विशेषज्ञों का मानना है कि चूँकि जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद से हिंसा भड़काने के पाकिस्तान के सभी प्रयास नाकाम हो रहे हैं, इसलिए हताशा में यह कदम उठाया गया है। उसे कोई अंतरराष्ट्रीय समर्थन नहीं मिल रहा, हिंदुस्तान से व्यापारिक रिश्ते तोड़ लेने का खमियाज़ा भी पाकिस्तान को ही अपने यहाँ बेकाबू हो रही महँगाई के रूप में भुगतना पड़ रहा है।
पेरिस स्थित काला धन रोकने के लिए बने संगठन FATF ने अपनी फ्लोरिडा मीटिंग के दौरान कहा था कि पाक उसके द्वारा निर्देशित कदमों को उठाने में असफल रहा है। अब पाक के पास आतंकियों तक पहुँच रहे पैसों को रोकने के लिए अक्टूबर तक का ही समय है, जिसके बाद उसे काली सूची में डाला जा सकता है।
आतंकी मुंबई में हमले करने की फिराक में हैं। ख़ुफ़िया एजेंसियों ने सरकार को इस बाबत आगाह किया है। मुंबई भारत की वित्तीय राजधानी कही जाती है और वहाँ स्थित स्थलों को पहले भी आतंकियों द्वारा निशाना बनाया जा चुका है।
भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा रहे ऑलराउंडर और जम्मू-कश्मीर क्रिकेट टीम के मेंटर इरफ़ान खान को घाटी छोड़ घर लौट जाने को कहा गया है। आतंकी हमले के मद्देनज़र यही सलाह उनके कैम्प में आए 100 अन्य युवा क्रिकेटरों को भी दी गई है।
केरन सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास BAT के हमले को नाकाम करते हुए भारतीय सेना ने पाँच-सात घुसपैठिए मार गिराए। पाँच-सात पाकिस्तानी सेना के जवान/ आतंकवादी के शव अब भी एलओसी पर पड़े हैं। सेना ने सबूत के तौर पर चार शवों की सैटेलाइट तस्वीरें भी जारी की है।
पाकिस्तानी सेना से प्रशिक्षित यह दस्ता अमूमन आधी रात के बाद हरकत में आता है और चुपके से भारतीय चौकियों के पास जवानों पर घात लगाकर हमले करता है। कश्मीर में दशकों से चल रहे छद्म युद्ध की वजह से पाकिस्तानी सेना इस टीम में जान-बूझकर आतंकियों का इस्तेमाल करती है ताकि पकड़े जाने पर वह आसानी से इनसे पीछा छुड़ा ले।
5-7 पाकिस्तानी सेना के जवान/आतंकवादी के शव एलओसी पर पड़े हैं। भारी गोलीबारी के चलते शवों को हटाया नहीं जा सका है और ना ही उनकी पहचान हो पाई है। सेना ने सबूत के तौर पर 4 शवों की सैटेलाइट तस्वीरें भी जारी की है।
हमले को अंजाम देने के लिए गुलाम कश्मीर के नेजापीर सेक्टर से जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी घुसपैठ की फिराक में हैं। इसके अलावा श्रीनगर-बारामुला-उरी हाइवे पर सेना के काफिले को भी आईईडी धमाके से निशाना बनाने की योजना थी।
पाकिस्तान के अंदर कई मदरसे न केवल वैचारिक प्रचार के केंद्र के रूप में कार्य करते हैं, बल्कि सभी प्रकार की आतंकी गतिविधियों के लिए प्रशिक्षण भी प्राप्त करते हैं, जो धीरे-धीरे आतंकियों के लिए धन इकट्ठा करने वाले समूहों में तब्दील हो जाते हैं।