राज्य के एडवोकेट डीसी रैना ने कोर्ट को इस इस बात से अवगत कराया था कि साफ़िया ख़ान को न तो किसी हिरासत में रखा गया है और न ही उन्हें नज़रबंद किया गया है। घाटी में जान-माल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ नितांत आवश्यक प्रतिबंध लगाए गए हैं।
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद सर्वोच्च न्यायालय में 14 याचिकाएँ दायर हुई हैं। जिसमें एडवोकेट एमएल शर्मा, पूर्व आईएस अधिकारी शाह फैसल, जेएनयू की पूर्व छात्रा शेहला रशीद और राधा कुमार की याचिका भी शामिल है।
"पूरे देश में कश्मीरी मुस्लिम सुरक्षित हैं, लेकिन कश्मीर में 370 खत्म होने के बाद से दो बेग़ुनाह मुस्लिमों को जान से मारा जा चुका है। किसने मारा हिन्दुओं ने? नहीं। एक को मुस्लिम आतंकियों ने मारा और दूसरे को पत्थरबाजों ने!"
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि अब्दुल क़ादिर कोहली और मंजूर अहमद को त्राल के जंगलों से अगवा किया गया था। सुरक्षा बलों ने दोनों की तलाश शुरू की। इसी दौरान एक शख़्स का शव मिला, जबकि दूसरे की तलाश जारी है।
गोधरा के तहसीलदार ने बताया, “हम इस बात की जाँच कर रहे हैं कि कितने लोग पाकिस्तान गए हैं और उन्हें कब वापस आना था। सारी जानकारी एकत्र कर ज़िलाधिकारी को दी जाएगी। इसके बाद इस संबंध में केंद्र सरकार को अनुरोध भेजा जाएगा।”
राज्य में हालात अब धीरे-धीरे सामान्य होते जा रहे हैं। 17 अगस्त के बाद छिटपुट विरोध की घटनाओं में भी कमी देखी गई है। हालॉंकि सीमा पार से आंतकी खतरे की आशंका बनी हुई है जिसके कारण सुरक्षा बलों को अलर्ट पर रखा गया है।
राहुल गाँधी समेत सभी विपक्षी राजनेताओं को श्रीनगर एयरपोर्ट से बाहर नहीं निकलने दिया गया और उन्हें एयरपोर्ट से ही वापस दिल्ली भेज दिया गया। इनमें गुलाम नबी आज़ाद, डी राजा, शरद यादव, मनोज झा, मजीद मेमन और अन्य नेता शामिल थे।
राहुल गाँधी जम्मू-कश्मीर के ज़मीनी हालत का जायज़ा लेने श्रीनगर पहुँच रहे हैं। इसके लिए उनके साथ 9 अन्य विपक्षी नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल भी होगा जिसमें कॉन्ग्रेस के गुलाम नबी आज़ाद और आनंद शर्मा, राजद के मनोज झा प्रमुख होंगे। अन्य नेताओं में माकपा के सीताराम येचुरी, द्रमुक के टी शिवा और भाकपा के डी राजा भी शामिल हैं।