू टिक देकर उनके अकाउंट को वेरिफाई नहीं कर रहा है।
I am one of the most prominent and senior journalist/editor of Urdu,a very senior political analyst in Media. Former member of Parliament.
— shahid siddiqui (@shahid_siddiqui) November 13, 2019
Writer, educationist,activist But Twitter never verified me.
However I neither care nor bother about this caste system#VerifyMuslimActivists
हालाँकि, शाहिद ने ये भी लिखा कि वो न तो जाति व्यवस्था की परवाह करते हैं और न ही इसके बारे में सोचते हैं। इसके बाद शाहिद ने समर्थकों सहित ‘Verify Muslim Activists’ नामक ट्रेंड चलाया, जिसमें माँग की गई कि मुस्लिम कार्यकर्ताओं व हस्तियों को ट्विटर पर ब्लू टिक देकर उनके अकाउंट को वेरिफाई किया जाए। राष्ट्रीय जनता दल ने भी इस ट्रेंड को अपना समर्थन दिया है। जेल में बंद लालू यादव की पार्टी ने कहा कि वो जाति, मजहब और समुदाय के आधार पर हो रहे किसी भी प्रकार के भेदभाव का विरोध करती है। राजद ने कहा कि वो बराबरी और सम्प्रभुता में विश्वास रखती है। राजद ने मुस्लिमों और एससी, एसटी के लोगों को ब्लू टिक देने की माँग की है।
युवा राजद के प्रदेश अध्यक्ष करि सोहैब ने लिखा कि ट्विटर को एससी, एसटी व मुस्लिम लोगों को ब्लू टिक देना चाहिए। बरौली के राजद विधायक मोहम्मद नेमतुल्लाह ने भी लिखा कि बराबरी का हक़ मुस्लिमों को भी दिया जाना चाहिए। जहाँ दिलीप सी मंडल ने ट्विटर को ‘ब्राह्मणवादी’ करार दिया था, मुस्लिम नाम वाले कई ट्विटर हैंडल्स ने ट्विटर को मुस्लिम-विरोधी होने का तमगा दे दिया।
RJD is against any kind of discrimination on the basis of caste, creed, faith and sex. We believe in equality and liberty. Twitter should #VerifyMuslimActivists and extend #BluetickforSCSTOBC activists and other deserving activists.
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) November 12, 2019
चूँकि एक परमानेंट दुश्मन पहले से स्थापित है तो उसके प्रतीक जनेऊ को, जो अनभिज्ञता में ब्राह्मणों के ही साथ जोड़ा जाता है, उसको तुरंत खींच लिया जाता है। सी मंडल ने कहा कि ब्लू टिक नीला जनेऊ बना दिया गया है। चूँकि सी मंडल सी मंडल हैं, तो उनकी मजबूरी है कि उन्हें हर चीज नीली ही चाहिए, वरना उसमें ब्राह्मणवाद ठूँस देना है। इनसे पूछा जाए कि ब्राह्मणवाद है क्या, तो दो लाइन से आगे नहीं बढ़ पाएँगे। ऐसी शब्दावली गढ़ कर जातिवाद फैलाने के कुत्सित प्रयास कुछ सौ सालों से चल रहे हैं, और चूँकि ये सत्ता पाने की सीढ़ी भी है, तो पिछले कुछ दशकों की राजनीति में ये ज्यादा प्रबल हो चुका है। ब्राह्मणों की दुर्गति क्या है वो बिहार के गाँवों में यजमानी करने वाले ब्राह्मणों को जा कर कोई देखे।