सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कोचिंग सेंटर Vision IAS के तथाकथित वामपंथी टीचर स्मृति शाह के कुछ और वीडियो सामने आए हैं जहाँ किसी में वह शेख अब्दुल्ला को सबसे ज़्यादा लिबरल और सोशलिस्ट बताते नहीं थक रहीं हैं वहीं वह दूसरे तरह से कश्मीरी पंडितों के पलायन और उन पर शोषण को भी जायज ठहरा रही हैं। एक वीडियो में तो वह खुलकर हिजाब और बुर्का के समर्थन में ज्ञान देते हुए इसे सोशल प्राइड बता डाला है। इस वीडियो में वह भगवा शाल या जय श्री राम कहने वालों को ही परोक्ष रूप से घेरतीं नजर आईं।
बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने एक वीडियो शेयर करते हुए कमेंट किया है, “यह हिंदुओं के खिलाफ पूरी तरह से नफरत फैलाना है और कश्मीरी हिंदुओं के सामूहिक नरसंहार को बेशर्मी से जायज ठहराना है। UPSC की तैयारी के नाम पर ये जिहाद की ट्रेनिंग है। यह आपराधिक कृत्य है और इसे कानून द्वारा दंडित करने की आवश्यकता है।” उन्होंने शिक्षा और स्किल डेवलॅपमेन्ट मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को भी टैग किया है।
This is pure hate against Hindus and shamelessly justifying mass killings of Kashmiri Hindus
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) February 28, 2022
This is Jihad training in the name of UPSC preparation
This is criminal and need to be punished by law@dpradhanbjp https://t.co/xE3sU9jZFn
हिजाब और बुर्का को कल्चरल प्राइड बताते हुए उसका जमकर बचाव किया गया है जिसने नए विवाद को जन्म दे दिया है।
More expert opinion on #HijabControversy #UCC #HijabNahiKitaabDo pic.twitter.com/mKgJ96yRIf
— Wokeflix (@wokeflix_) February 28, 2022
वहीं कश्मीर पर बात करते हुए एक वीडियो में आजादी के बाद कश्मीर में लैंड रिफॉर्म की बात की गई है। बात की शुरुआत ही वीडियो में शेख अब्दुल्लाह को सेक्युलर और सोशलिस्ट बताते हुए किया गया है। जहाँ हिन्दुओं को जमींदार और मुस्लिमों को किसान बताते हुए उनके कृत्यों को वाइटवाश करने की कोशिश की गई है। यहाँ तक कि क्लास डिस्टिंक्शन के नाम पर मुस्लिमों के अत्याचार को भी जायज ठहराया गया है।
Ab aayi #Aurangzeb ki baari. #HinduTemples #ReligiousTolerance #Communalism #BritishIndia pic.twitter.com/9pfof984Px
— Wokeflix (@wokeflix_) February 28, 2022
साथ ही एक वीडियो में धार्मिक सहिष्णुणता की बात करते हुए औरंगजेब को भी महान बताया गया है। यहाँ तक यह भी कहा गया है कि लोग आपसी भाईचारे के साथ रहते थे।
British India and Communalism. #nepotism #groupism #favouritism pic.twitter.com/awO8tRwHoU
— Wokeflix (@wokeflix_) February 28, 2022
यहाँ तक की एक वीडियो में अंग्रेजों के शासन को भी नौकरी, शिक्षा जैसे पैमानों पर बेहतर साबित किया गया है। यहाँ भी समस्याओं के लिए धार्मिक भेदभाव को असहिष्णुणता और साम्प्रदायिकता का कारण बताया गया है। सबसे मजेदार बात है कि कहीं भी इस्लाम के खिलाफ कुछ भी नहीं है।
बता दें कि इससे पहले वाले वीडियो में भी इस्लामी प्रोपेगेंडा को ही आगे बढ़ाया गया था जिसे लेकर कल से ही हंगामा जारी है। इसमें महिला टीचर छात्रों को ‘भक्ति आंदोलन’ पढ़ा रही हैं और समझा रही हैं कि कैसे ये आंदोलन इस्लामिक लिबर्टी के कारण शुरू हुआ। वहीं अब हिन्दू धर्म की कई दूसरी मान्यताओं पर भी कटाक्ष करते हुए इस्लाम को बेहतर बताया गया है। ज़्यादातर वीडियो में भक्ति आंदोलन के नाम पर या समाज और परिवार समझाते हुए द्रौपदी आदि के बहाने हिन्दू धर्म को ही निशाना बनाया गया है।
Joint Family satisfies our sexual gratification. Marriage serves the purpose. And finally Reproduction.
— Wokeflix (@wokeflix_) February 28, 2022
Charan kaha hai iss devi ke. pic.twitter.com/9m9GdvMqSj
आज सुबह ही सामने आए कुछ वीडियो में नींबू-मिर्ची और नारियल फोड़ने पर भी व्यंग्य है। वहीं संयुक्त परिवार पढ़ाते हुए संयुक्त परिवार की अवधारणा को कॉमन प्रॉपर्टी, सेक्सुअल ग्रैटिफिकेशन, रिप्रोडक्शन तक केंद्रित कर दिया गया है। वहीं हरियाणा-पंजाब के बहाने पॉलीएंड्री पर बात की गई है कि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में संपत्ति को बचाए रखने के लिए कई बेटों के लिए एक पत्नी खरीदी जाती है। इस वीडियो में द्रौपदी का भी उदाहरण दिया गया है।
गौरतलब है कि इन सभी वीडियो में सबसे अधिक विवाद इस्लाम को लिबरल बताने और उसे सबसे अच्छा मजहब घोषित करने पर है। वीडियो में महिला टीचर पूछती हैं कि बताओ भक्ति आंदोलन का उद्देश्य क्या था। बच्चे जब जवाब में समानता बोलते हैं तो टीचर कहती हैं। सातवीं-आठवीं शताब्दी में कुछ नहीं था, इस्लाम आ गया था। इसलिए ये शुरू हुआ।
वह कहती हैं, “इस्लाम था बहुत लिबरल। वह समानता के बारे में बात करता था। कोई जाति व्यवस्था भी नहीं थी। अगर इस्लाम पढ़ा होगा तो एक चेरामन जुमा मस्जिद है जिसका मिनिएचर आपके पीएम ने सऊदी किंग को दिया । ये भारत का पहला मस्जिद है जो 7वीं-8वीं शताब्दी में बना। तब इस्लाम आया नहीं था। लेकिन इस्लाम आना शुरू हो गया था। उस समय वह उदारवाद, समानता के बारे में बात कर रहे थे। वह किसी भी तरह की कठोरता और जातिवाद से मुक्त थे। इस्लाम की एक खासियत थी जिसमें वह ईश्वर (अल्लाह) के प्रति पूरे समर्पण को लेकर बात करते थे। वे एक ईश्वर के कॉन्सेप्ट पर बात कर रहे थे।”
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वीडियो में नजर आने वाली महिला टीचर का नाम स्मृति शाह है। जो पूर्व में आईएस परीक्षाओं की तैयारी करती थीं, लेकिन उनका एग्जाम नहीं क्लियर हुआ। ट्विटर पर इन्हें लेकर कहा जा रहा है कि स्मृति भारतीय समाज के बारे में बारे में विजिन आईएएस में पढ़ाती हैं। वह वामपंथी हैं और मोदी/भाजपा से नफरत करने वाली हैं।
वहीं इस महिला वामपंथी टीचर के कई वीडियो को देखने के बाद सोशल मीडिया पर कोचिंग सेंटर से जब खूब सवाल किए गए और एक ही दिन में उनकी ओर से जवाब भी आ गया। बयान में Vision IAS ने अपनी फैकल्टी की बात जस्टिफाई करते हुए लोगों को बताया है कि जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है वो वीडियो अब उनके किसी आधिकारिक प्लेटफॉर्म पर मौजूद नहीं है।